नई योजना से उन युवाओं को मौका मिलेगा, जो तकनीकी कौशल में ढलकर अनुशासित रूप में समाज में योगदान देना चाहते हैं। अग्निवीर की रैंक सेनाओं की मौजूदा रैंक से अलग होगी। इससे भारतीय सैन्यबलों को युवा चेहरा मिलेगा। सैन्य मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी के मुताबिक, सेनाओं की मौजूदा औसत उम्र 32 साल है। 6-7 साल में यह 26 साल हो जाएगी।
90 दिनों में भर्ती रैलियां शुरू
राष्ट्र की सेवा के दौरान अग्निवीरों को विभिन्न सैन्य कौशल और अनुभव, अनुशासन, शारीरिक फिटनेस, नेतृत्व गुण, साहस और देशभक्ति का प्रशिक्षण दिया जाएगा। चार साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद सेवानिवृत्त हुए अग्निवीरों के सामने अपनी क्षमता साबित कर सेना को आगे सेवाएं देने का विकल्प होगा। दूसरी तरफ सेवानिवृत्त हुए अग्निवीरों को नई सेवाओं के लिए प्राथमिकता देते हुए नागरिक समाज में शामिल किया जाएगा, जहां वे राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में योगदान दे सकते हैं।
यदि चार साल बाद भी बने रहते हैं
सेनाओं में नियमित करने के लिए चुने गए युवाओं को न्यूनतम 15 वर्ष की अतिरिक्त अवधि के लिए सेवा करनी होगी। इन पर जूनियर कमीशंड अधिकारियों या अन्य रैंकों की सेवा के मौजूदा नियम और शर्तें लागू होंगी। चार साल की सेवा पूरी होने पर सेना की जरूरत और नीतियों के मुताबिक अग्निवीरों को सेनाओं में स्थायी नामांकन के लिए आवेदन करने का अवसर प्रदान किया जाएगा। उनकी चार साल की सेवा की अवधि के दौरान प्रदर्शन और अन्य योग्यताओं के आधार पर चुने हुए प्रत्येक विशिष्ट बैच के 25 फीसदी रंगरूटों को नियमित कैडर में जगह मिलेगी।
अनोखा होगा बायोडाटा
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा, अग्निवीर भविष्य के लिए तैयार सैनिक होगा। अग्निवीर भारत के युवा रक्षक होंगे। चार साल तक सेनाओं में रहने के बाद एक अग्निवीर का बायोडाटा बहुत ही अनोखा होगा। वह अपने रवैये, कौशल और हमारे साथ बिताए समय की वजह से भीड़ में अलग दिखेंगे।
चार साल बाद फंड में कुल राशि 10.04 लाख
सेवा समाप्त होने पर सेवा निधि पैकेज के तहत 11.71 लाख रुपये मिलेंगे (कुल जमा रकम ब्याज समेत, कर मुक्त)।
नियमित कैडर में भर्ती के लिए आवेदन कर सकेंगे
चार साल बाद अगले 15 साल के लिए नियमित कैडर के तौर पर भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए अलग नियम बनाए गए हैं। यह जवान जूनियर कमीशन ऑफिसर व अन्य रैंक में अपनी सेवा देंगे। इससे सशस्त्र बलों को युवा, तकनीक-प्रेमी, आधुनिक और भविष्य की जरूरतों के मुताबिक तैयार सैनिक मिल सकेंगे।
शहीद होने पर परिवार को मिलेंगे एक करोड़
अगर सेवा के दौरान कोई जवान शहीद होता है तो उसके परिवार को पूरा इंश्योरेंस कवर मिलेगा। शहीद के परिवार को सेवा निधि समेत लगभग एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे। शहीद की बची हुई सेवा का पूरा वेतन भी परिवार को दिया जाएगा। सेवाकाल में अगर जवान दिव्यांग हो जाता है तो 100% दिव्यांगता पर 44 लाख, 75% पर 25 लाख व 50% दिव्यांगता पर 15 लाख रुपये मिलेंगे।
स्नातक दाखिले में अग्निवीर के कौशल को मान्यता : यूजीसी
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने कहा, अग्निपथ योजना के तहत सशस्त्र बलों में शामिल होने वाले अग्निवीरों के कौशल को मान्यता देने की दिशा में आयोग काम करेगा। ताकि चार साल की सेवा के बाद ये अग्निवीर जब स्नातक में दाखिला लें तो उन्हें कोई मुश्किल का सामना न करना पड़े। जगदीश कुमार ने कहा, अग्निवीर ऐसे कई कौशल हासिल करेंगे और इसके लिए अग्निवीर कौशल सर्टिफिकेट होना चाहिए।
