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“अमेरिका आतँकवादियों को हथियार मुहैय्या कर रहा है” तय्यब एर्दोगान ने किया तीखा प्रहार

नई दिल्ली: तुर्की राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान ने अमेरिका के खिलाफ लमाबंद होकर मोर्चा खोला है,जिसके बाद एर्दोगान ने कहा है कि अमेरिका ने आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिये पिछले सालों में 19 हज़ार हथियारों और सैनिक उपकरणों से लदे ट्रक सीरिया भेजे हैं।

तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगान ने दावा किया है इन हथियारों को सीरिया सक्रिय आतंकवादियों को मानवता के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिये दिया गया है।

इंटरनेशनल समाचार एजेन्सी इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार रजब तय्यब एर्दोगान ने विश्व में शांति व सुरक्षा स्थापित करने के संबंध में इस्तांबोल में आयोजित एक कांफ्रेस में सीरिया में अमेरिका की ओर से आतंकवादी गुटों की सहायता को रोके जाने का आह्वान किया।

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तय्यब अर्दोग़ान ने कहा कि सीरिया संकट के आरंभ से अमेरिका ने सीरिया में सक्रिय आतंकवादी गुटों के लिए हथियारों और सैनिक संसाधनों से लदे 19 हज़ार ट्रक भेजे हैं और उसकी विनाशकारी भूमिका रही है।

उन्होंने सीरिया में अमेरिका की मौजूद कई छावनियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि इन छावनियों को ग़ैर कानूनी रूप से सीरिया में बनाया गया है और ये छावनियां सीरिया संकट के और जटिल होने का कारण बनी हैं।

तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि सीरिया के एदलिब नगर में लगभग 35 लाख लोग ख़तरे में थे परंतु हमने प्रयास करके और सूची, अंकारा और तेहरान में ईरानी व रूसी अधिकारियों से वार्ता करके इस मानवीय संकट को अस्तित्व में आने से रोक लिया।

अर्दोग़ान ने इसी प्रकार राष्ट्रसंघ के ढांच में सुधार की मांग की और कहा कि यह संगठन न्याय पर आधारित मांगों का जवाब नहीं दे सका और इसमें सुधार की आवश्यकता है।

इसी प्रकार तुर्की के राष्ट्रपति ने सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की मांग की और कहा कि अगर इस मांग को क्रियान्वित नहीं किया जा सका तो इस बात की अपेक्षा नहीं करना चाहिये कि पांच देश विश्व में न्याय स्थापित कर सकेंगे।

उन्होंने फिलिस्तीन के संबंध में राष्ट्रसंघ के क्रिया- कलापों की आलोचना करते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद के कुछ सदस्यों का विरोध और उनके द्वारा जायोनी शासन की विस्तारवादी कार्यवाहियों का समर्थन फिलिस्तीन मामले के समाधान की दिशा में रुकावट बना है।

ज्ञात रहे कि तुर्की के इस्तांबोल नगर में विश्व में शांति व सुरक्षा के संबंध में एक अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेन्स हुई है जिसमें विश्व के विभिन्न देशों के 600 से अधिक राजनेता, पत्रकार, व्यापारी और बुद्धिजीवी आदि भाग ले रहे हैं।