इसराइल ने कहा है कि हमास ने ग़ज़ा में इसराइल के साथ युद्ध विराम के वर्तमान प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया है जो दिखाता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तत्काल युद्ध विराम की मांग वाले प्रस्ताव ने ‘नुक़सान’ पहुँचाया है.
प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा है कि फ़लस्तीनी हथियारबंद समूह की ‘भ्रमपूर्ण मांगों’ के आगे इसराइल सरेंडर नहीं करेगा.
इसराइल का कहना है कि हमास ने युद्ध ख़त्म करने और पूरी तरह से इसराइली सुरक्षाबलों के ग़ज़ा के बाहर जाने की मांग की है.
वहीं अमेरिका ने कहा है कि इसराइल का बयान ‘लगभग हर मामले में ग़लत है.’
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ज़ोर देते हुए कहा है कि हमास का बयान सोमवार को सुरक्षा परिषद में मतदान के पहले ही तैयार कर लिया गया था.
हालांकि, इसराइली सेना ने कहा है कि उसने पुष्टि की है कि हमास की सैन्य विंग के उप नेता मरवान इसा दो सप्ताह पहले नुसैरत शरणार्थी कैंप के टनल कॉम्प्लेक्स पर हुए हवाई हमले में मारे गए हैं.
बीते 24 घंटे में 81 लोगों की मौत
इसराइली सेना के प्रवक्ता रियर एडमिरल डेनियल हगारी ने कहा, “हमने सभी ख़ुफ़िया ख़बरों को चेक कर लिया है. मरवान इसा को हवाई हमले में मार दिया गया है.”
हमास के एक राजनेता इज़्ज़त अल-रिश्क कहते हैं कि इसराइली दावे में उनका ‘भरोसा नहीं है’ और संगठन के सैन्य नेतृत्व ही इस पर ‘आख़िरकार कुछ कहेगा.’
रियर एडमिरल हगारी ने बताया है कि इसा इस समूह के ‘नंबर तीन के नेता थे’ और सात अक्तूबर को दक्षिण इसराइली पर हमले के ‘मुख्य आयोजनकर्ताओं में से एक थे.’
इसराइल पर हुए हमास के हमले में 1,200 लोगों की मौत हुई थी जबकि 253 लोगों को बंधक बना लिया गया था.
इसके बाद इसराइल ने ग़ज़ा में अभियान चलाया था. हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि ग़ज़ा में अब तक 32,400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि बीते 24 घंटों में 81 लोगों की मौत हुई है.
ग़ज़ा में युद्ध विराम के मुद्दे को लेकर गतिरोध बना हुआ है. पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ग़ज़ा में तत्काल युद्ध विराम लागू करने को लेकर प्रस्ताव पास किया गया है, जिसके ख़िलाफ़ इसराइल ने कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज की है.
प्रस्ताव में हमास की निंदा का ज़िक्र नहीं
ब्रिटेन समेत सुरक्षा परिषद के 14 सदस्यों ने इस प्रस्ताव के समर्थन में वोट दिया था. इस प्रस्ताव में युद्ध विराम के साथ-साथ बाक़ी बचे बंधकों को बिना शर्त रिहा करना और मानवीय सहायता को विस्तार देना शामिल है.
इसराइल के क़रीबी सहयोगी और मिलिट्री सपोर्टर अमेरिका ने सात अक्तूबर के हमले के लिए हमास की निंदा करने में नाकाम रहने के लिए इस प्रस्ताव की आलोचना की है.
हालांकि, इसराइल के युद्ध के तरीक़े से बढ़ती नाराज़गी को लेकर अमेरिका इस प्रस्ताव के मतदान से अनुपस्थित रहा. लेकिन अमेरिका ने कहा कि वो इस युद्ध के मुख्य उद्देश्यों का पूरी तरह समर्थक है.
इस प्रस्ताव के विरोध में इसराइल ने वॉशिंगटन जा रहे अपने प्रतिनिधिमंडल के दौरे को रद्द कर दिया है. यह प्रतिनिधिमंडल ग़ज़ा के दक्षिणी शहर रफ़ाह में ज़मीनी अभियान चलाने की अपनी योजना पर चर्चा के लिए वहां जा रहा था.
इस समय रफ़ाह में 10 लाख से अधिक लोग शरण लिए हुए हैं. अमेरिका ने चेतावनी दी है कि पूरी तरह से हमला मानवीय त्रासदी साबित हो सकता है.
बाद में हमास ने बयान जारी कर युद्ध विराम की योजना को ख़ारिज कर दिया था. ये योजना अमेरिका, क़तर, मिस्र की मध्यस्थता में दोहा में हुई अप्रत्यक्ष वार्ता के बाद आई थी.