विरोध के स्वर उठे : पूर्व फौजी अफसरों ने असंतोष जताया
मेजर जनरल सतबीर सिंह (सेवानिवृत्त) कहते हैं कि यह योजना ठीक नहीं है। सैनिकों के वेतन एवं पेंशन कम करने के लिए अग्निपथ भर्ती योजना लागू की गई है। यह आर्मी की परंपरा, प्रकृति, नैतिकता और मूल्यों पर खरी नहीं है।
सेना की क्षमता और प्रभाव पर बुरा असर पड़ सकता है। सेना को टूरिस्ट संगठन की तरह समझा जाने लगेगा।
चार साल बाद क्या करेंगे नए फौजी
एक्स सर्विसमैन शिकायत प्रकोष्ठ के अध्यक्ष साधु सिंह ने कहा, जवान को पौने तीन साल की ड्यूटी मिलेगी। छह माह ट्रेनिंग में निकल जाएंगे। नौ महीने की छुट्टी भी होती है।
स्थायी नौकरी वाले फौजियों क ड्यूटी क्षेत्र पर भी असर पड़ेगा। चार साल बाद सेना से लौटने के बाद काम मिलना आसान नहीं होगा। उन्हें पूर्व सैनिकों का दर्जा भी नहीं मिलेगा।
कामचलाऊ ट्रेनिंग खतरनाक
योजना का सबसे ज्यादा विरोध पूर्व सैन्य अधिकारियों ने किया है। सैन्य अभियान के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) विनोद भाटिया कहते हैं कि भारतीय सैनिकों का उत्साह और कर्तव्यपरायणता दुनिया के लिए मिसाल है। नई व्यवस्था में रेजिमेंट व्यवस्था खत्म होने से जवानों का नाम, नमक और निशान से लगाव भी खत्म हो जाएगा।
लीक से हटकर लिया गया यह निर्णय सिर्फ धन बचाने के लिए है। इसमें सैन्य अभियानों की आवश्यकताओं और युद्ध के दौरान सैनिकों के कार्यकौशल की जरूरत को दरकिनार किया गया है। पूरी तरह से प्रशिक्षण न मिलने पर एक सैनिक किसी के भी जीवन को खतरे में डाल सकता है।
चार साल बाद फंड में कुल राशि 10.04 लाख
सेवा समाप्त होने पर सेवा निधि पैकेज के तहत 11.71 लाख रुपये मिलेंगे (कुल जमा रकम ब्याज समेत, कर मुक्त)।
नियमित कैडर में भर्ती के लिए आवेदन कर सकेंगे
चार साल बाद अगले 15 साल के लिए नियमित कैडर के तौर पर भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए अलग नियम बनाए गए हैं। यह जवान जूनियर कमीशन ऑफिसर व अन्य रैंक में अपनी सेवा देंगे। इससे सशस्त्र बलों को युवा, तकनीक-प्रेमी, आधुनिक और भविष्य की जरूरतों के मुताबिक तैयार सैनिक मिल सकेंगे।
शहीद होने पर परिवार को मिलेंगे एक करोड़
अगर सेवा के दौरान कोई जवान शहीद होता है तो उसके परिवार को पूरा इंश्योरेंस कवर मिलेगा। शहीद के परिवार को सेवा निधि समेत लगभग एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे। शहीद की बची हुई सेवा का पूरा वेतन भी परिवार को दिया जाएगा। सेवाकाल में अगर जवान दिव्यांग हो जाता है तो 100% दिव्यांगता पर 44 लाख, 75% पर 25 लाख व 50% दिव्यांगता पर 15 लाख रुपये मिलेंगे।
स्नातक दाखिले में अग्निवीर के कौशल को मान्यता : यूजीसी
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने कहा, अग्निपथ योजना के तहत सशस्त्र बलों में शामिल होने वाले अग्निवीरों के कौशल को मान्यता देने की दिशा में आयोग काम करेगा। ताकि चार साल की सेवा के बाद ये अग्निवीर जब स्नातक में दाखिला लें तो उन्हें कोई मुश्किल का सामना न करना पड़े। जगदीश कुमार ने कहा, अग्निवीर ऐसे कई कौशल हासिल करेंगे और इसके लिए अग्निवीर कौशल सर्टिफिकेट होना चाहिए।
विरोध के स्वर उठे : पूर्व फौजी अफसरों ने असंतोष जताया
मेजर जनरल सतबीर सिंह (सेवानिवृत्त) कहते हैं कि यह योजना ठीक नहीं है। सैनिकों के वेतन एवं पेंशन कम करने के लिए अग्निपथ भर्ती योजना लागू की गई है। यह आर्मी की परंपरा, प्रकृति, नैतिकता और मूल्यों पर खरी नहीं है।
सेना की क्षमता और प्रभाव पर बुरा असर पड़ सकता है। सेना को टूरिस्ट संगठन की तरह समझा जाने लगेगा।
चार साल बाद क्या करेंगे नए फौजी
एक्स सर्विसमैन शिकायत प्रकोष्ठ के अध्यक्ष साधु सिंह ने कहा, जवान को पौने तीन साल की ड्यूटी मिलेगी। छह माह ट्रेनिंग में निकल जाएंगे। नौ महीने की छुट्टी भी होती है।
स्थायी नौकरी वाले फौजियों क ड्यूटी क्षेत्र पर भी असर पड़ेगा। चार साल बाद सेना से लौटने के बाद काम मिलना आसान नहीं होगा। उन्हें पूर्व सैनिकों का दर्जा भी नहीं मिलेगा।
कामचलाऊ ट्रेनिंग खतरनाक
योजना का सबसे ज्यादा विरोध पूर्व सैन्य अधिकारियों ने किया है। सैन्य अभियान के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) विनोद भाटिया कहते हैं कि भारतीय सैनिकों का उत्साह और कर्तव्यपरायणता दुनिया के लिए मिसाल है। नई व्यवस्था में रेजिमेंट व्यवस्था खत्म होने से जवानों का नाम, नमक और निशान से लगाव भी खत्म हो जाएगा।
लीक से हटकर लिया गया यह निर्णय सिर्फ धन बचाने के लिए है। इसमें सैन्य अभियानों की आवश्यकताओं और युद्ध के दौरान सैनिकों के कार्यकौशल की जरूरत को दरकिनार किया गया है। पूरी तरह से प्रशिक्षण न मिलने पर एक सैनिक किसी के भी जीवन को खतरे में डाल सकता है।
प्रशिक्षण अवधि अपर्याप्त
पूर्व उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राज कादियान ने प्रशिक्षण पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि योजना के तहत प्रशिक्षण की जो अवधि तय की गई है वह एक कुशल सैनिक को तैयार करने के लिए अपर्याप्त है। यह प्रशिक्षण महज कामचलाऊ होगा
पारदर्शी और वैज्ञानिक पद्धति से होगी भर्ती
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडेय ने कहा, अग्निपथ योजना का उद्देश्य कई चुनौतियों का सामना करने में सक्षम लड़ाकू बल तैयार करना है। चार साल की प्रारंभिक भर्ती के लिए पारदर्शी और वैज्ञानिक पद्धति स्थापित करेंगे और नामांकन करने वालों के चयन के लिए इसी तरह के मापदंड लागू करेंगे। अग्निवीर को हर तरह से सेना में शामिल और एकीकृत किया जाएगा।
महिलाओं को भी योजना में शामिल किया जाएगा
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा, अग्निपथ युवाओं की बेलगाम जीवन शक्ति, उत्साह और नए युग की क्षमताओं का एक स्थिर और निरंतर संचार प्रदान करेगा। भारतीय नौसेना की अग्निवीर योजना में महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा। अग्निपथ एक दूरदर्शी कदम है जो नौसेना में बहुआयामी बदलाव लाएगा।
जिन भर्तियों के नतीजे नहीं उनमें नए आवेदन देने होंगे
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा, अब सारी भर्ती अग्निपथ योजना के तहत ही होंगी। यानी जिन युवाओं ने वायु सैनिक परीक्षा दी है और नतीजा नहीं आया है, उन्हें अग्निपथ योजना के तहत फिर आवेदन करना होगा। इससे उन युवाओं को निराशा होगी जो दो साल से भर्ती का इंतजार कर रहे हैं या जो सेना में भर्ती के लिए मेडिकल और फिजिकल पास कर चुके हैं।
बड़े रक्षा सुधार
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ : साल 2000 में कारगिल युद्ध समिति ने भारतीय सेना के विभिन्न अंगों के बीच मजबूत सहयोग के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति की सिफारिश की। 1 जनवरी, 2020 को जनरल बिपिन रावत पहले सीडीएस नियुक्त हुए। उनके निधन के बाद से फिलहाल यह पद रिक्त है।
सैन्य मामलों का विभाग : नागरिक-सैन्य एकीकरण के लिए 1 जनवरी, 2020 को सैन्य मामलों का विभाग (डीएमए) बनाया गया।
