साहित्य

अनहोनी……वह अपने स्टॉप पर उतरी तो बिजली भी आ गई थी

𝓟𝓻𝓲𝔂𝓪𝓷𝓴𝓪 𝓚𝓾𝓶𝓪𝓻𝓲
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अनहोनी……
आज ज्यादा बारिश के कारण आफिस से ममता थोड़ी लेट निकली थी लेकिन बारिश से बच नही पाई और आफिस से निकलते ही फिर बारिश शुरू हो गई थी उसके आफिस से थोड़ी दूरी पर था उसका बस स्टॉप.. वो बारिश में ही उधर चल दी ज्यादा बारिश के कारण बिजली काटी थी Iइलाके की और इसी अंधेरे की वजह से सड़क पर इक्का दुक्का ही लोग ही दिखाई दे रहे थे बस स्टॉप पर पहुंची तो वह भी एक दम सुनसान था I थोड़ी देर में ही एक लड़का और आया और बस का इंतजार करने लगा ममता और लडके के अलावा दूर तक कोई नही था इसके चलते लड़के से भी डर लग रहा था वैसे भी आये दिन की घटनाओं ने दिमाग हिला रखा था उसपर बारिश की वजह शायद बिजली ना होने से अंधेरा

तभी बस आई और वह लड़का भागकर उसमे चढ़ा लेकिन कुछ सोचकर वह उतर गया बस चली गई।ममता अब और घबरा गई कि हो न हो ये लड़का उसकी मजबूरी का फायदा उठाने के लिए ही बस से उतरा है।

वह उस लड़के से थोड़ी दूर खड़ी हो गई उसके मन में डर और हावी होने लगा कई बस आई लेकिन उसकी घर तक जानेवाली बस नही आई लड़का भी किसी बस में नही चढा अचानक तभी ममता की बस आई तो वह भागकर चढ़ गई,ये देख वह लड़का भी बस में चढ़ गया।वह कंडक्टर के पास खड़ी हो गई उसे उस लड़के से अब भी डर लग रहा था कि हो न हो वह बस में जरूर छेड़छाड़ या बदतमीजी करने की कोशिश करेगा…खैर और भी लोग है शोर मचा दूंगी और जरूरत पडने पर हाथ उठाने से भी नही चूकूंगी …लड़का बस के अगले हिस्से पर जाकर खड़ा हो गया था I

शायद आखिरी बस थी इसलिए भीड़ थी उसका बस स्टॉप आया तो वह उतरने के लिए बस में आगे पहुंची वह लड़का फ़ोन पर किसी से बात कर रहा था -अरे माँ बस स्टॉप पर दीदी की तरह की एक लड़की अकेली थी और आसपास कोई नही था तो में वहीं रुक गया, कि कोई अनहोनी ना हो जाये….अब आ तो रहा हूँ घर मां …उसके कानों में ये शब्द पड़े तो उसके दिल का अंधेरा एक दम छट गया।

वह अपने स्टॉप पर उतरी तो बिजली भी आ गई थी। उसके मन का अंधेरा भी दूर हो गया।
वह उस लड़के के बारे में सोच रही थी और उसके मन मे डर नही बल्कि उसके लिए सम्मान था…!