हमास ने कहा था कि वो अपनी असल मांगों पर अब भी टिका हुआ है, जिसके तहत ‘स्थायी युद्ध विराम के साथ-साथ’ ग़ज़ा से इसराइली सुरक्षाबलों को पूरी तरह से निकालने और विस्थापित फ़लस्तीनियों को घर वापस लौटाने की मांग की गई है.
मंगलवार की सुबह इसराइली प्रधानमंत्री के कार्यालय ने कहा है कि हमास का रवैया ‘साफ़ दिखाता है कि उसका बातचीत के ज़रिए किए गए सौदे में कोई रुचि नहीं है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव से हुए नुक़सान की पुष्टि करता है.’
बयान में आगे कहा गया, “इसराइल हमास की भ्रामक मांगों को नहीं देखेगा.”
“इसराइल युद्ध के उद्देश्यों को पाकर रहेगा, जिसमें हमास की सैन्य और सरकारी क्षमताओं को नष्ट करना, सभी बंधकों को छुड़ाना और यह सुनिश्चित करना है कि ग़ज़ा भविष्य में इसराइल के लोगों के लिए ख़तरा न बन पाए.”
इसराइल की वार्ता टीम के लौटने की ख़बर
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने आलोचनाओं को ख़ारिज किया है.
उन्होंने वॉशिंगटन में पत्रकारों से कहा, “यह बयान लगभग हर मामले में ग़लत है, बंधकों और उनके परिवारों को लेकर अनुचित है.”
“हमास की प्रतिक्रिया के बारे में जो बताया जा रहा है वो न्यूज़ रिपोर्ट्स के ज़रिए सार्वजनिक हुआ है. ये प्रतिक्रिया का वास्तविक सार नहीं है. मैं कह सकता हूं कि ये जवाब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मतदान से पहले तैयार किया गया था न कि उसके बाद.”
क़तर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल-अंसारी ने दोहा में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि अप्रत्यक्ष बातचीत ‘रोकी नहीं गई है बल्कि जारी है.’
उन्होंने कहा, “बातचीत के लिए कोई टाइमटेबल नहीं है बल्कि बातचीत की कोशिशें अपने पार्टनर के साथ जारी रखे हुए हैं.”
हालांकि इसराइली मीडिया और रॉयटर्स न्यूज़ एजेंसी ने इसराइली अधिकारियों के हवाले से कहा है कि इसराइल ने 10 दिन तक चली बातचीत के बाद अपनी बातचीत करने वाली टीम को वापस बुला लिया है.
ईरान के दौरे के दौरान हमास के राजनेता इस्माइल हानिया ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव दिखाता है कि इसराइल अभूतपूर्व राजनीतिक अलगाव का सामना कर रहा है.
बीते साल नवंबर के आख़िर में एक सप्ताह तक चले युद्ध विराम के दौरान 105 इसराइली बंधकों के बदले में इसराइली जेलों में बंद तक़रीबन 240 फ़लस्तीनी क़ैदियों को रिहा किया गया था.
हमास ने जिस नए सौदे को ख़ारिज किया है, उसमें कथित तौर पर छह सप्ताह के लिए जंग रोकने का प्रस्ताव था जिसके बदले में हमास की क़ैद में मौजूद 40 इसराइली बंधकों को 800 फ़लस्तीनी क़ैदियों के बदले रिहा करना था.
वहीं ग़ज़ा में ज़मीन पर अभी भी युद्ध में हार मान लेने के कोई संकेत नहीं है. ताज़ा इसराइली हवाई हमले में कथित तौर पर कई दर्जन फ़लस्तीनी मारे गए हैं.
फ़लस्तीनी मीडिया और स्थानीय स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि रफ़ाह के बाहरी हिस्से में एक आवासीय इमारत पर हवाई हमले में कम से कम 18 लोग मारे गए हैं जिनमें नौ बच्चे शामिल हैं.
उनका कहना है कि मुसाबाह इलाक़े में अबू नक़ीरा के घर में दर्जनों विस्थापित लोगों ने शरण ले रखी थी.
उत्तरी ग़ज़ा में अबू हसीरा परिवार के सदस्यों ने रॉयटर्स न्यूज़ एजेंसी से कहा कि ग़ज़ा सिटी के अल-शिफ़ा अस्पताल के नज़दीक हवाई हमले में 30 लोगों की मौत हुई है.
इसराइली सेना ने मंगलवार की सुबह कहा कि उसने बीते 24 घंटों में 60 ठिकानों को निशाना बनाया है जिसमें ‘आतंकी सुरंगें, आतंकी ढांचा और सैन्य ढांचा भी शामिल है.’
इस बयान में कहा गया है कि इसराइली सुरक्षाबलों ने ‘अल-शिफ़ा अस्पताल इलाक़े में सटीक ऑपरेशनल एक्टिविटी की है.’