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अजीत डोभाल ”इस परियोजना” पर बात करने के लिए सऊदी अरब पहुंचे : रिपोर्ट

भारत, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात पश्चिमी एशियाई देशों को रेल नेटवर्क से जोड़ने की महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम कर रहे हैं.

अमेरिका की ओर सुझाई गई इस परियोजना के तहत इस क्षेत्र को समुद्री रास्ते दक्षिण एशिया से जोड़ने का भी इरादा है.

अमेरिका पश्चिमी एशिया देशों को रेल नेटवर्क से जोड़ने में भारतीय विशेषज्ञता का इस्तेमाल करना चाहता है.

‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट छापी गई है. रिपोर्ट में कहा है कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रविवार को इस परियोजना पर अमेरिका और यूएई के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ बातचीत की.

अख़बार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अजीत डोभाल इस परियोजना पर बात करने के लिए रविवार को सऊदी अरब पहुंचे.

समझा जाता है कि यहां भारत, अमेरिका और यूएई के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच इस महत्वाकांक्षी परियोजना के व्यापक पहलुओं के पर चर्चा होगी.

परियोजना के तहत रेलवे, समुद्री और सड़क नेटवर्कों के ज़रिये पश्चिमी एशियाई देशों (अमेरिका इन्हें मध्य पूर्व देश कहता है) को जोड़ा जाएगा. इसके साथ ही यहां से समुद्री रास्ते के ज़रिये दक्षिण एशिया को जोड़ा जएगा.

अमेरिकी न्यूज़ वेबसाइट ‘एक्सियस’ ने इस बातचीत की रिपोर्ट छापी है. इसमें कहा गया है कि मध्य-पूर्व में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए ये अमेरिका की अहम पहल में से एक है.

चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का मुक़ाबला

दरअसल, मध्य पूर्व में चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ विजन का एक अहम हिस्सा है.

‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि भारत की इस परियोजना में काफ़ी दिलचस्पी है क्योंकि ये इसके सामरिक उद्देश्यों को पूरा करता है.

अख़बार लिखता है कि चीन ने पश्चिमी एशिया में राजनीतिक असर बढ़ा लिया है. चीन की अगुआई में सऊदी अरब और ईरान के बीच जो समझौता हुआ उसने भारत को चौंका दिया.

इससे पश्चिमी एशिया के भारत के हितों के प्रभावित होने का ख़तरा बढ़ गया. यह इलाका भारत की ऊर्जा सुरक्षा को लेकर काफी अहम है.

अगर पश्चिमी एशिया को रेलवर्क नेटवर्क और फिर इस इलाके को समुद्री मार्ग से दक्षिण एशिया से जोड़ा जाता है तो इससे भारत तक तेजी और कम लागत में तेल और गैस पहुंच सकेगी. इस कनेक्टिविटी से खाड़ी देशों में रह रहे भारत के 80 लाख लोगों को भी फायदा होगा.

दूसरी अहम बात ये होगी कि इससे भारत की रेलवे सेक्टर में एक इन्फ्रास्ट्रक्चर बिल्डर के तौर पर ब्रांडिंग होगी.

भारत में विस्तृत रेल नेटवर्क चलाने और श्रीलंका में ऐसा ही नेटवर्क खड़ा करने में मिली सफलता के बाद भारत के अंदर इसे लेकर काफी आत्मविश्वास है.

इसके साथ ही भारत ये भी चाहता है कि इसकी सार्वजनिक और निजी कंपनियां पश्चिमी एशियाई देशों में नए आर्थिक और इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में मौके तलाशे.

इससे भारत को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का मुकाबला करने में भी मदद मिलेगी. हालांकि इसने कई देशों पर वित्तीय बोझ लाद दिया है.

आई2यू2 फोरम का आइडिया
दरअसल अमेरिका ने ‘ब्लू डॉट नेटवर्क’ की पेशकश की थी. इस नेटवर्क की परियोजनाओं में हिस्सा लेने वाले देशों पर इस तरह के वित्तीय बोझ की आशंका काफी कम है.

भारत सरकार का कहना है कि पाकिस्तान की ओर से जमीनी ट्रांजिट रूट्स को रोकने से भारत की अपने पश्चिमी हिस्से के पड़ोसियों से कनेक्टिविटी सीमित हो गई है.

अख़बार ने एक्सियस की रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा है कि यह आइडिया आई2यू2 फोरम के पिछले 18 महीने की बातचीत के दौरान सामने आया.

इस फोरम में अमेरिका, इसराइल, यूएई और भारत शामिल है. ये परियोजना पश्चिमी एशिया में सामरिक इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर बातचीत के लिए बना था.

चीन को ध्यान में रखते हुए इसराइल ने इस इलाके को आपस में जोड़ने का प्रस्ताव रखा था. इसमें रेल नेटवर्क बिछाने के लिए भारत की विशेषज्ञता का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव रखा गया था.

हाल के दिनों में बाइडन प्रशासन ने इसमें सऊदी अरब की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया था. इस पहल से लेवांत और खाड़ी क्षेत्रों में अरब देशों को रेल नेटवर्क से जोड़ने में मदद मिलेगी. रेलवे नेटवर्क में भारत की विशेषज्ञता इसमें अहम भूमिका निभा सकती है.

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन गुरुवार को वॉशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी में दी गई अपनी स्पीच में कहा था, ” अगर आपको मेरी स्पीच का कुछ भी याद न आए तो सिर्फ आई2यू2 को याद करें. आने वाले दिनों में हम अपनी पहल तेज करेंगे और आपको इसकी गतिविधियों के बारे में ज्यादा सुनने को मिलेगा.”

सुलिवन ने कहा कि बेसिक प्लान दक्षिण एशिया, मिडिल ईस्ट और अमेरिका से जोड़ना है. ये काम हमारी आर्थिक टेक्नोलॉजी और डिप्लोमेसी को आगे बढ़ाएगा.