अग्निपथ भर्ती योजना एक प्रमुख रक्षा नीति सुधार है। सेना में हाल में ये बड़े सुधार किए गए हैं-
महिला शक्ति : 5 मार्च 2019 को महिला अधिकारियों के स्थायी कमीशन के लिए भारतीय सेना की दस शाखाएं खोली गईं। अब महिलाएं रिटायरमेंट की उम्र तक सेना में काम कर सकेंगी।
सैन्य साजोसामान में आत्मनिर्भरता : रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को बढ़ावा दिया गया है। अगस्त 2020 में कई रक्षा उपकरणों का आयात रोका गया। 74 फीसदी तक स्वत: विदेशी निवेश और इससे ज्यादा सरकारी अनुमोदन से करने की अनुमति दी। स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया को सितंबर 2020 में मंजूरी।
रक्षा में डिजिटल इंडिया : नई साइबर सुरक्षा नीति अपनाई, पेंशन, छावनी सेवाएं, रक्षा संपदा और कैंटीन स्टोर ऑनलाइन। सशस्त्र बल न्यायाधिकरण ने अगस्त 2020 में पहली बार डिजिटल सुनवाई की। अगस्त 2020 में एनसीसी मोबाइल एप लॉन्च।
आसान परीक्षण : रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीएपी)2020 में थर्ड पार्टी टेस्टिंग शुरू की गई। गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीक्यूए) या मान्यता प्राप्त निजी एजेंसियों से परीक्षण का विकल्प।
वायुसेना की मारक क्षमता में बढ़ोतरी : वायुसेना के लिए 1996 के बाद अत्याधुनिक विमानों की पहली बड़ी खरीद के तहत जुलाई 2020 में राफेल फाइटर जेट भारत पहुंचे।
क्षेत्रों को जोड़ना : हर मौसम में बलों की आवाजाही के लिए अटल सुरंग, रोहतांग अक्तूबर 2020 में खोली गई। 12 अप्रैल, 2020 को कश्मीर-लद्दाख को जोड़ने वाला जोजिला दर्रा खुला। मई 2020 में धारचूला-लिपुलेख लिंक रोड शुरू। स्रोत : रक्षा मंत्रालय की ई-बुक
युवाओं के पास देश के लिए स्वर्णिम कल बनाने का मौका : केंद्रीय गृहमंत्री शाह
केंद्र की सेना में युवाओं की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना को क्रांतिकारी पहल बताते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, यह पहल युवाओं को अपने व देश के लिए स्वर्णिम कल बनाने का मौका देगी। वरिष्ठ भाजपा नेताओं व केंद्रीय मंत्रियों ने पहल के साथ साथ पीएमओ की ओर से अगले डेढ़ साल में 10 लाख भर्तियां करने के एलान की भी प्रशंसा की।
शाह ने कहा, इस दूरदर्शी फैसले से युवा अनुशासित, कौशलपूर्ण, तंदुरुस्त और वित्तीय रूप से सशक्त बनेंगे। यह सही मायने में आत्मनिर्भर भारत की नींव साबित होगा। इसके अलावा अगले डेढ़ साल में दस लाख नौकरियां देने की घोषणा युवाओं में नई उम्मीद और विश्वास का संचार करेगी। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, यह दिखाता है कि सरकार युवाओं के लिए रोजगार सृजन पर जोर दे रही है।
उसका सरकारी कर्मचारियों पर काम के बोझ को कम करने पर पूरा ध्यान है। अग्निपथ योजना पर नड्डा ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने इस योजना का एलान किया है। इससे युवाओं को कुछ समय तक सेना में भर्ती का मौका मिलेगा। इससे उनमें अनुशासन आएगा और राष्ट्र की मदद कर सकेंगे।
‘पीएम ने सरकार को जवाबदेह बनाया’
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले कुछ वर्षों में सरकार को अधिक जवाबदेह और शासन को अधिक जन-केंद्रित बनाया और सुनिश्चित किया कि सरकारी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। यह पहल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में लक्ष्यों व अवसरों को पूरा करने के लिए सरकार की ताकत बढ़ाने की ओर बढ़ाया गया एक और बड़ा कदम है।