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अगर ज़ायोनी सेना ग़ज़ा में ज़मीनी आप्रेशन करती है तो हमास का प्रभाव बढ़ेगा – गार्डियन अख़बार

ज़ायोनी शासन की सेना इस समय ग़ज़ा पट्टी के पास तैनात है और ज़मीनी कार्यवाही शुरू करने की बात कर रही है और इस विषय पर ज़ायोनी शासन के भीतर गहरे मतभेद की ख़बरें आ रही हैं।

इस बीच विश्व मीडिया में यह विचार आम हो रहा है कि अगर ज़ायोनी सेना ग़ज़ा में ज़मीनी आप्रेशन करती है तो हमास का प्रभाव बढ़ेगा। गार्डियन अख़बार ने एक लेख छापा जिसमें कहा गया है कि ज़मीनी कार्यवाही से इस्राईल को नुक़सान होगा और हमास का प्रभाव बढ़ जाएगा। वहीं टाइम्ज़ आफ़ इस्राईल ने लिखा कि ज़मीनी कार्यवाही से इस्राईली सेना को कुछ हासिल होने वाला नहीं है।

बीस दिन हो चुके हैं कि इस्राईली सेना ग़ज़ा पट्टी पर हवाई हमले कर रही है जिमसें पूरे पूरे मोहल्ले उसने ध्वस्त कर दिए हैं। इस बेरहमाना बमबारी में शहीद होने वाले फ़िलिस्तीनियों की संख्या 7 हज़ार से ज़्यादा हो गई है और इनमें 70 प्रतिशत से अधिक बच्चे, महिलाएं और बूढ़े हैं।

ब्राडफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर पाल रोजर्ज़ ने अपने एक लेख में लिखा कि इस्राईली सेना ज़मीनी कार्यवाही करती है तो वो हमास को ख़त्म तो नहीं कर पाएगी बल्कि यह नतीजा निकलेगा कि इलाक़े में हमास का प्रभाव बढ़ जाएगा क्योंकि आक्रोश में भरे हुए दसियों हज़ार फ़िलिस्तीनी युवा हमास में शामिल हो जाएंगे।

उन्होंने आगे लिखा कि ग़ज़ा पर जारी हमलों से अब लड़ाई वेस्ट बैंक के इलाक़े में पहुंच गई है जो और भी तेज़ हो सकती है और यह ज़ायोनी सरकार के लिए उससे कहीं बुरी स्थिति होगी जो अब है।

टाइम्ज़ आफ़ इस्राईल ने लिखा कि ग़ज़ा पट्टी में नरसंहार का सिलसिला 19 दिन से जारी है और इस्राईली सेना को कुछ भी हाथ नहीं लगा है। सेना ग़ज़ा में ज़मीनी आप्रेशन इसलिए नहीं कर रही है कि वो इस आशा में है कि शायद कोई दूसरा रास्ता निकल आए जिसमें इस्राईली सेना को बहुत ज़्यादा नुक़सान न उठाना पड़ा। इसके अलावा ज़ायोनी सेना में शंका और संदेह की स्थिति फैली हुई है।

अमरीका के जाने माने लेखक और पत्रकार थामस फ़्रेडमैन ने न्यूयार्क टाइम्ज़ में लिखा कि इस समय इस्राईल जो जंग लड़ रहा है वो बहुत पेचीदा है। इस जंग में वो कभी जीत नहीं पाएगा, उसे अमरीका के साथ मिलकर एक अंतर्राष्ट्रीय एलायंस बनाने की ज़रूरत पड़ेगी मगर इस एलायंस के लिए उसे पहले वेस्ट बैंक में ज़ायोनी बस्तियों के विस्तार को ख़त्म करने का एलान करना पड़ेगा।

दि हिल वेबसाइट ने लिखा कि जो बाइडन सरकार ने ग़ज़ा पर जारी ज़ायोनी शासन के हमलों के बारे में अपना स्वर हालिया कुछ दिनों के भीतर बहुत स्पष्ट रूप से तब्दील कर दिया है। उसकी कोशिश है कि ज़मीनी आप्रेशन जहां तक संभव हो टलता जाए इस बीच अधिक क़ैदी हमास के क़ब्ज़े से रिहा हों और ग़ज़ा में अधिक सहायता सामग्री पहुंचे।

न्यूज़ वीक ने एक लेख छापा जिसमें यह लिखा गया कि बाइडन और अन्य अमरीकी अधिकारी इस्राईल की आत्म रक्षा के अधिकार के नाम पर ग़ज़ा में आम नागरिकों के नरसंहार का समर्थन कर रहे हैं। यह खुली हुई हिपोक्रेसी है क्योंकि यही नेता यूक्रेन में रूस के क़ब्ज़े के विरोध की बातें करते हैं जबकि इस्राईल के ग़ैर क़ानूनी क़ब्ज़े का और फ़िलिस्तीनियों के खिलाफ़ इस्राईल के युद्ध अपराध का समर्थन कर रहे हैं।

चीन के ग्लोबल टाइम्ज़ ने लिखा कि इस लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका बढ़नी चाहिए।