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अफ़ग़ानिस्तान से बेइज़्ज़त होकर अमरीका के निकले दो साल हो रहा है, अमरीकी सैनिकों के लिए काम करने वाले सैकड़ों अफ़ग़ान शहरी किसी तीसरे देश में पनाह की तलाश में हैं!

वह अपने जिन्हें अमरीक ने भुला दिया, दूर दूर तक नज़र आता है अंधेरा…

अफ़ग़ानिस्तान से अमरीका को निकले और अफ़ग़ानिस्तान में वाशिंग्टन के लिए काम करने वालों को बसाने के वादे को लगभग दो साल का समय हो रहा है, अफ़ग़ान शरणार्थी, यथावत अलबानिया में हैरान और परेशान घूम रहे हैं।

अफ़ग़ानिस्तान से बेइज़्ज़त होकर अमरीका के निकले हुए लगभग दो साल का समय हो रहा है, अब भी सैकड़ों अफ़ग़ान शहरी जिनमें से अधिकतर अमरीकी सैनिकों के लिए काम कर रहे थे, काबुल छोड़ने के बाद यथावत अलबानिया में अमरीका सहित किसी तीसरे देश में पनाह की तलाश में हैं।

अलबानिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इन अफ़ग़ान नागरिकों के गंतव्य देश की ओर स्थानांतरण की प्रक्रिया के लंबा खिंचने के बारे में कहा कि अगर अफ़ग़ान इस देश में काम तलाश कर सकते हैं कि वह अपने देश में इनके लंबे समय तक रहने का विरोध नहीं करेंगे।

अलबानिया नैटो का एक सदस्य देश है जिसने आरंभ में अफ़ग़ानियों को एक साल तक शरण देने पर सहमति जताई थी लेकिन वीज़ा प्रक्रिया के लंबा होने की वजह से यह देश अफ़ग़ानियों को लंबे समय तक शरण देने को तैयार हो गया था।

वीज़ा जारी करने में देरी की वजह से अफ़ग़ानियों ने पिछले साल “हम भुला दिए गये” के स्लोगन के साथ प्रदर्शन किए थे और वाशिंग्टन से स्थानांतरण की प्रक्रिया तेज़ करने की मांग की थी।

इसी मध्य क़तर और संयुक्त अरब इमारात के कैंपों में भी हज़ारों अफ़ग़ान शरणार्थी जीवन व्यतीत कर रहे हैं जो ह्युमन राइट्स वॉच के कथानानुसार जेल की तरहैं और इन लोगों का भविष्य भी अंधकार से भरा हुआ है।

इससे पहले अफ़ग़ानिस्तान के पुनर्निमाण के मामले में अमरीका की विशेष संस्था “सीगार” ने भी शरणार्थियों के मामले में लापरवाही और अफ़ग़ान शरणार्थियों को अरमीका में बसाने की प्रक्रिया में सुस्ती की ओर इशारा करते हुए कहा था कि अगर यही हाल रहा तो इस प्रक्रिया को 31 साल लग जाएंगे।