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कभी तक़दीर का मातम कभी दुनियाँ से गिला
मधुसूदन उपाध्याय =============== कभी तकदीर का मातम कभी दुनियाँ से गिला _____________________________________ इस शीर्षक से शकील बंदायूनी की एक गजल के एक मकते को आधार बना कर यह लिख रहा हूँ। शुद्ध मन से तथा ईश्वर को साक्षी रखकर । जो लोग भाग्य नहीं मानते उनके लिए यह सब कुछ एक बार सोचने का विषय […]
आपको पता ही नहीं चला कि आपका बेटा कॉलेज में क्या गुल खिला रहा है ?
Rashi Singh ============ दोषारोपण __________ “आपको पता ही नहीं चला कि आपका बेटा कॉलेज में क्या गुल खिला रहा है ? “इंस्पेक्टर ने सामने की कुर्सी पर बैठे निखिल के पैरेंट्स से गुस्से में कहा । सविता निखिल की माँ तो सहम गयी मगर दिनेश निखिल के पिता सविता पर भड़क उठे । “इस सब […]
दिल ज़ोरों से रोया है फिर….कुछ तो है जो खोया है फिर….By-सरिता जैन
Sarita Jain ================ जब भी अपनी अना से लड़ती हूँ इक मुख़ालिफ़ हवा से लड़ती हूँ। इन्तिहा दास्ताँ की करनी है इस लिए इब्तिदा से लड़ती हूँ। दोस्तों की जफ़ा नहीं समझी दुश्मनों की वफ़ा से लड़ती हूँ। मुझ पे गिरती हैं बिजलियाँ सी कई जब भी काली घटा से लड़ती हूँ। सर पे माँ […]