विशेष

अपनी बेटी की हत्या करने वाले का क़बूलनामा पढ़िए : कांवड़ियों के मदर ऑफ डेमोक्रेसी में कानून इतना ही निष्पक्ष है

Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
बीते चार-पांच रोज़ में ऐसा एक दिन भी नहीं बीता जिस रोज़ कांवड़ियों के उत्पात की ख़बरें ना आई हों! यूपी और उत्तराखंड में कांवड़ियों ने वाहन सवार राहगीरों, ढाबा संचालक को ज़रा-ज़रा सी बात पर निशाना बनाया है। वाहनों में तोड़ फोड़ करने वाले उपद्रवी कांवड़ियों को पुलिस ‘समझा बुझाकर’ शांत कर देती है। क्या भारतीय न्याय संहिता में ‘अपने उपद्रवियों’ को समझा बुझाकर शांत करने की धारा जोड़ी गई है?

यही उपद्रव कोई ‘दूसरा’ कर दे तो बुलडोज़र चलाकर उनके घरों को ज़मींदोज़ कर दिया जाता है, लेकिन मामूली बातों पर तोड़ फोड़ कर देने वाले कांवड़ियों को ‘समझा बुझाकर’ शांत किया जाता है। अगर ‘दूसरे समुदाय’ के लोग उपद्रव करते हैं तो पुलिस उनके लंगड़ाकर चलने के वीडियो जारी करती है, जिसमें वो कान पकड़कर गलती हो गयी अब ना करेंगे जैसे रटाए गए शब्द बोल रहे होते हैं। लेकिन ‘अपने उपद्रवी’ खूब उपद्रव भी करें तो उन्हें समझा बुझाकर शांत कर दिया जाता है। मदर ऑफ डेमोक्रेसी में कानून इतना ही निष्पक्ष है!

Image

Image Kumar
@KraantiKumar
दीपक यादव झूठ बोल रहा. बेटी की कमाई खाने का सवाल ही नही आता है. जिस व्यक्ति को हर महीने

17 लाख रुपए किराया आता है, उसे लोग बेटी की कमाई खाने का ताना क्यों देंगे.

दीपक यादव अमीर आदमी है. उसने अपनी बेटी को 2 लाख रुपए का टेनिस रैकेट दिया था. बेटी राधिका यादव होनहार टेनिस खिलाड़ी थी.

दीपक यादव को असल में समस्या राधिका द्वारा सोशल मीडिया पर बनाए जा रहे वीडियो थी. एक वीडियो लड़के के साथ मिलकर बनाया है.

यह पूरी तरह ऑनर किलिंग का मैटर है. भारत के लोग जाति के बारे में बायस हैं. काल्पनिक जातीय शान के लिए बेटी की ज़िंदगी ले लेते हैं.

Rajesh Sahu
@askrajeshsahu
गुरुग्राम में अपनी बेटी की हत्या करने वाले बिल्डर दीपक यादव का कबूलनामा पढ़िए। इसे उसने पुलिस पूछताछ में बताया है।

“मैं एक बिल्डर हूं, फ्लैट बनाकर किराए पर देता था। मेरी बेटी राधिका टेनिस की बड़ी खिलाड़ी थी। नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर कई पदक जीत चुकी थी। इस बात पर पूरे परिवार को गर्व था। मैं भी बेटी राधिका पर गर्व करता था।

करीब 3 माह पहले राधिका के कंधे में चोट लग गई थी। यह चोट टेनिस खेलते वक्त ही लगी थी। उन्होंने डॉक्टर से इलाज कराया। चोट से तो आराम मिल गया, लेकिन बेटी ने टेनिस खेलना छोड़ दिया। इसके बाद राधिका ने अपनी एकेडमी खोल ली, जहां वह लड़के-लड़कियों को टेनिस सिखाती थीं।

जब मैं दूध लेने जाता था तो लोग ताना मारते थे। कहते थे तेरी बेटी तो बढ़िया पैसा कमा रही है। तेरे मजे हैं, तू बेटी की कमाई खा रहा है। मजे हैं तेरे और तेरे परिवार के। लोगों की यह बात मुझे चुभती थी। मैंने कई बार इस बारे में राधिका से भी बात की थी।

लोगों के ताने सुन-सुनकर मैं परेशान हो गया था। मैंने राधिका से कहा था कि ये एकेडमी बंद कर दे। हमारा परिवार संपन्न है, कोई दिक्कत नहीं होगी। इस पर राधिका ने कहा था कि लोग क्या कहते हैं, मुझे इसकी परवाह नहीं है। खेल ने उसका करियर बनाया है, तो इससे पैसा कमाना कौन सी बुरी बात है।

गुरुवार को भी मैंने राधिका से एकेडमी न जाने के लिए कहा था, मगर वह नहीं मानी। मुझसे झगड़ने लगी। लोगों के तानों की वजह से मैं काफी परेशान हो चुका था। ऐसे में जब बेटी नहीं मानी तो अपनी लाइसेंसी पिस्टल से उसे गोली मार दी।”

 

डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, लेख X पर वॉयरल हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *