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अमेरिका ने लिखना शुरू कर दी सऊदी अरब की बर्बादी की कहानी, यूएस आर्मी का रिकॉर्ड जहां क़दम रखा वहां तबाही हुई : रिपोर्ट

अमेरिका ने सऊदी अरब में नई मिलिट्री बेस खोलने का ऐलान किया है। बताया जा रहा है कि यह मिलिट्री बेस एक टेस्टिंग फैसिलिटी के तौर पर काम करेगा, जहां अमेरिकी सेना तैनात होगी।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, दुनिया इस बात को जानती है कि जहां भी अमेरिका ने क़दम रखा है वहां-वहां तबाही ज़रूर हुई है। अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया और इराक़ हाल ही के उदाहरण हैं। अब अमेरिका ने सऊदी अरब में सैन्य छावनी खोलने का एलान कर दिया है। अमेरिकी मीडिया के अनुसार, सऊदी अरब में अमेरिका एक ऐसा मिलिट्री बेस स्थापित करने जा रहा है कि जहां फैसिलिटी में एंटी ड्रोन तकनीक और इंट्रीग्रेटेड एयर एंड मिसाइल डिफेंस सिस्टम की टेस्टिंग की जाएगी। अमेरिकी नौसेना की सेंट्रल कमांड या CENTCOM ने बताया है कि इस योजना पर लंबे समय से काम चल रहा था। सेंटकॉम पश्चिमी एशिया और विशेषकर ईरान को दृष्टिगत रखकर इस इलाक़े में अमेरिकी सैन्य गतिविधियों का संचालन करती है। सऊदी अरब में खुलने वाले अमेरिका के मिलिट्री टेस्टिंग फैसिलिटी का नाम रेड सेंड इंट्रीग्रेटेड एक्सपेरिमेंटेशन सेंटर होगा। यह न्यू मैक्सिको में स्थित अमेरिका की व्हाइट सैंड्स मिसाइल रेंज की तरह ही विशाल होगा।

अमेरिका के इस मिलिट्री बेस के लिए अभी तक जगह का निर्धारण नहीं किया गया है। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि सऊदी अरब के पास ज़मीन की कोई कमी नहीं है। ऐसे में जगह का निर्धारण न होना कोई समस्या नहीं है। कम आबादी होने के कारण कई ऐसे इलाक़े हैं, जहां लोगों को प्रभावित किए बिना इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, सिग्नल जैमिंग और डायरेक्ट एनर्जी वेपन की टेस्टिंग की जा सकती है। एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने कहा कि सऊदी अरब के चारों ओर अमेरिका के लिए कई सारी चुनौतियां मौजूद हैं। ऐसे में सऊदी मे मिलिट्री बेस स्थापित कर इन सबका सामना एक साथ किया जा सकता है। एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि सेंटकॉम के कमांडर जनरल माइकल एरिक कुरिल्ला ने पिछले महीने इस क्षेत्र में कई अमेरिकी सहयोगियों के साथ एक बैठक में इस विचार का प्रस्ताव रखा था। इस दौरान सभी सहयोगियों ने जनरल कुरिल्ला के विचार को भारी समर्थन दिया था। वहीं जानकारों का मानना है कि अमेरिका की इस टेस्टिंग फैसिलिटी की योजना का ऐलान बताता है कि वह ईरान की बढ़ती सैन्य शक्ति से कितना घबराया हुआ है। बता दें कि ईरान ने हाल के कुछ वर्षों में अपनी प्रतिरक्षा क्षमता को मज़बूत करते हुए बड़े पैमाने पर बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन का निर्माण किया है।