ईरान और रूस के विदेश मंत्रियों ने ग़ज़ा युद्ध में तत्काल युद्ध विराम पर बल दिया है
ईरान और रूस के विदेश मंत्रियों ने टेलीफ़ोन पर बातचीत में ग़ज़ा युद्ध की ताज़ा स्थिति का जायज़ा लेते हुए तत्काल युद्ध विराम पर बल दिया है।
शुक्रवार को ईरान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान और रूस के विदेश मंत्री सरगेई लारोव ने ग़ज़ा की ताज़ा स्थिति और क्षेत्रीय घटनाक्रमों पर विचार विमर्श किया है।
टेलीफ़ोन पर होने वाली इस बातचीत में ग़ज़ा पर इस्राईल के क्रूर हमलों पर चिंता व्यक्त करते हुए तत्काल रूप से युद्ध विराम की मांग की, ताकि ग़ज़ा की पीड़ित जनता के लिए मानवीय सहायता भेजी जा सके।
इस बातचीत में रूस के विदेश मंत्री लारोव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ग़ज़ा में युद्ध विराम के मास्को के प्रयासों से अमीर अब्दुल्लाहियान को अवगत करवाया।
ग़ौरतलब है कि ज़ायोनी शासन, फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधी गुटों के ख़िलाफ़ विनाशकारी युद्ध के बहाने, ग़ज़ा पट्टी में इस सदी का सबसे बड़ा नरसंहार करने में लगा हुआ है।

ईरान में 13 आबान और ग़ज़ा के समर्थन में विशाल रैलियों का आयोजन
ग़ज़ा पर इस्राईल के अंधाधुंध हमलों के दौरान, अमरीका और ज़ायोनी शासन की निंदा करने और 1979 में तेहरान में अमरीकी दूतावास पर छात्रों के निंयत्रण को चिह्नित करने के लिए पूरे ईरान में शनिवार को रैलियों का आयोजन किया गया।
शनिवार को ईरानी महीने आबान की 13 तारीख़ा को अमरीकी दूतावास पर छात्रों के निंयत्रण का दिन मनाया गया। इस दिन देश में इस्लामी क्रांति के आंदोलन की सफलता के बाद, छात्र क्रांतिकारियों ने अमरीकी दूतावास पर निंयत्रण कर लिया था, जो जासूसी का अड्डा बना हुआ था।
4 नवंबर 1979 को ईरानी छात्रों ने दूतावास या जासूसी के अड्डे पर निंयत्रण किया, जो 444 दिनों तक जारी रहा। छात्रों ने 52 अमरीकियों को भी बंदी बनाकर रखा हुआ था।
ईरानी कैलेंडर पर इस दिन को छात्र दिवस और वैश्विक अहंकार से लड़ने के राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
तेहरान में प्रदर्शनकारियों ने फ़िलिस्तीन स्क्वायर से पूर्व अमरीकी दूतावास तक मार्च निकाला और ग़ज़ा में ज़ायोनी सेना के युद्ध अपराधों की निंदा की।
प्रदर्शनकारी हाथों में फ़िलिस्तीनी झंडे पकड़े हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने इस्राईल, अमरीका और ब्रिटेन के झंडे भी जलाए। कुछ स्थानों पर अमरीका और इस्राईली झंडे सड़क पर पेंट किए गए थे, ताकि प्रदर्शनकारी उन्हें अपने पैरों तले रौंद सकें।
दुनिया की एक शक्तिशाली सेना होने का दावा करने वाली ज़ायोनी सेना ने नीचता की सारी हदें पार कर दीं
ग़ज़ा पर इस्राईली सेना के ताबड़तोड़ हवाई और ज़मीनी हमले तो जारी हैं, लेकिन इस बीच उसने ग़ज़ा में स्कूलों, अस्पतालों, मस्जिदों, चर्चों और शरणार्थी कैम्पों को निशाना बनाकर अत्याचार और क्रूरता की सारी हदें पार कर दी हैं।
दुनिया में बहुत से लोग इस भ्रम रहे कि इस्राईली सेना एक शक्तिशाली सेना है, लेकिन युद्ध के मैदान में यह सेना इतनी गिर जाएगी कि बच्चों, महिलाओं और मरीज़ों को निशाना बनाने के साथ ही अस्पतालों को थोड़ी-बहुत बिजली की आपूर्ति करने वाले सोलर पैनलों को भी हवाई हमलों में निशाना बनाएगी, यह किसी ने सोचा भी नहीं था।
इसके अलावा, इस्राईली सेना इतनी गिर गई है कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधी लड़ाकों से रूबरू होने के बजाए, स्कूलों को निशाना बना रही है, जहां हज़ारों फ़िलिस्तीनियों ने शरण ले रखी है। वह एम्बुलैंसों पर बमबारी कर रही है, जो मरीज़ों को लाने और ले जाने का काम कर रही हैं।
