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अफ़ग़ानिस्तान के 95% लोग ग़रीबी रेखा से नीचे : 20 वर्षों तक अफ़ग़ानिस्तान में ख़ून से होली खेलने वाले देश अब अफ़ग़ान लोगों को भूखा मारने की साज़िश रच रहे हैं : रिपोर्ट

अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व श्रममंत्री ने कहा है कि दुनिया के साथ तालमेल बनाए बिना तालेबान की सरकार चल नहीं पाएगी।

अशरफ़ ग़नी की सरकार में अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व श्रममंत्री बशीर अहमद का कहना है कि खेद की बात है कि तालेबान का दुनिया के साथ संपर्क नहीं है।

उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि तालेबान और विश्व के बीच संपर्क न होने के कारण अफ़ग़ानिस्तान इस समय कई प्रकार के संकटों से गुज़र रहा है। उनका कहना था कि दुनिया की कोई भी सरकार विश्व के साथ संपर्क एवं सहयोग के बिना चल ही नहीं सकती।

बशीर अहमद ने आगे कहा कि एक तो पिछले 40 वर्षों से जारी युद्ध और दूसरे सत्ता संभालने के बाद तालेबान की ओर से उत्पन्न की जाने वाली सीमितताओं ने अफ़ग़ानिस्तान को निर्धन्ता, भुखमरी, बेरोज़गारी और अकाल में डाल दिया है। कई अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान के लगभग 95 प्रतिशत लोग इस समय निर्धन रेखा से नीचे जीवन गुज़ार रहे हैं।

वर्तमान समय में कड़ाके की ठंड और बर्फबारी के कारण अफ़ग़ानिस्तान की जनता को खाद्य सामग्री के साथ ही ईंधन की बहुत ज़रूरत है। तालेबान की सरकार को भी अब यह बात समझ में आ गई है कि अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता के बिना सरकार चलाना बहुत कठिन है।

याद रहे कि तालेबान ने अगस्त सन 2021 को अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता हथियाई थी। उसके बाद से उन्होंने अपनी सरकार को मान्यता दिलवाने के प्रयास किये। विश्व के देशों का कहना है कि मानवाधिकारों का सम्मान, महिलाओं के अधिकारों का सम्मान, महिलाओं को शिक्षा और नौकरी की अनुमति तथा अफ़ग़ानिस्तान में एक समग्र सरकार के गठन के बाद ही तालेबान को अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता मिल सकती है।


20 वर्षों तक जिन देशों ने बम और मिसाइल से अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के ख़ून से होली खेली, अब वही देश यहां के लोगों को भूखा मारने की रच रहे हैं साज़िश!

पिछले कुछ दिनों से अफ़ग़ानिस्तान की जनता कड़ाके की ठंड झेल रही है, हाल के दिनों में ठंड से मरने वालों की संख्या बीस से अधिक हो गई है, जबकि भीषण ठंड के कारण अफ़ग़ानिस्तान के विभिन्न इलाक़ों में हज़ारों पशुओं की भी जान चली गई है … एक अफ़ग़ान नागरिक का कहना है कि हाल के दिनों में बहुत ही ज़्यादा ठंड है ऐसी ठंड जो पिछले कई वर्षों से नहीं हुई है। वहीं इस कड़ाके की ठंड में उज़्बेकिस्तान ने तकनीकी ख़राबी का बहाना बनाकर अफ़ग़ानिस्तान की बिजली काट रखी है।