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अपनी गिरफ़्तारी की संभावना को लेकर नेतनयाहू बहुत टेंशन में है : रिपोर्ट

नेतनयाहू को गरिफ़्तार करने की फिराक़ में हैं हालैण्ड के वकील

अपनी गिरफ़्तारी की संभावना को लेकर नेतनयाहू बहुत टेंशन में है।

पार्सटुडे-हालैण्ड के कुछ वकीलों ने हेग स्थित इंटरनैश्नल क्रिमिनल कोर्ट से अनुरोध किया है कि नेतनयाहू और इस्राईल के अन्य अधिकारियों को गिरफ़्तार करने का वारेंट जारी किया जाए।

सन 1998 में रोम चार्टर के आधार पर नरसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराध, युद्ध अपराध और बलात्कार जैसे अपराधों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए इंटरनैश्नल क्रिमिनल कोर्ट का गठन किया गया था।

अवैध ज़ायोनी शासन और अमरीका ने हालांकि रोम चार्टर पर हस्ताक्षर तो किये हैं किंतु वे इस न्यायालय के सदस्य नहीं हैं।

उधर फरवरी में दक्षिणी अफ्रीका की ओर से अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में ज़ायोनी शासन की शिकायत की गई थी जिसपर न्यायालय ने ज़ायोनी शासन से हर महीने अपनी कार्यवाहियों की एक रिपोर्ट इस न्यायालय में पेश करने का आदेश दिया था।

अवैध ज़ायोनी शासन ने न केवल यह कि इसको अंजाम नहीं दिया बल्कि नेतनयाहू की जंगी मशीन अभी भी चल रही है। इस समय उसने अपने पाश्विक अपराधों के लिए रफह को लक्ष्य बनाया है।

कुछ दिन पहले मीडिया में यह रिपोर्ट सामने आई थी कि नेतनयाहू और कुछ ज़ायोनी अधिकारियों के विरुद्ध सज़ा का आदेश जल्द ही जारी किया जाएगा। इस आदेश को लेकर नेतनयाहू, असमान्य दबाव का शिकार है। यह विषय अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अवैध ज़ायोनी शासन के लिए बहुत बड़ी बदनामी है।

नेतनयाहू ने अपनी गिरफ्तारी के आदेश को रुकवाने के लिए जो बाइडेन सरकार पर ध्यान केन्द्रित कर रखा है। इस बात की संभावना बहुत कम ही है कि ज़ायोनी अधिकारी, अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के आदेश से अचंभित होंगे।

दूसरी ओर हिब्रू भाषा के संचार माध्यमों ने यह बात स्वीकार की है कि अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की ओर से नेतनयाहू की गिरफ़्तारी का संभावित आदेश, ज़ायोनी प्रधानमंत्री की गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है।

इंटरनैश्नल क्रिमिनल कोर्ट के कार्यालय ने एक बयान जारी करके कोर्ट के अधिकारियों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की धमकी, उसको रोब मे लेने या बाधाए पैदा करने जैसे कामों के प्रति सचेत किया था कि न्यायालय की स्वतंत्रता और उसकी निष्पक्ष्ता उस समय कमज़ोर हो जाती है जब उसके या उसके अधिकारियों के विरुद्ध प्रतिशोध की धमकी दी जाती है।

इस कार्यालय की ओर से कहा गया है कि बिना कार्यवाही किये भी न्यायालय को धमकी देना रोम कन्वेंशन के आधार पर अपराध हो सकता है।

इससे पहले ही जानकार सूत्रों ने बताया था कि अन्तर्राष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट के प्रासीक्यूटर ने ग़ज़ा के अश्शफ़ा और नासिर अस्पतालों के कर्मचारियों के साथ बात की है।

अपना नाम छिपाने की शर्त पर सूत्र ने बताया कि इन अस्पतालों में जो घटनाएं घटीं उनकी भी जांच करके उसको रिपोर्ट से अटैच किया गया है। एसा लगता है कि हालैण्ड और दक्षिणी अफ्रीका के वकीलों की यह कार्यवाही, नेतनयाहू पर अधिक से अधिक दबाव बनाकर उसको गिरफ़्तार करवाने के लिए अन्य देशों के वकीलों के लिए आदर्श बनेगी।