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अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की वापसी से क्या आर्थिक प्रगति कर पाएगा ईयू?!!रिपोर्ट!!

यूरोपीय संघ के भविष्य पर बात करने के लिए हंगरी में दो शिखर सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं. अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की वापसी चर्चा के प्रमुख मुद्दों में शामिल रहेगा.

इसी साल जुलाई में ब्रिटेन में हुए चौथे यूरोपियन पॉलिटिकल कम्युनिटी (ईपीसी) शिखर सम्मेलन के दौरान यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने कहा था कि हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन व्हाइट हाउस पहुंचेगा, यूरोप को ज्यादा स्वतंत्र और लचीला बनना होगा. चार्ल्स ने यह बात डीडब्ल्यू को दिए इंटरव्यू में कही थी.

अब अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद ईपीसी के अगले शिखर सम्मेलन के लिए इसके 47 सदस्य देश बुडापेस्ट में इकट्ठा हो रहे हैं. शिखर सम्मेलन के प्रमुख मुद्दों में डॉनल्ड ट्रंप की जीत के बाद यूरोप का रुख, यूक्रेन को मिल रहे समर्थन पर वॉशिंगटन की आगामी रिपब्लिकन सरकार का रुख, नाटो सुरक्षा गारंटी और यूरोप में रूस के खतरे पर बातचीत की जाएगी.

शिखर सम्मेलन के अपने निमंत्रण पत्र में चार्ल्स मिशेल ने दुनिया के प्रमुख संकटों – रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व में जारी हिंसा, अफ्रीका में जारी संघर्ष और अस्थिरता, कमजोर वैश्विक अर्थव्यस्था और अनियमित प्रवासन के बारे में लिखा. उन्होंने लिखा, “दुनिया के ये संकट हमारे क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को खतरे में डाल रहे हैं.”

हंगरी के पीएम विक्टर ओरबान के साथ मतभेद
शिखर सम्मेलन की सह-मेजबानी कर रहे हंगरी के दक्षिणपंथी प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान लगातार डॉनल्ड ट्रंप का समर्थन करते रहे हैं. ट्रंप की वापसी को उन्होंने “दुनिया की जीत” कहा है. कुछ महीने पहले उन्होंने अपने सहयोगियों को तब नाराज कर दिया था, जब वे एक शांति मिशन के दौरान कीव, मॉस्को, बीजिंग और ट्रंप के फ्लोरिडा में मौजूद घर मार-ए-लागो की यात्रा पर निकल गए थे.

ओरबान ने दावा किया था कि ट्रंप कुछ ही दिनों में यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध को खत्म कर देंगे. उन्होंने कहा कि वह यूरोप के इकलौते ऐसे नेता थे, जो शांति चाहते थे. इसके जवाब में यूरोपीय संघ (ईयू) के नेताओं ने हड़ताल का आयोजन किया है, जिसमें मुट्ठीभर मंत्री शामिल हुए. ईयू की तरफ से कोई भी आयुक्त बुडापेस्ट में हंगरी द्वारा आयोजित अनौपचारिक मंत्री स्तरीय बैठक में शामिल नहीं हुआ.

क्या डॉनल्ड ट्रंप को न्योता दिया गया था?
ओरबान पूरी तैयारी में हैं. रिपोर्टों से पता चलता है कि उन्होंने वीडियो लिंक के जरिए ट्रंप को इस सम्मेलन में शामिल करने की योजना बनाई है. हालांकि, ईयू के राजनयिकों ने शिखर सम्मेलन की तैयारियों से पहले ही इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.

इसके जवाब में ओरबान ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ होने वाली वीडियो कॉन्फ्रेंस रद्द करने की धमकी दी. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि जेलेंस्की व्यक्तिगत रूप से इसमें शामिल होंगे या नहीं.

अगर जनवरी में अमेरिका ने यूक्रेन को दी जा रही मदद रोक दी, तो जेलेंस्की को उम्मीद है कि वे ईपीसी और ईयू के सदस्यों को यूक्रेन को और सहायता देने के लिए मना लेंगे. चुनावी प्रचार के दौरान ट्रंप यूक्रेन को दी जा रही मदद घटाने जैसे बयान दे चुके हैं.

क्या टैरिफ में वृद्धि के लिए तैयार है ईयू?
जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स समेत कई यूरोपीय नेताओं ने ट्रंप को जीत की बधाई दी है और घोषणा की है कि वे अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी को जारी रखना चाहते हैं. कूटनीति से इतर ईयू ट्रंप की वापसी को लेकर पहले से ही आर्थिक नीतियां तैयार कर रहा है. यूरोपीय आयोग और सदस्य देश ट्रंप द्वारा टैरिफ लागने की धमकियों का जवाब देने के लिए तैयार हैं.

निर्यात के लिहाज से अमेरिका, जर्मनी के लिए महत्वपूर्ण है. म्यूनिख स्थित लाइबनित्स इंस्टिट्यूट फॉर इकोनॉमिक रिसर्च का अनुमान है कि अगर जर्मनी पर टैरिफ लगाया गया, तो उसकी अर्थव्यवस्था को 33 बिलियन यूरो का नुकसान हो सकता है.

क्या आर्थिक प्रगति कर पाएगा ईयू?
8 नवंबर को हो रहे ईपीसी शिखर सम्मेलन के ठीक बाद 27 ईयू राष्ट्राध्यक्ष और सरकारें एक अनौपचारिक बैठक करेंगे, जिसमें चीन और अमेरिका जैसी अर्थव्यवस्थाओं से निपटने की योजना पर चर्चा की जाएगी.

इससे पहले सितंबर में इटली के अर्थशास्त्री और यूरोपीय सेंट्रल बैंक के पूर्व प्रमुख मारियो द्रागी ने “यूरोपीय प्रतिस्पर्धा के भविष्य” पर एक रोडमैप की रूपरेखा तैयार की, जिसमें सैकड़ों अरब यूरो के निवेश की बात कही गई थी. हालांकि, इतनी बड़ी राशि इकट्ठा करने को लेकर ब्लॉक के भीतर ही सहमति नहीं बन पाई.

जर्मनी की लगातार गिरती अर्थव्यवस्था, जो मंदी के मुहाने पर है, चिंता का विषय है. जर्मनी को नुकसान का मतलब है समूचे यूरोप का नुकसान. बर्लिन में जारी राजनीतिक खींचतान के अलावा फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों की घटती लोकप्रियता ने ईयू के भीतर जर्मन-फ्रांसीसी नेतृत्व को कमजोर किया है. इसकी भरपाई के लिए ओरबान और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी जैसे दक्षिणपंथी नेता तैयार खड़े दिखते हैं.

फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमला करने के बाद यूरोपियन पॉलिटिकल कम्युनिटी (ईपीसी) की स्थापना की गई थी. यह लगभग सभी यूरोपीय देशों को एक साथ लाता है, जिसमें तुर्की के साथ-साथ कॉकेशियन और पश्चिमी बाल्कन देश भी शामिल हैं. रूस और उसके करीबी बेलारूस को इसमें आमंत्रित नहीं किया गया था.

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