नई दिल्ली: तेलंगाना की पहली विधानसभा अपना कार्यकाल पूरा होने से 9 महीने पहले ही भंग होगई है,क्योंकि मुख्यमंत्री चन्द्र शेखर राव ने इस्तेफ़ा देकर चुनाव की माँग करी है,जिसके बाद से राज्य की राजनीति में उबाल आया हुआ है,काँग्रेस और बीजेपी बगैर तैयारी के मैदान में उतरने के लिये तैयार नही है।
काँग्रेस चुनाव में सम्मान जनक स्थिति पाने के लिये किसी बैसाखी की तलाश में है,इसी लिये उसने तेलगुदेशम से हाथ मिला लिया है,और मैदान में कमर कस ली है,इस गठबंधन का कितना प्रभाव होगा वो नतीज़ों के बाद ही पता चलेगा।
तेलंगाना विधानसभा में कुल 119 सीटेँ हैं जिनमें से 90 सीटों पर तेलंगाना TRS का कब्ज़ा है तो 13 पर काँग्रेस,और 7 सीटेँ Aimim के पास और 5 बीजेपी,3 टीडीपी और 1 सीपीआई के पास है।इस प्रकार से 2014 में पूर्ण बहुमत से चंद्रशेखर राव मुख्यमंत्री बने थे।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि काँग्रेस और टीडीपी मिलकर वोट कटवा साबित होंगे जिसका सीधा सीधा प्रभाव टीआरएस पर पड़ेगा जिसके नतीजे में उनकी सीटेँ कम होंगी,अब देखना ये रहेगा की टीडीपी और काँग्रेस को कितना फायदा होगा।
तेलंगाना में बीजेपी के 5 विधायक हैं ये समय बने थे जब देशभर में बीजेपी मोदी लहर चली थी,अब तो स्थिति और ज़्यादा बिगड़ चुकी है,इस लिये इनकी बढ़ोतरी की तो कोई उम्मीद नही लगती है।
Aimim के 7 विधायक हैं लेकिन जिस अंदाज़ में ओवैसी ने आवाज़ उठाई है उससे जनता बड़ी प्रभावित है,और उसके साथ साथ तमाम विधायकों ने अपने अपने क्षेत्रों में जमकर विकास कार्य भी कराया है,जिससे उनकी जीत तो पक्की मानी जारही है।
ओवैसी ने अपने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में 7 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है,अभी दूसरी लिस्ट आएगी ऐसे में देखना है कि ओवैसी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे,कुछ लोगों का कहना कि इस बार Aimim की सीटेँ बढ़ेंगी।
अकबरुद्दीन ओवैसी मुख्यमंत्री ?
अकबरुद्दीन ओवैसी ने अपने एक भाषण में कहा कि जब कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बन सकता है तो हम क्यों नही? अकबर ने इशारों इशारों में राज्य की राजनीति को एक नया रुख दिया है,ऐसे में अगर टीआरएस की सीटेँ कम पड़ी और कॉंग्रेस के पास भी बहुमत ना हुआ तो Aimim सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी,तब ओवैसी चाहें तो किंग बनें या किंग मेकर।लेकिन ये आने वाला इलेक्शन और उसके परिणाम तय करेंगे।