उत्तर प्रदेश राज्य

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्नाह की फ़ोटो पर मौलाना मदनी ने बयान देकर जीत लिया देश का दिल

नई दिल्ली: पाकिस्तानी क़ाइद आज़म मोहम्मद अली जिन्नाह को तस्वीर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में लगाने को लेकर बड़ा विवाद चल रहा है जिस पर बयानबाज़ी का सिलसिला शुरू होगया है,अब तक इस विवाद में बीजेपी मंत्री जिन्नाह को महापुरुष बताया था तो दूसरी तरफ़ मुख्तार अब्बास नकवी ने AMU के बचाव में अपना ब्यान दिया है।

वैसे आपको बताते चलें कि जिन्नाह की तस्वीर अब उस स्थान से गायब हो गई है। इसपर यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि परिसर में सफाई की जा रही है। जिसके चलते जिन्ना की तस्वीर भी हटाई गई है। तस्वीरों को साफ किया जा रहा है, लेकिन किसी तस्वीर हटाया नहीं गया है। मामले में यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी का कहना है कि जिन्ना सहित पांच-छह अन्य लोगों की तस्वीरों को भी हटाया गया है। इनकी सफाई की जा रही है।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जन्में इस विवाद पर जमियत उलेमा ऐ हिन्द के महासचिव मौलाना मेहमूद मदनी ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ‘भारत के मुसलमानों ने जिन्ना को नकार दिया। जिन्ना की विचारधारा और विभाजन को भारत के मुसलमानों ने नकार दिया। हम ऐसी किसी चीज की उपस्थिति (जिन्ना की तस्वीर) के खिलाफ हैं। इसे हटाया जाना चाहिए।’ बता दें कि एएमयू में जिन्ना की तस्वीर होने पर विरोध लगातार तेज होने लगा था।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की हिंदू युवा वाहिनी ने जिन्ना की तस्वीर हटाने के लिए 48 घंटे का समय दिया था। हिंदू संगठन ने कहा कि दो दिन में तस्वीर नहीं हटाई गई तो वह खुद इसे हटाएंगे। हालांकि अब तस्वीर हटाए जाने पर मामला कुछ शांत होता नजर आ रहा है।

दरअसल जिन्ना की तस्वीर को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब पिछले सप्ताह आरएसएस कार्यकर्ता अमीर रशीद ने वाइस चांसलर को पत्र लिखकर यूनिवर्सिटी में संघ की शाखा आयोजित करने की मांग की थी। जिसके जवाब में यूनिवर्सिटी ने रशीद के ऐसे किसी भी प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया। कहा गया कि यूनिवर्सिटी में किसी भी शाखा और कैंप के आयोजन की अनुमति नहीं दी सकती है। इसके बाद भाजपा सासंद ने पूछा कि पाकिस्तान संस्थापक की तस्वीर स्टूडेंट यूनियन के ऑफिस में क्यों लगाई है।

हालांकि कांग्रेस सासंद ने भाजपा नेता के इस बयान को मुद्दों से भटकाने वाला बताया था। बाद में जिन्ना की तस्वीर पर विवाद इतना बढ़ गया कि प्रशासन को खुद सफाई देनी पड़ी। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता शफी किदवई ने मंगलवार (1 मई, 2018) को कहा कि जिन्ना यूनिवर्सिटी कोर्ट के संस्थापक सदस्य थे। उन्हें 1938 में एमएमयू की लाइफटाइम मेंबरशिप दी गई थी। जिन्ना 1920 में यूनिवर्सिटी कोर्ट के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। साथ ही वह इसके दानदाताओं में से भी एक थे।

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