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“तुम कितने रुपये लोगे मुझे घर तक छोड़ने का?
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ============= एक व्यक्ति अपने स्कूटर से घर जा रहा था। कुछ दूर जाने के बाद उसे सड़क पर एक बूढ़ी औरत दिखाई दी। जो कि बहुत ही थकी हुई सी लग रही थी और उसके चेहरे से मानों ऐसा लग रहा था कि वह उस सड़क पर बहुत समय से किसी यातायात […]
कितना रंगीन है ये जहाॅं तुम कहो….मनस्वी अपर्णा की इक नज़्म आप सभी की पेश-ए-ख़िदमत है मुलाहिज़ा हो …
मनस्वी अपर्णा ===========· अरसे बाद इक नज़्म आप सभी की पेश ए खिदमत है मुलाहिज़ा हो … 🙏🏽🙏🏽🙏🏽 कितना रंगीन है ये जहाॅं तुम कहो ख़ूबसूरत खुला आसमाॅं तुम कहो तुम कहो ज़िन्दग़ी ये बहुत ख़ूब है तुम कहो ये खुदी से ही मंसूब है जीस्त है इक सफ़र ख़ुशनुमा तुम कहो है तुम्हारा ख़ुदा […]
#बड़ा_हुआ_सो_क्या_हुआ…..By – मनस्वी अपर्णा
· मनस्वी अपर्णा =================== · #बड़ा_हुआ_सो_क्या_हुआ एक बात जो मैं इन दिनों बड़ी शिद्दत से महसूस कर रही हूॅं , भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में कमोबेश बुज़ुर्गियत को आदर देने की एक परंपरा सी है….. हम सब को अपनें से बड़े लोगों का आदर अपेक्षित रहता है…. इसी के साथ यह भी मान […]