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अमरीका और भारत उन्नत रक्षा और कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी साझा करने की योजना बना रहे हैं, क्या है मक़सद?

अमरीका और भारत उन्नत रक्षा और कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी साझा करने की योजना बना रहे हैं जिसके अंतर्गत जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी जेट इंजनों का संभावित संयुक्त उत्पादन भी शामिल है।

अमरीकी मीडिया ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार योजना का विवरण जिसे यूएस-इंडिया इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज के रूप में जाना जाता है, मंगलवार को जारी किया गया, जहां वॉशिंगटन के साझेदार देशों के साथ सैन्य, प्रौद्योगिकी और आपूर्ति-श्रृंखला लिंक को मजबूत करने के व्यापक एजेंडे को दिखाया गया।

अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने एक ब्रीफिंग में कहा कि यह योजना केवल मास्को या बीजिंग द्वारा पेश भू-राजनीतिक चुनौतियों से संचालित नहीं होगी, उन्होंने कहा कि चीन की आक्रामक सैन्य और आर्थिक गतिविधियों का ‘दिल्ली में सोच पर गहरा प्रभाव’ और दुनिया भर की अन्य राजधानियों पर पड़ा है.

सुलिवन ने पत्रकारों के साथ बातचीत में मंगलवार को कहा कि ‘चीन-रूस अहम कारण हैं लेकिन उच्च प्रौद्योगिकी के गहरे, लोकतांत्रिक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का विचार भी ऐसा ही है, तो इसीलिए इस योजना को भू-राजनीति पक्ष में नहीं देखना चाहिए।

इससे पहले भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मंगलवार को वॉशिंगटन में अपने अमरीकी समकक्ष जेक सुलिवन से मिलकर ‘इनीशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी’ की पहली उच्च-स्तरीय बैठक की।

वाइट हाउस ने डोभाल और सुलिवन के बीच आईसीईटी की पहली बैठक के समापन के बाद एक ‘फैक्ट शीट’ में कहा कि हम आपसी विश्वास और भरोसे पर आधारित एक मुक्त, सुलभ और सुरक्षित प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों और लोकतांत्रिक संस्थानों को मज़बूत करेगा।

टीकाकारों का कहना है कि अमरीका का बाइडेन प्रशासन नई दिल्ली को रूस से दूर करने और चीन के मुक़ाबले खड़ा करने का प्रयास कर रहा है और इसी के अंतर्गत वह भारत के साथ अपनी नीति को व्यवहारिक बनाने में लगा हुआ है।