हमास की सैन्य शाखा अल-क़ासम ब्रिगेड के आधिकारिक प्रवक्ता, अबू उबैदा, इसराइल-ग़ज़ा युद्ध में सबसे प्रमुख शख्सियतों में से एक हैं.
वह अक्सर हमास के प्रचार वीडियोज़ में दिखाई देते हैं. अबु उबैदा के नाम से मशहूर ये प्रवक्ता अक्सर सोशल मीडिया पर आकर ग्रुप के संदेशों को ऑनलाइन साझा करते हैं.
उनका उपनाम पैग़बर मोहम्मद के साथियों में से एक, सैन्य कमांडर अबु उबैदा इब्न अल-जर्राह से प्रेरित है. अबु उबैदा उस समय से अहम शख़्स बन गए थे जब से अल-क़ासम ब्रिगेड के कमांडर मोहम्मद अल-दाएफ़ ने ‘ऑपरेशन अल-अक़्सा फ़्लड’ का ऐलान किया था.
हमास ने सात अक्टूबर को इसराइल पर किए हमलों को अल-अक़्सा फ़्लड ही बताया था. उस हमले में दक्षिणी इसराइल में 1200 लोग मारे गए थे.
लाल केफ़िया
अबु उबैदा की सही पहचान कोई नहीं जानता.
वो अपने वीडियो में हमेशा लाल केफ़िया लपेटे रहते हैं. केफ़िया एक परंपरागत फ़लस्तीनी स्क्राफ़ है.
वीडियोज़ में वे हमेशा क़ुरान की एक आयत के बैकग्राउंड में अपना पक्ष रखते हैं. अबु उबैदा अपने ग्रुप की सैन्य कार्रवाइयों और उससे जुड़े तथ्यों को टेलिग्राम चैनल पर साझा करते हैं.
कहा जता है कि उनका टेलिग्राम चैनल वर्ष 2020 में शुरू किया गया था.
वे किसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद नहीं हैं.
उनके वीडियो भाषण सोशल मीडिया पर शेयर किए जाते हैं और कई टीवी न्यूज़ चैनल भी इन्हें प्रसारित करते हैं.
लंदन स्थित लोकप्रिय अरबी अख़बार अल-शरक़ अल-अवासात के मुताबिक़, “अबु उबैदा के बारे में सबसे पहली जानकारी वर्ष 2002 में मिली थी, जब उन्हें अल-क़ासम का एक फ़ील्ड अधिकारी बताया गया था. “
अख़बार के मुताबिक़ वे मीडिया से बात करते वक़्त हमेशा अपना मुँह ढक कर रखते हैं. इसी अंदाज़ में अल-क़ासम के पूर्व प्रमुख इमाद अक़िल भी सार्वजनिक रूप से सामने आते थे. उन्हें इसराइल ने 1993 में क़ैद कर लिया था.
अल-क़ासम ब्रिगेड के प्रवक्ता
साल 2006 में अबु उबैदा को अल-क़ासम ब्रिगेड का प्रवक्ता बनाया गया था. वे पहली बार 25 जून, 2006 को सार्वजनिक तौर पर देखे गए थे. उस दिन हमास समेत कई हथियारबंद गुटों ने ग़ज़ा की सरहद पर इसराइल की एक सैन्य चौकी पर धावा बोला था.
उनके मुताबिक़ ये ऑपरेशन हुदा ग़ालिया के घर पर बम गिरने के बाद हुआ था. उस घटना में 10 वर्षीय हुदा के घर पर बम गिरने के बाद, उसे ग़ज़ा की एक बीच पर बदहवास दौड़ते फ़िल्माया गया था. वो वीडियो में लगातार रोते हुए – “पापा, पापा, पापा” कहती हुई, अपने पिता के शव के पास गिर जाती है.
25 जून, 2006 को फ़लस्तीनी गुटों की उस रेड में इसराइल के सैनिक गिलाद शालित को अग़वा किया गया था. इसके अलावा दो सैनिक मारे गए थे. शालित के अलावा दो सैनिक घायल भी हुए थे.
शालित को 2011 में रिहा कर दिया गया था. उनकी रिहाई के लिए हमास और इसराइल के बीच डील हुई थी जिसके मुताबिक़ शालित की रिहाई के बदले, इसराइल ने 1,000 से अधिक फ़लस्तीनी क़ैदियों को रिहा किया था.
साल 2014 के इसराइल-हमास युद्ध में अबु उबैदा ने एक टेलिविज़न प्रसारण में दावा किया था कि उन्होंने शॉल ऐरन नाम के एक इसराइली सैनिक को पकड़ा है. लेकिन इसराइल का मत है कि ऐरन मर चुके हैं.
İslam Korkuların Değil,
Cesur ve Atılgan Müslümanların Omuzlarında Yükselecektir."İman ile imkanın savaşı !#ElKassamTugayları #Gaza_Genocide #GazaWar#Gaza_Genocide pic.twitter.com/R5DTCxru7F
— AKSA TuFaNı 34 (@yokvar_21) December 6, 2023