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अफ़ग़ानिस्तान जंग शुरू होने से पहले 80 फ़ीसद लोग ग़रीबी का साक्षी थे जो 20 वर्षों तक चलने वाले युद्ध के बाद 97 फ़ीसद है

पार्सटुडे- अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्रसंघ के विशेष दूत ने एलान किया है कि 50 प्रतिशत से अधिक अफ़ग़ानियों को मानवता प्रेमी सहायताओं की ज़रूरत है।

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्रसंघ के विशेष दूत Roza Otunbayeva और अफ़ग़ानिस्तान में राष्ट्रसंघ के प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 2025 में अफ़ग़ानिस्तान की कुल जनसंख्या के 50 प्रतिशत से अधिक भाग को यानी लगभग दो करोड़ 30 लाख लोगों को मानवता प्रेमी सहायताओं की ज़रूरत है।

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानों को यथावत कड़े मानव संकट का सामना है जिसका कारण दशकों तक जंग, अति निर्धनता, क्षेत्रीय व मौसमी परिवर्तन और जनसंख्या में अधिक वृद्धि और इसी प्रकार महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के ख़तरों में वृद्धि है। उन्होंने कहा कि सहायताओं की आपूर्ति में कमी ने अफ़ग़ानिस्तान के लोगों पर ध्यान योग्य प्रभाव डाला है और यह प्रभाव जारी है।

इसी प्रकार राष्ट्रसंघ के इस अधिकारी ने कहा कि पिछले महीने अफ़ग़ानिस्तान में 200 से अधिक चिकित्सा केन्द्र बंद हो गये जिसका प्रभाव लगभग 1.8 मिलियन लोगों पर पड़ा है।

अफ़ग़ानिस्तान में राष्ट्रसंघ के विशेष दूत ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान के वर्तमान अधिकारियों की ज़िम्मेदारी यह है कि वे यह स्पष्ट करें कि अफ़ग़ानिस्तान अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था व सिस्टम में शामिल होना चाहता है या नहीं और अगर ऐसा है तो क्या वे आवश्यक क़दम उठाने के लिए तैयार हैं।

अमेरिका और नैटो में उसके घटकों ने सात अक्तूबर 2001 को आतंकवाद से मुकाबले और अफ़ग़ानिस्तान में शांति व सुरक्षा स्थापित करने के बहाने इस देश पर हमला किया था और 20 वर्षों तक अफ़ग़ानिस्तान का अतिग्रहण करने के बाद 15 अगस्त 2021 को अफ़ग़ानिस्तान से उस हालत में चले गये जब अफ़ग़ानिस्तान में हत्या, असुरक्षा, निर्धनता और बेरोज़गारी जैसी विभिन्न प्रकार की समस्यायें अपने चरम पर हैं।

अमेरिका के Brown विश्वविद्यालय ने 20 वर्षों तक अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी युद्ध के संबंध में एक रिपोर्ट में लिखा कि दो लाख 41 हज़ार अफ़ग़ान इस युद्ध के दौरान मारे गये। अलबत्ता मरने वाले लोगों की इस संख्या में वे लोग शामिल नहीं हैं जो अमेरिकी हमलों के परोक्ष परिणाम में मारे गये जैसे बीमारी, खाद्य पदार्थों में कमी और पेयजल के न होने की वजह से।

अमेरिका और नैटो ने अफ़ग़ानिस्तान पर जो हमला किया उसके परिणाम में बहुत से अफ़ग़ानी लोगों ने पलायन किया और बहुत से अफ़ग़ानी लोग बेघर हो गये। इस समय ईरान और पाकिस्तान जैसे अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी देशों में 80 लाख से अधिक अफ़गानी शरणार्थी मौजूद हैं।

पूरी दुनिया में सबसे अधिक पलायनकर्ता अफ़ग़ानिस्तान से विशेष हैं। राष्ट्रसंघ के उच्चायोग की घोषणा के अनुसार अफ़ग़ानी शरणार्थियों व पलायनकर्ताओं की संख्या 2 करोड़ 70 लाख तक पहुंच गयी है।

इसी प्रकार Save the Children की रिपोर्ट के आधार पर प्रतिदिन दो करोड़ अफ़ग़ानी बच्चे इस भय से नींद से जाग जाते हैं कि उन्हें या तो मार दिया जायेगा या वे बाकी बचे विस्फोटक पदार्थों में धमाका होने से अपंग हो जायेंगे। इसी प्रकार उनमें से 3.8 मिलियन बच्चों को मानवता प्रेमी सहायता की ज़रूरत है जबकि 6 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार हैं।

कुछ आंकड़े इस बात के भी सूचक हैं कि जंग से पहले अफ़ग़ानिस्तान के 62 प्रतिशत लोगों को खाद्य पदार्थों में असुरक्षा का सामना था और जंग के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 92 प्रतिशत तक पहुंच गया। इसी बीच अफ़ग़ानिस्तान जंग आरंभ होने से पहले 80 प्रतिशत लोगों की निर्धनता का साक्षी था जो 20 वर्षों तक चलने वाले युद्ध के बाद 97 प्रतिशत तक पहुंच गया।

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