अनादोलु न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस्राईली लड़ाकू विमानों ने अस्पतालों की झतों पर लगे सोलर पेनल्स को निशाना बनाया है, जिससे पहले से ही ख़राब हालत में मरीज़ों और घायलों का इलाज करने वाले अस्पतालों के लिए स्थिति गंभीर हो गई है।
इस्राईली सेना ने उत्तरी ग़ज़ा स्थित जबालिया कैम्प के सबसे बड़े स्कूल अल-फ़ख़ूरा को निशाना बनाया है। इस स्कूल में हज़ारों लोगों ने पनाह ले रखी है।
हिज़्बुल्लाह ने इस्राईली सेना के 19 ठिकानों पर बरसाए ड्रोन और मिसाइल, पहली बार विस्फ़ोटक ड्रोन का किया इस्तेमाल
लेबनान क इस्लामी आंदोलन हिज़्बुल्लाह ने अपने पहले विस्फ़ोटक ड्रोन का इस्तेमाल करते हुए ज़ायोनी सेना के कई ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं।
शक्तिशाली प्रतिरोधी आंदोलन और ज़ायोनी सेना के बीच 7 अक्तूबर के बाद से लेबनानी सीमा पर झड़पें जारी हैं और दोनों एक दूसरे के ठिकानों को निशाना बना रहे हैं।
ग़ज़ा युद्ध की शुरूआत के बाद से आज हिज़्बुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह अपना पहला भाषण देने वाले हैं।
हिज़्बुल्लाह ने एक बयान जारी करके कहा है कि गुरुवार को उसके बलों ने इस्राईली सेना के 19 ठिकानों पर गाइडेड मिसाइल और दूसरे हथियारों से हमले किए हैं।
बयान में कहा गया है कि उसने अवैध क़ब्ज़े वाले शेबा फ़ार्म्स में स्थित ज़ायोनी सेना के एक कमांड सेंटर को दो विस्फ़ोटक ड्रोन से निशाना बनाया है।
हमास की सैन्य शाख़ा क़स्साम ब्रिगेड ने भी कहा है कि उसने इस्राईली शहर किरयात शमोना और उसके आस-पास के इलाक़ों पर 12 मिसाइल फ़ायर किए हैं।
क़स्साम ब्रिगेड के इस हमले के बाद, किरयात शमोना में एक शॉपिंग सेंटर के आस-पास खड़े वाहनों और दुकानों को आग में जलते हुए देखा जा सकता है।
ग़ज़ा में इस्राईल ने गवांए 23 सैनिक…लेबनान की सीमा पर 120 से अधिक सैनिक ढेर, ज़योनी मीडिया ने कहा मुर्ग़ाबियों की तरह शिकार हो रहे हैं सैनिक
ज़ायोनी शासन बेशक ग़ज़ा में जघन्य युद्ध अपराध कर रहा है और 9 हज़ार से अधिक लोगों की जानें ले चुका है जिनमें 70 प्रतिशत से अधिक बच्चे, औरतें और बूढ़े हैं मगर दूसरी तरफ़ उसे भारी संख्या में अपने सैनिकों से भी हाथ धोड़ा पड़ा है।
इस्राईली मीडिया का कहना है कि ग़ज़ा में गुरुवार तक 23 सैनिक मारे गए जबकि हिज़्बुल्लाह के अनुसार लेबनान की सीमा के क़रीब उसने कम से कम 120 इस्राईली सैनिकों को मार गिराया है। अलअक़सा तूफ़ान में तीन सौ से अधिक ज़ायोनी सैनिक पहले ही मारे जा चुके हैं।
ज़ायोनी सरकार ने मीडिया कवरेज पर सेंसर लगा रखा है इसलिए हमास की सैनिक शाखा के प्रवक्ता अबू उबैदा ने कहा कि ग़ज़ा में मारे गए ज़ायोनी सैनिकों की संख्या उससे बहुत ज़्यादा है जो ज़ायोनी सरकार बता रही है।
ज़ायोनी शासन के लिए यह बिल्कुल ही नई स्थिति है। इससे पहले 75 साल के इतिहास में ज़ायोनी शासन ने हमेशा एकतरफ़ लड़ाई लड़ी है यानी उसे साम्राज्यवादी ताक़तों का भरपूर समर्थन हासिल रहता था और क्षेत्रीय देशों में अरब सरकारें बीच उसने रक्षा और इंटैलीजेंस विभागों में सेंध लगा रखी थी जिसकी वजह से यह सरकारें उसके ख़िलाफ़ कुछ ख़ास नहीं कर पाती थीं और ज़ायोनी सरकार अपनी मर्ज़ी के अनुसार जब तक चाहता था फ़िलिस्तीनियों का नरसंहार करता था और उनके इलाक़ों को ख़ाली करवा कर हड़प लिया करता था।
यही वजह थी कि ज़ायोनी सेना को दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक घोषित किया गया और उसे अजेय तक कहा गया लेकिन पिछल कुछ दशकों में फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ और हिज़्बुल्लाह लेबनान ने कई मौक़े पर ज़ायोनी शासन को धूल चटाई और यह साबित किया कि ज़ायोनी सेना को हराया जा सकता है।
