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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर स्वीडन में बढ़ रहा है इस्लामोफोबिया!

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर पश्चिम में धर्मों का घोर अनादर किया जा रहा है।

हालिया दिनों में इस्लाम के विरुद्ध द्वेष और नफ़रत यूरोपीय देशों में तेज़ी से फैल रहा है। यह काम इस समय स्वीडन में बहुत व्यापक होता जा रहा है।

स्वीडन के नियेन्स राजनीतिक दल के नेता कारलुइन कासिम ने प्रेस टीवी को दिये साक्षात्कार में बताया है कि इस देश की सरकार बढ़ते इस्लामोफ़ोबिया के विरुद्ध कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं कर रही है। उन्होंने इसकी कड़ी आलोचना की है।

कारलुइन कासिम ने स्वीडन में मुसल्मानों के कुछ स्कूलों को बंद किये जाने की आलोचना करते हुए कहा कि इस देश में धर्म के नाम पर केवल मुसलमानों के ही स्कूल बंद किये जाते हैं जबकि दूसरे धर्मों के मानने वालों के साथ एसा कुछ नहीं हो रहा है।

इस्लामी शिक्षाओं से प्रभावित होकर मुसलमान बनने वाले कारलुइन क़ासिम कहते हैं कि स्वीडन में यह प्रयास किया जा रहा है कि देश में विशेषकर स्कूलों में हिजाब को समाप्त कर दिया जाए।

वर्तमान समय में स्वीडन इस्लाम और उसकी आस्थाओं के विरोध के कन्द्र में परिवर्तित हो चुका है जहां पर मुसलमानों की धार्मिक पुस्तिक पवित्र क़ुरआन को जलाने की भी घटना घट चुकी है। स्वीडन के नेता कहते हैं कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के कारण हो रहा है।

कुछ समय पहले एक अतिवादी नेता पालोदान ने स्टाकहोम में तुर्की के दूतावास के निकट पवित्र क़ुरआन की प्रति को आग के हवाले कर दिया था।