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अडानी समूह का साम्राजय ”फ़र्ज़ी कंपनियों” पर खड़ा है : अडानी की देश लूट पर एक और रिपोर्ट आयी

 

 

Ravish Kumar Official
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गौतम अदाणी के बारे में फाइनेंशियल टाइम्स की ख़बर देखकर एक बात समझ आ गई। वो यह कि उन्होंने न्यूज़ चैनल क्यों ख़रीदा? इसलिए कि जब वे अपना चैनल देख रहे होंगे तो इसकी पूरी गारंटी होगी कि उस पर ऐसी खबरें नहीं चलेंगी जैसी फाइनेंशियल टाइम्स ने की है। यह वही अख़बार है जिसके बारे में गौतम अदाणी ने कहा था कि वे फाइनेंशियल टाइम्स जैसा संस्थान बनाना चाहेंगे। बनाने की क्या ज़रूरत है, जो फाइनेंशियल टाइम्स ने खोजी रपट की है, उसे ही चला दीजिए,आपका चैनल भी फाइनेंशियल टाइम्स बन जाएगा। बल्कि पिछले 11 महीने में अदाणी समूह को लेकर इतनी ख़बरें आ चुकी हैं कि उनके लिए भी अलग एक न्यूज़ चैनल बन सकता है। अदाणी समूह की एक दर्जन से ज़्यादा अलग अलग कंपनियों को लेकर गंभीर रिपोर्ट आ चुकी है। इन रिपोर्ट में संवाददाताओं ने काफी वक्त लगाया है, कई सारे दस्तावेज़ों का अध्ययन किया है और उन्हें अपनी रिपोर्ट में दिखाया भी है। इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ। हर रिपोर्ट गेंद की तरह आती है और दीवार से टकरा कर रह जाती है। न्यूयार्क टाइम्स में न्यूज़ क्लिक पर तीन लाइन छपी थी, उसके दफ्तर और उससे जुड़े करीब 40 से अधिक पत्रकारों के यहां छापा पड़ गया। पुलिस ने पूछताछ की और फोन से लेकर लैप टाप ज़ब्त कर लिए। अदाणी समूह से संबंधित तमाम खबरें एक नहीं बल्कि अनेक विदेशी और भारतीय अखबारों में छपी हैं मगर जांच एजेंसियों को उनके दफ्तर की तरफ जाने का साहस नहीं हुआ। भारत में भ्रष्टाचार के मामूली आरोपों में भी जांच बैठ जाती है, यही एक मामला है, जिसे लेकर पिछले ग्यारह महीने से लगातार रिपोर्टिंग हो रही है, विपक्षी दल आवाज़ उठा रहे हैं मगर नतीजा कुछ भी नहीं।