अब इन नए हालात में ज़ायोनी सैनिकों का मनोबल गिरा हुआ है क्योंकि वैश्विक हालात इस मोड़ पर पहुंच गए हैं कि पश्चिमी समर्थक और साम्राज्यवादी ताक़तें भी ज़ायोनी शासन को बचाने में असमर्थ नज़र आती हैं।
अमरीका इस युद्ध में ज़ायोनी शासन का साथ दे रहा है। अमरीकी ड्रोन विमान ग़ज़ा पट्टी पर उड़ानें भर रहे हैं और अमरीकी अधिकारियों का कहना है कि हमास द्वारा पकड़े गए क़ैदियों को रखे जाने की जगह का पता लगाने के लिए अमरीका यह आप्रेशन कर रहा है मगर ज़ायोनी गलियारों को यह चिंता है कि अगर बड़ी संख्या में अमरीकी सैनिकों की ज़रूरत पड़ी तो अमरीका यह मदद नहीं कर पाएगा।
ज़ायोनी शासन को एक चीज़ और भी बहुत परेशान कर रही है और वो पूरी दुनिया में फैल रही इस्राईल विरोधी भावना है। हालात यह हैं कि ब्रिटेन, फ़्रांस और अमरीका जैसे देशों में जो इस्राईल के बड़े समर्थक हैं लाखों की संख्या में लोग लगातार सड़कों पर निकल रहे हैं और इस्राईल के अपराधों की खुलकर आलोचना कर रहे हैं। अरब व इस्लामी देशों में तो इस्राईल के ख़िलाफ़ बड़ा आक्रोश है। हद यह है कि मीडिया पर गहरा कंट्रोल रखने के बावजूद ज़ायोनी शासन अपना प्रोपैगंडा मिशन प्रभावी रूप से आगे ले जाने में नाकाम हो चुका है।
एक और महत्वपूर्ण बात अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में इस्राईल का बढ़ता विरोध है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने इस्राईल के अपराधों के बारे में जो टिप्पणी की उससे तो इस्राईल इतना आगबबूला हुआ कि उसने एंटोनियो गुटेरस को महासचिव के पद से हटाने की मांग शुरू कर दी।
इन सारी परिस्थितियों ने दरअस्ल ज़ायोनी शासन को बहुत परेशान कर दिया है और वह बौखलाया हुआ है। उसकी समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करे और कैसे हालात को कंट्रोल करे।
#Erdogan withdraws Turkish ambassador from #Israel.
No: 283, 4 November 2023, Press Release Regarding Recalling of Our Ambassador in Tel Aviv, H.E. Mr. Şakir Özkan Torunlar, to Ankara for Consultations
In view of the unfolding humanitarian tragedy in Gaza caused by the continuing attacks by Israel against civilians, and Israel’s refusal of calls for ceasefire and continuous and unhindered flow of humanitarian aid, it was decided to recall our Ambassador in Tel Aviv, H.E. Mr. Şakir Özkan Torunlar, to Ankara for consultations.
Turkish MFA
@MFATurkiye
Press Release Regarding Recalling of Our Ambassador in Tel Aviv, H.E. Mr. Şakir Özkan Torunlar, to Ankara for Consultations
Emelia 🇸🇪
@Bernadotte22
We will not forget that the US actively supported, diplomatically and militarily, the Zionist Army against a helpless , besieged population.
We will not forget that the so called rules of war was seen violated repeatedly and consistently in Gaza while the US President Joe Biden continuously denied it.
We will not forget that American drones patrol the skies of Gaza in favor of Israel.
We will not forget the clear message that a white child in Ukraine has more value than the Arab child murdered by American weapons in Gaza.
We will not forget.
You have made us, as a Western society, feel that we are responsible for these crimes and partners in the massacres that you are committing against the children of Gaza.
Iran Observer
@IranObserver0
Hamas: