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अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के बयान ने मोदी सरकार की चूलें हिला दीं, बीजेपी में हड़कंप क्यों : रिपोर्ट George Soros

https://youtu.be/WUzCFbEr7vQ

अरबपति जॉर्ज सोरोस अदाणी-हिंडनबर्ग मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपनी टिप्पणी के बाद भारत में विवादों में आ गए हैं। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को सोरोस पर पलटवार करते हुए कहा कि अरबपति सोरोस भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।

आइए जानें कौन हैं जॉर्ज सोरोस और उनका विवादों से क्या नाता रहा है। उन्होंने अपनी संपत्ति कैसे अर्जित की और उनकी आलोचना क्यों होती है?

अमेरिकी अरबपति-परोपकारी जॉर्ज सोरोस पर आरोप लगाया जाता है कि वे राजनीति को आकार देने और सत्ता परिवर्तन के लिए अपने धन और प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने 2020 में राष्ट्रवाद के प्रसार से निपटने के लिए एक नए विश्वविद्यालय नेटवर्क को एक बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद देने का एलान किया था। वह भारत के प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भी आलोचक रहे हैं।

Bloomberg
@business
“Modi is silent on the subject, but he will have to answer questions.”

Billionaire investor George Soros urges Indian PM Narendra Modi to respond to questions regarding the turmoil surrounding Gautam Adani’s business empire, calling them “close allies

2020 में सोरोस ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि राष्ट्रवाद आगे बढ़ रहा है और उन्होंने यह भारत में “सबसे बड़े झटके” की तरह है।

जॉर्ज सोरोस को बैंक ऑफ इंग्लैंड को बर्बाद करने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। जिस तरह से भारत में रिजर्व बैंक (आरबीआई) काम करता है उसी तरह ब्रिटेन में बैंक ऑफ इंग्लैंड काम करता है। सोरोस पर आरोप लगते हैं कि हेज फंड मैनेजर ने एक समय पर ब्रिटिश मुद्रा (पाउंड) को शॉर्ट कर एक बिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया था।

ANI
@ANI
The man who broke bank of England & is designated by nation an economic war criminal has now pronounced his desire to break Indian democracy. George Soros an international entrepreneur has declared his ill-intention to intervene in democratic processes of India: Smriti Irani, BJP

फोर्ब्स के अनुसार, 17 फरवरी, 2023 तक जॉर्ज सोरोस की कुल संपत्ति 6.7 बिलियन डॉलर है। वह दुनिया के सबसे धनाढ्य लोगों में से एक हैं। 1969 से 2001 तक जॉर्ज सोरोस ने एक प्रसिद्ध हेज फंड टाइकून के रूप में न्यूयॉर्क में ग्राहकों के धन का प्रबंधन किया।

दुनिया के सबसे धनी लोगों में से एक जॉर्ज सोरोस को एक संपन्न परिवार में पैदा होने के बावजूद संघर्ष करना पड़ा। कहा जाता है कि सोरोस ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अपनी पढ़ाई के लिए रेलवे पोर्टर और वेटर के रूप में काम किया।

Marya Shakil
@maryashakil
“…he (Modi) will have to answer questions… This will significantly weaken Modi’s stranglehold on India’s federal Govt.”

“…I expect a democratic revival in India.”

George Soros wades into the Adani saga.

Does this play into BJP’s claim of an external conspiracy? Interesting.

विश्वकोश ब्रिटानिका के अनुसार, सोरोस का जन्म हंगरी के बुडापेस्ट में 1930 में हुआ था। हालांकि उनका जन्म एक समृद्ध यहूदी परिवार में हुआ था, लेकिन 1944 में हंगरी में नाजियों के आगमन के कारण उनके शुरुआती दिन संघर्ष भरे रहे।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर की ओर से बनाए गए यातना शिविरों में भेजे जाने से बचाने के लिए सोरोस को परिवार से अलग करना पड़ा। सोरोस 1947 में अपने परिवार के साथ लंदन चले गए। ब्रिटानिका के अनुसार, सोरोस ने दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया और दार्शनिक बनने की योजना बनाई।

Zahack Tanvir – ضحاك تنوير
@zahacktanvir
#GeorgeSoros one of the main architects of #ArabSpring that resulted in the bloodbath in #MiddleEast, has predicted that #Modi will be weakened by #Adani.

It’s as plain as a day—the global left lobby is working hard against #India.

Note: We shouldn’t become the cannon fodder!

सोरोस ने अपना फंड बनाने से पहले लंदन मर्चेंट बैंक में काम किया। सोरोस 1956 में न्यूयॉर्क शहर चले गए जहां उन्होंने यूरोपीय प्रतिभूतियों के विश्लेषक (एनालिस्ट) के रूप में काम करना शुरू किया।

जॉर्ज सोरोस पर 1997 में थाईलैंड की मुद्रा (बाहट) पर सट्टा सट्टा लगाकर उसे कमजोर करने के भी आरोप लगते हैं। हालांकि खुद सोरोस इस आरोप से इंकार करते हैं। उनका नाम उस वित्तीय संकट से जोड़ा गया था जो उस वर्ष एशिया के अधिकांश हिस्सों में फैल गया था। मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री महातिर बिन मोहम्मद ने रिंगिट के पतन के लिए भी सोरोस को जिम्मेदार ठहराया था।

सोरोस ने 1984 में अपनी संपत्ति के कुछ हिस्सों का उपयोग करके ओपन सोसाइटी फाउंडेशन नामक एक परोपकारी संगठन की स्थापना की। ओपन सोसाइटी कई परोपकारी संगठनों का नेटवर्क था। सोरोस ने वर्ष 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी को 128.5 मिलियन डॉलर का दान दिया और और वे सबसे बड़े दानदाता रहे। सोरोस अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के राष्ट्रपति अभियान के पीछे भी एक प्रमुख चेहरा थे।

ब्रिटानिका के अनुसार, ओपन सोसाइटी फाउंडेशन 21वीं सदी की शुरुआत से 70 से अधिक देशों में काम कर रहा है। 2017 में ऐसी खबरें आई थीं कि सोरोस ने हाल के वर्षों में ओपन सोसाइटी फाउंडेशन को करीब 18 अरब डॉलर दिए हैं।

सोरोस ने 2010 में ह्यूमन राइट्स वॉच को 100 मिलियन डॉलर का दान दिया था। उदारवादी रुख और डेमोक्रेटिक पार्टी से नजदीकी के कारण सोरोस को अक्सर कंजरवेटिव और रिपब्लिकन पार्टी की आलोचना का शिकार होना पड़ता है।