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अगर अविमुक्तेश्वरानंद जैसों को मुसलमान पसंद नहीं तो वो कहीं ऐसे देश चले जाएं जहां मुसलमान ना हों!

Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
ये @jyotirmathah
हैं। इनका कहना है कि, “मुसलमान बाहर से आए हैं। मुसलमान इस देश की मिट्टी में उगा अनाज खाते हैं, यहीं शौच करते हैं। लेकिन नमाज़ अरब की ओर मुंह करके पढ़ते हैं। ये लोग बाहर से आए थे, लेकिन इनके दिल आज भी भारत में नहीं, कहीं और बसते हैं।” मुझे समझ नहीं आता कि कोई शख्स इतनी जहालत के बावजूद धर्म गुरु कैसे बन सकता है? जिसे इतनी भी तमीज़ नहीं कि मुसलमान अरब की ओर नहीं बल्कि काबा की ओर रुख करके नमाज़ पढ़ते हैं। मुसलमान बाहर से आए यह डाॅयलाग निहायत ही घटिया और वाह्यात है। इस देश में जितने भी उच्च वर्ग हैं वो सब बाहर से ही आए हैं। फिर चाहे वो हिंदू हों या मुसलमान, सिख हों या ईसाई! अब रहा सवाल यहां उगा अनाज खाने का तो कोई खैरात में नहीं खाते, बल्कि मेहनत से कमाते हैं और खाते हैं, अब जब पैदा यहां हुए, बड़े यहां हुए, नागरिक यहां के हैं तो अनाज क्या ऑस्ट्रेलिया के खेतों से लाकर खाएंगे? चोरी से खाना, छीनकर खाना, किसी और का हड़पकर खाना अपराध है, फिर चाहे वो अपराध कोई क्यों ना करे! लेकिन यह कहना कि यहां का खाते हैं, यह उस श्रम उस मेहनतकशी का अपमान है जिसमें पसीना गलाकर अपना चूल्हा जलाया है। अब रहा सवाल देश प्रेम का! तो उसका सर्टिफिकेट ऐसे शख्स से तो बिल्कुल भी नहीं चाहिए जो खुद अपने ही देश के नागरिकों के प्रति सिर्फ इसलिए कुंठित हो क्योंकि उनका धर्म ‘दूसरा’ है। इसी देश में आरक्षण की मांग ने कई बार हिंसा झेली है, सरकारी और निजी संपत्तियां स्वाहा हुई हैं। लेकिन मुस्लिम युवाओं ने कभी ऐसा नहीं किया, वो अपनी मेहनत मजदूरी से इस देश के के राजकोष में विदेशी मुद्रा लाकर भरते रहे, वो अरब देशों में गए, वहां मेहनत से काम किया, अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारा ही बल्कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार को भी नयी ऊंचाई दी है। अब विदेशी मुद्रा भंडार का क्या महत्तव है यह बात ना तो इस बाबा को पता है और ना ही उन दिमाग़ी दिव्यांगों को जो इस बाबा की बातों पर तालियां पीट रहे हैं। यह कुंठित गैंग मुसलमानों पर अपनी कुंठा निकालकर खुद को देशभक्त बताता है, जबकि देश के लोगों के ख़िलाफ द्वेष रखना, नफ़रत फैलाना देशद्रोह से कम नहीं है। देश किसी ज़मीन का टुकड़ा भर नहीं है, वह इंसानों से ही बनता है। बाबा अविमुक्तेश्वरानंद साहब अब ध्यान से सुनिए! यह देश किसी के बाप की जागीर की नहीं है, किसी एक धर्म, वर्ग के लोगो की बपौती नहीं है। यहां से कोई कहीं नहीं जाने वाला, और मुसलमान तो बिल्कुल भी नहीं। अगर अविमुक्तेश्वरानंद जैसों को मुसलमान पसंद नहीं तो वो कहीं ऐसे देश चले जाएं जहां मुसलमान ना हों।