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अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व विमान चालकों को कैलीफ़ोर्निया में यूक्रेन में लड़ने के लिए ट्रेनिंग दे रहा है : रिपोर्ट

रूसी न्यूज़ एजेन्सी तास ने खबर दी है कि अमेरिका अफगानिस्तान के पूर्व विमान चालकों को कैलीफोर्निया में यूक्रेन में लड़ने के लिए ट्रेनिंग दे रहा है।

तास न्यूज़ एजेन्सी ने बताया है कि अमेरिकी प्रतिरक्षामंत्रालय न केवल अफगानिस्तान के पूर्व विमान चालकों बल्कि हर उस अफगानी को यूक्रेन में लड़ने की ट्रेनिंग दे रहा है जो अफगानिस्तान की पहले की सरकार में सुरक्षा कर्मी था और ट्रेनिंग के बाद इस प्रकार के लोगों को पोलैंड के रास्ते यूक्रेन भेज रहा है। इससे पहले भी बारमबार रिपोर्ट आई थीं कि अमेरिका और ब्रिटेन अफगानिस्तान के पूर्व सुरक्षा कर्मियों को ट्रेनिंग देकर यूक्रेन में लड़ने के लिए भेज रहे हैं।

24 फरवरी से रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जो विशेष सैन्य अभियान आरंभ किया है अब वह सातवें महीने में दाखिल हो चुका है। रूस ने बारमबार कहा है कि पश्चिमी देश यूक्रेन के लिए जो हथियारों की खेप भेज रहे हैं वह न केवल विवाद के लंबा होने का कारण बन रहा है बल्कि उसके एसे दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं जिनकी अपेक्षा नहीं की जा सकती।

जानकार हल्कों का कहना है कि रूस-यूक्रेन के मध्य हो युद्ध चल रहा है वास्तव में उसकी बुनियाद अमेरिका और नाटो ने रखी है और इस युद्ध की आग भी उन्होंने लगाई है और अब यूक्रेन के लिए हथियार भेजकर आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। इसी प्रकार जानकार हल्कों का कहना है कि यूक्रेन के दिशा- निर्देशन का रिमोट कंट्रोल अमेरिका के हाथ में है और वह जब तक चाहेगा यह युद्ध जारी रहेगा और इस युद्ध से जो तबाही हो रही है उसका जिम्मेदार अमेरिका और वे पश्चिमी देश हैं जो यूक्रेन के लिए हथियार भेज रह हैं और यूक्रेन में लड़ने के लिए दूसरे देशों के नागरिकों को ट्रेनिंग दे रहे हैं।

सवाल यह उठता है कि इस युद्ध में जो लोग मारे जा रहे हैं उसका ज़िम्मेदार कौन है? इस युद्ध का अस्ली ज़िम्मेदार कौन है? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह 20वीं सदी के शीतयुद्ध का नया व आधुनिकतम रूप है और इस युद्ध के माध्यम से अमेरिका रूस से अपनी पुरानी दुश्मनी निकालना और वह रूस को यथासंभव नुकसान पहुंचाना चाहता है। इसी प्रकार अमेरिका इस युद्ध से अमेरिका में हथियारों का निर्माण करने वाली कंपनियों की जेब भरना चाहता है। क्या यूक्रेन युद्ध के लिए हथियार भेजना और यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए दूसरे देशों के नागरिकों को ट्रेनिंग देना यह मानवाधिकारों का हनन नहीं है?

बहरहाल अमेरिका ने यूक्रेन को नैटो की सदस्यता का हरा बाग दिखाकर तबाही के रणक्षेत्र में पहुंचा दिया है और युद्ध बंद हो जाने के बाद यूक्रेन इतना कमज़ोर हो चुका होगा कि शायद एक शताब्दी में वह अपनी कमर सीधी कर सके।

बहरहाल अमेरिका किसी का भी सगा नहीं है वह केवल अपने हितों को देखता और उसके बारे में सोचता है जहां उसके हित होते हैं वहां वह हितैषी व शुभ चिंतक का रूप धारण करके पहुंच जाता है और पहुंच जाने के बाद वह वहां अपनी सैनिक व ग़ैर सैनिक कार्यवाहियां व गतिविधियां आरंभ कर देता है। यूक्रेन, ताइवान, जापान और सीरिया जैसे देशों में उसके क्रिया-कलापों व गतिविधियों को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है।