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अदालत ने 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट मामले में अब्दुल क़रीम टुंडा 31 साल बाद बेगुनाह क़रार दिया

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अदालत ने 31 साल बाद बेगुनाह करार दिया टुंडा को

1993 के सीरियल बम ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा बरी, 2 को उम्र कैद..

RJ : अजमेर की टाडा कोर्ट ने 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया है। इसके अलावा दो आरोपियों इरफ़ान और हमीदुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई हैं। टुंडा फिलहाल अजमेर की जेल में बंद है। अयोध्या में बाबरी मस्जिद की शहादत के बाद 1993 में कोटा, लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे और टुंडा इन्हीं मामलों में आरोपी था। अभियोजन पक्ष टुंडा को मुल्ज़िम साबित नहीं कर पाया।

 

 

कब और कहां हुए थे धमाके?
6 दिसंबर 1993 को राजस्थान के कोटा, उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर के अलावा हैदराबाद, सूरत और मुंबई में ट्रेनों में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। 28 फरवरी 2004 को टाडा कोर्ट ने इस मामले में 16 आरोपियों को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों को बरी कर दिया, लेकिन बाकी 12 दोषियों की सजा को बरकरार रखा।

कई साल तक फरार रहा टुंडा, 2013 में पकड़ा गया
सीरियल बम ब्लास्ट के बाद आतंकी करीम टुंडा फरार था। इस दौरान उसने रोहतक और हैदराबाद में भी बम धमाके किए। इसके अलावा देश में हुई कई अन्य आतंकी घटनाओं में भी शामिल रहा। शातिर आरोपी करीम टुंका कई साल तक पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को चम्मा देता रहा, लेकिन अगस्त 2013 में उसे नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार कर लिया गया। आंतकी टुंडा पर सीरियल बम ब्लास्ट केस का मास्टरमाइंड होने का आरोप था।

इतना शातिर है आतंकी टुंडा
साल 1993 से 1998 तक देश में हुई कई बम धमाकों का मास्टर माइंड अब्दुल करीम टुंडा ही था। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र में हुई आतंकी घटनाओं में टुंडा का हाथ रहा है। वह आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का प्रमुख भी रहा है। धार्मिक कट्टरता के आधार पर उसने आतंकियों की पूरी फौज तैयार कर ली थी। उसके संगठन की विदेशों से भी फंड़िंग होती थी। सुरक्षा एजेंसियों की जांच में सामने आया था कि आंतकी टुंडा का नेटवर्क कई देशों में फैला हुआ था। वह इतना शातिर था कि आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए वह खुद कहीं नहीं जाता था। इसी कारण से जांच एजेंसियों को उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलते। टुंडा ने 1997 में रोहतक में दो जगह बम ब्लास्ट कराए थे, जबकि 1998 में हैदराबाद बम ब्लास्ट की प्लानिंग भी इसी ने ही की थी। हालांकि सबूत और गवाह नहीं होने के कारण वह कोर्ट से बरी हो गया था।

ऐसे नाम के साथ जुड़ा टुंडा
देश में हुए 40 बम धमाकों में अब्दुल करीम टुंडा का हाथ बताया गया था। इसके खिलाफ अलग-अलग राज्यों में 33 से ज्यादा केस दर्ज हैं। करीब 21 साल पहले अब्दुल करीम टुंडा बांग्लादेश में बम बनाने की ट्रेनिंग दे रहा था। इस दौरान धमाके में उसका बायां हाथ उड़ गया। एक हाथ गंवाने के कारण उसका नाम में टुंडा जुड़ गया। आतंकी टुंडा पर टिफिन बम से राजधानी एक्सप्रेस में धमाका करने का भी आरोप है। इस मामले की सुनवाई भी अजमेर की टाडा कोर्ट में चल रही है।

1981 में घर छोड़ा, दूसरी शादी भी की
अब्दुल करीम टुंडा का जन्म 1943 में पुरानी दिल्ली के छत्तालाल मियां में हुआ। इसके पिता लोहे की ढलाई का काम करते थे। टुंडा की संदिग्ध गतिविधियों को देखकर उसके पिता पुरानी दिल्ली छोड़कर गाजियाबाद जिले के पिलखुआ में बस गए। यहां वह भाइयों के साथ बढ़ई का काम करने लगा। परिजनों ने कुछ समय बाद उसकी शादी जरीना नामक महिला से कराई। शादी के कुछ समय बाद टुंडा कई-कई दिनों तक घर नहीं आता था। 1981 में उसने पूरी तरह तरह घर छोड़ दिया। लंबे समय बाद जब वह वापस लौटा तो अहमदाबाद की रहने वाली मुमताज उसकी पत्नी थी। इस दौरान उसके पाकिस्तान में आईएसआई से ट्रेनिंग लेने की बात भी सामने आई थी। टुंडा के खिलाफ दिल्ली के थानों में 21, गाजियाबाद में 13 और देश भर 40 से ज्यादा केस दर्ज हैं। 1956 में अब्दुल करीम टुंडा के खिलाफ चोरी का पहला केस दर्ज हुआ था। जानकारी के अनुसार उस समय टुंडा नाबालिग था।