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अमेरिका का नया और ख़तरनाक गेम : तबाही से एक क़दम दूर है दुनिया, रूस ने जारी की चेतावनी, मैक्रां ने की पुतीन से की बात : रिपोर्ट

वैसे हमेशा से अमेरिका और चीन के संबंधों में तनाव रहा है परंतु जब से अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया है उसके बाद से दोनों देशों के संबंध बहुत तनावग्रस्त हो गये हैं।

अमेरिका और चीन के संबंधों में तनाव इस हद तक बढ़ गया है कि नैंसी पेलोसी की यात्रा से पहले चीन के राष्ट्रपति शि जीनपिंग ने अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडन से टेलीफोनी वार्ता में कहा था कि जो भी आग से खिलवाड़ करेगा वह नष्ट हो जायेगा।

उसके बाद चीन ने सैनिक धमकी भी दी थी परंतु अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी चीन की नाराज़गी और उसकी चेतावनी की अनदेखी करते हुए अमेरिकी वायुसेना के विमान से ताइवान की यात्रा पर पहुंची जिसके बाद चीन के क्रोध का पारा और बढ़ गया और उसके कई युद्धक विमान ताइवान में घुस गये और चीन ने युद्धाभ्यास भी आरंभ कर दिया।

अभी चीन का क्रोध ठंडा भी नहीं हुआ था कि नैंसी पेलोसी की यात्रा के बाद अमेरिकी सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल भी ताइवान की यात्रा पर पहुंच गया। “वन चाइना” नीति के तहत चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और जब भी किसी देश का अधिकारी या नेता ताइवान की यात्रा करता है तो चीन उसे अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप समझता है क्योंकि उसका मानना है कि अगर किसी देश का नेता या सरकारी पदाधिकारी ताइवान की यात्रा करता है तो चीन इस प्रकार की यात्रा को ताइवान को अलग देश के रूप में मान्यता देने के अर्थ में देखता है और इस प्रकार के कार्य से ताइवान में उन लोगों को बल मिलता है जो चीन से स्वतंत्रता चाहते हैं।

सवाल यह पैदा होता है कि जब चीन ताइवान की यात्रा करने पर आग बबुला हो जाता है तो अमेरिका नेताओं को ताइवान की यात्रा करने की ज़रूरत क्या है? इस संबंध में बहुत से जानकार हल्कों का मानना है कि वास्तव में अमेरिका को ताइवान से कोई सहानुभूति नहीं है जिसकी वजह से अमेरिकी अधिकारी ताइवान जाने को इतना ज़रूरी समझें बल्कि वास्तविकता यह है कि अमेरिका को यह लग रहा है कि रूस- यूक्रेन युद्ध में चीन रूस की सहायता कर रहा है और उसका पक्ष ले रहा है और अमेरिका तथा रूस की दुश्मनी बहुत पुरानी है यह बात सब जानते हैं।

दूसरे शब्दों में अमेरिका की वर्चस्ववादी नीति के मार्ग की एक सबसे बड़ी रुकावट रूस और चीन हैं और जब से रूस- यूक्रेन युद्ध आरंभ हुआ है तब से अमेरिका और पश्चिमी व यूरोपीय देशों ने रूस के खिलाफ बहुत सारे प्रतिबंध लगा दिये हैं और ये देश परोक्ष रूप से रूस से लड़ रहे हैं परंतु प्रतीत यह रहा है कि पश्चिमी विशेषकर यूरोपीय देश रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने और यूक्रेन को हथियार देने में अमेरिका का साथ देकर बुरी तरह फंस गये हैं परंतु अमेरिका ने जो गेम यूक्रेन में खेला और आरंभ किया है अब वही गेम वह ताइवान में खेलना चाहता है और इसी नीति के तहत अमेरिकी अधिकारी ताइवान की यात्रा कर रहे हैं।

दूसरे शब्दों में अमेरिकी अधिकारी चीन को उकसा रहे हैं और चीन ने ताइवान और उसके आस पास के क्षेत्रों में जो युद्धाभ्यास आरंभ कर रखा है उसे इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है और अगर यह कहा जाये कि अमेरिका और चीन के मध्य शीतयुद्ध आरंभ हो चुका है तो गलत न होगा

तबाही से एक क़दम दूर है दुनिया? रूस ने जारी की चेतावनी, मैक्रां ने की पुतीन से की बातचीत

रूस और यूक्रेन के टकराव के बीच फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रां और रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतीन ने एकबार फ‍िर एक दूसरे से फोन पर बातचीत की है। क्रेमलिन ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रपति पुतीन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां ने शुक्रवार को फोन पर यूक्रेन की स्थिति को लेकर चर्चा की।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, रूस के राष्ट्ररति व्‍लादिमीर पुतीन ने कहा कि दक्षिणी यूक्रेन में रूस नियंत्रित ज़ापोरिज़िया परमाणु संयंत्र पर यूक्रेनी सेना की ओर से गोलाबारी की गई है जिसके बाद से बड़े पैमाने पर तबाही का ख़तरा पैदा हो गया है। समाचार एजेंसी रायटर की रिपोर्ट के अनुसार दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने परमाणु संयंत्र में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की ओर से टीम भेजे जाने पर सहमति जताई है। क्रेमलिन के अनुसार, इस बातचीत में पुतीन ने मैक्रां को दुनिया के बाज़ारों में रूसी खाद्य और फर्टिलाइज़र उत्पादों की आपूर्ति में आ रही बाधाओं से भी अवगत कराया।


इस बीच क्रेमलिन ने कहा कि राष्ट्रपति पुतीन ने ज़ापोरिज़िया परमाणु संयंत्र के संबंध में आईएईए निरीक्षकों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए अपनी तत्परता की घोषणा की है। रूस और फ्रांस के राष्ट्रपति अगले कुछ दिनों में फिर से फोन पर बात करने पर सहमत हुए। यूक्रेन की ज़ापोरिज़िया यूरोप की सबसे बड़ी परमाणु सुविधा और दुनिया की 10वीं है। 24 फरवरी को एक विशेष सैन्य अभियान शुरू करने के तुरंत बाद रूस ने यूक्रेन पर नियंत्रण कर लिया। यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि रूस ने परमाणु संयंत्र के आसपास भारी हथियार तैनात किए हैं। यूक्रेन के शीर्ष परमाणु अधिकारी ने दावा किया कि परमाणु संयंत्र में 500 रूसी सैनिक और 50 भारी हथियार थे। पिछले कुछ हफ्तों में, प्रतिष्ठान पर लगातार हमले हुए हैं। इन हमलों के लिए रूस और यूक्रेन एक दूसरे को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं।