सेहत

अब बेहद क्रूर वक्त आ गया है, निस्संदेह देश मे आत्महत्या के मामलोँ में ऐतिहासिक वृद्धि होगी…By-Dk Verma Verma

Dk Verma Verma
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एक मनुष्य आत्महत्या तब करता है जब वो मान लेता है कि अपने जीवन संघर्षों, अपनी हार में वो अकेला है।

हर एक सुसाइड का केस दरअसल समाज, परिवार नाम की इकाई, प्रेम, मित्रता, त्याग, समर्पण जैसे कोमल भावों को कटघरे में खड़ा करता है।
आत्महत्या करने वाले को लगता है कि उसे दुखो से निजात दिलाने के लिए अब कोई तरकीब न बची है।


जो व्यक्ति हर किसी को हर जंग जीता हुआ नजर आ रहा हो मुमकिन है वो भीतर से खुद को बेहद पराजित महसूस कर रहा हो और जीवन को नाकाबिले बर्दाश्त मानता हो।

मेरे आस पास ऐसे ढेर सारे लोग हैं जिनके बारे मे मुझे लगता है कि यह कभी भी आत्महत्या कर सकते हैं। मैं उनसे यही कहता हूं कि सफलता, असफलता जय पराजय सब क्षणिक है।

अब बेहद क्रूर वक्त आ गया है। निस्संदेह देश मे आत्महत्या के मामलोँ में ऐतिहासिक वृद्धि होगी। ऐसे में हम सबकी जिम्मेवारी है अगर किसी का सम्बल न बन सके तो उसे निराशा और अवसाद में न धकेलें।

प्रकृति और वक्त दोनों हमारे साथ नहीं हैं। इसलिए कम से कम आप दुश्मनी छोड़ें नफरत छोड़ें। किसी के होठों पर आपकी दी हुई मुस्कुराहट उसके लिए जीवनदान बन सकती है। और हां ढलने से ,हारने से मत डरिये। वो एक लाइन है न-सूरज अगर ढलता नही, पूरब उसे मिलता नहीं

डिस्क्लेमर : लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है