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अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी बहुत बड़ा मुद्दा बनेगा : लेवल प्लेयिन्ग फ़ील्ड कहाँ है?विपक्ष को कुचलने का काम हो रहा है?

अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले में गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी से पहले ही आम आदमी पार्टी के लिए एक प्लान तैयार कर दिया है। इस प्लान के अंतर्गत उनके जेल जाने के बाद भी आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार को चलाए रखने की तैयारी कर ली गई है। अरविंद केजरीवाल अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे और आतिशी मार्लेना की अगुवाई में दिल्ली सरकार आगे चलाई जाती रहेगी।

वहीं, लोकसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी नेता और कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश करेंगे। हालांकि, यह अपने आप में एक बड़ा प्रश्न है कि सड़क की राजनीति करके दिल्ली के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर जनता का उतना ही साथ मिलेगा जितना कि आंदोलन के दिनों में मिला था।

आम आदमी पार्टी सूत्रों के अनुसार, अरविंद केजरीवाल ने इसके पहले विधायकों से यह जानकारी मांगी थी कि यदि उन्हें शराब घोटाले में गिरफ्तार किया जाता है तो उन्हें क्या करना चाहिए। आम आदमी पार्टी ने जनता के बीच जाकर यह जानने की कोशिश की थी कि क्या अरविंद केजरीवाल को इस्तीफा देना चाहिए? विधायकों और जनता के बीच हुए इस कथित सर्वे में अरविंद केजरीवाल से अपने पद से इस्तीफा न देने की बात कही गई थी।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने जिस तरह कहा है कि केंद्र सरकार चाहकर भी अरविंद केजरीवाल की सोच को गिरफ्तार नहीं कर सकती। यह इस बात का इशारा है कि आम आदमी पार्टी केजरीवाल के जेल जाने के बाद भी केजरीवाल के मॉडल को लोगों के सामने रखती रहेगी। आम आदमी पार्टी केजरीवाल की गिरफ्तारी को एक शहादत की तरह पेश करेगी और लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी का पूरा प्लान इसी के इर्द-गिर्द चलाया जाएगा। साथ ही इसके सहारे आम आदमी पार्टी इसे भाजपा की नाकामी भी बताने की कोशिश करेगी।

क्या मिलेगा जनता का साथ
सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि क्या इस शह-मात के खेल में अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर जनता का साथ मिलेगा। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले जब उन्होंने आंदोलन की राह पकड़ी थी तब देश के एक बड़े वर्ग में उन्होंने एक वैकल्पिक राजनीति के लिए बड़ी उम्मीद पैदा की थी। हालांकि, अब उन पर शराब घोटाले के आरोप लग चुके हैं। ऐसे में अरविंद केजरीवाल की छवि अब वह नहीं रह गई है जिस तरह की पहले हुआ करती थी। यदि आंदोलन होता भी है तो उस आंदोलन के पास अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल या योगेंद्र यादव जैसे नेता नहीं होंगे। ऐसे में आम आदमी पार्टी केजरीवाल की गिरफ्तारी का राजनीतिक लाभ उठा पाएगी, यह कहना मुश्किल है।