दुनिया

अमरीका को मिल गया हथियारों के लिए नया बाज़ार?

अमेरिकी रक्षामंत्रालय पेंटागन ने जापान को दो अरब 350 मिलियन डॉलर मूल्य की 400 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें बेचने की देश की मंशा की घोषणा की।

इसके अलावा, जापान को टॉमहॉक मिसाइलें बेचने के समझौते के अनुसार, अमेरिका, टोक्यो को 14 मिसाइल नियंत्रण प्रणाली, स्पेयर पार्ट्स, प्रशिक्षणकर्मी और तकनीकी रखरखाव सहित अतिरिक्त सामान भी प्रदान करेगा।

जापान को उन्नत व विकसित अमेरिकी मिसाइलों की बिक्री पर ऐसी स्थिति में चर्चा हो रही है जब जापान के प्रधान मंत्री ने हाल ही में रूस और चीन तथा चीन और रूस के उत्तरी कोरिया के बीच सहयोग के परिणामों के बारे में चिंता व्यक्त की है।

इसका मतलब यह है कि अमेरिका और जापान सैन्य सहयोग विकसित करके और जापानी सरकार उन्नत मिसाइलें ख़रीदकर क्षेत्र की सुरक्षा को अस्थिरता की ओर धकेल रही और इसमें अमेरिका की भूमिका बहुत निराशाजनक है।

अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ ली सू वान-ही कहते हैं कि पूर्वी एशियाई क्षेत्र में अमेरिका का लक्ष्य सुरक्षा स्थिति को तनावपूर्ण बनाना और हथियार बेचना है। अमेरिका एक तरफ चीन-फ़ोबिया और उत्तरी कोरिया-फोबिया के साथ क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति को उचित ठहराने की कोशिश कर रहा है और दूसरी तरफ वह अपने हथियार उद्योग के लिए एक बाज़ार बनाने की कोशिश कर रहा है।

टोक्यो अपनी मिसाइल शक्ति को मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है जबकि जापान की जनता की राय देश के सैन्यवाद का समर्थन नहीं करती है क्योंकि जापान इतिहास में जापान हमेशा आक्रामक रहा है और चीन और दक्षिणी कोरिया सहित क्षेत्रीय जनमत, जापानी सेना के व्यवहार की कड़ी निंदा करता रहा है और जापानी सरकार से आधिकारिक माफ़ी की मांग करता रहा है।

जापानी सरकार ने संभावित हमलों के ख़िलाफ़ अपने जवाबी हमलों की ताक़त बढ़ाने के लिए अमेरिका से 400 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें खरीदने के अपने इरादे को ज़ाहिर कर दिया है। यदि क्षेत्र में अमेरिका के सहयोगी के रूप में जापान का दृष्टिकोण केवल हथियारों की होड़ को बढ़ावा देता है।

जापान के रक्षा मंत्रालय ने भी इससे पहले कहा था कि उसने देश के चारों ओर बढ़ते गंभीर सुरक्षा माहौल के कारण अपनी थलसेना की एंटी-शिप मिसाइलों के उन्नत संस्करण को तुरंत तैनात करने का निर्णय लिया है और इन मिसाइलों को समय से पहले ऑपरेशन में डाल दिया है।

अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ अली शरीफ़ीपुर कहते हैं कि क्षेत्रीय सुरक्षा के संबंध में जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों की स्थिति के बारे में उल्लेखनीय बात यह है कि ये देश इस स्थिति को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका नहीं निभाते हैं और केवल खुद को रक्षात्मक स्थिति में दिखाने की कोशिश करते हैं यह पूर्वी एशिया में शांति और स्थिरता स्थापित करने की अपनी ज़िम्मेदारी से भागना है।