दुनिया

“अंत में हमें ईरान से युद्धविराम की भीख माँगनी पड़ेगी” : ज़ायोनी विशेषज्ञ

शुक्रवार को ज़ायोनी शासन द्वारा तेहरान और ईरान के कई शहरों पर हमले के बाद, जिसमें कई सैन्य कमांडरों, वैज्ञानिकों और नागरिकों की शहादत हुई, ईरान इस्लामिक गणराज्य ने शुक्रवार शाम से अवैध अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर हमले शुरू कर दिए हैं।

मेहर न्यूज एजेंसी के हवाले से पार्स टुडी ने रिपोर्ट दी है कि इज़रायली सुरक्षा एवं सैन्य विशेषज्ञ योसी मेलमैन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक संदेश में ज़ायोनी शासन के नेताओं को सलाह दी कि तेहरान से युद्धविराम की भीख माँगने से पहले इस पागलपन को रोकें। मेलमैन ने कहा कि यदि स्थिति इसी तरह जारी रही, तो अंत में यह शासन ईरान से युद्धविराम के लिए गिड़गिड़ाने को मजबूर हो जाएगा।

उन्होंने लिखा: “यह अल्पकालिक उत्साह था। शुक्रवार सुबह मैंने खुद से पूछा – ‘क्या विशेष रूप से ईरानियों के खिलाफ़ इस युद्ध में शामिल होना वास्तव में आवश्यक था?'”

इस ज़ायोनी विशेषज्ञ ने ज़ोर देकर कहा: शिया ऐतिहासिक रूप से पीड़ा सहन करने के लिए तैयार रहते हैं। मैंने उनकी बलिदान की इच्छा को याद किया, जैसा कि इराक के साथ आठ साल के युद्ध में देखा गया था। मेरी सलाह है कि हम नुकसान को कम से कम करें और इस पागलपन को रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ‘डोनाल्ड ट्रम्प’ के माध्यम से एक उचित समझौते का सहारा लें – नहीं तो हमें युद्धविराम के लिए गिड़गिड़ाना पड़ेगा और ईरान मना कर देगा।”

इसी बीच क़ाहिरा विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान संकाय की पूर्व प्रमुख ‘आलिया अल-महदी’ ने इज़रायल के ईरान पर हमले पर टिप्पणी करते हुए कहा: “ईरान एक बड़ा देश है जिसके पास सभी वैज्ञानिक क्षेत्रों में प्रशिक्षित नागरिक हैं।”

उन्होंने आगे कहा: “इज़रायली शासन को क्षेत्र में अराजकता, फित्ना और आतंकवादी गतिविधियाँ फैलाने के लिए बनाया गया था। ब्रिटेन और पश्चिम ने ज़ायोनियों से छुटकारा पाने के लिए इस शासन को इस क्षेत्र में स्थापित किया, और तेल-गैस संपन्न इस क्षेत्र में इसकी मौजूदगी अमेरिका के लिए संपत्ति पर नियंत्रण सुनिश्चित करने का ज़रिया है।”

मिस्र के विश्लेषक ‘कमाल हबीब’ ने कहा: “यह ईरान के लिए एक अवसर है कि वह इस आपराधिक गिरोह को निर्णायक दर्स दे, जो यह समझता है कि वह अपनी शर्तें थोप सकता है और इस क्षेत्र में एक कब्जाधारी के रूप में मौजूद रह सकता है। अगर यह शासन इस ऐतिहासिक और बड़ी लड़ाई से बच निकला, तो हम अपने देश में रहने की क्षमता खो देंगे। हमारी शांति और सम्मान की शर्त इस शासन की हार और विनाश है।”

उन्होंने अरब दुनिया के ईरान को पूर्ण समर्थन पर जोर देते हुए कहा: “हमारा मुख्य दुश्मन यह आपराधिक और दमनकारी शासन है।”

एक अन्य मिस्री विश्लेषक ‘अब्दुलनबी फरज’ ने कहा: “हम इस समय औपनिवेशिक इज़रायली शासन के खिलाफ़ ईरान के साथ पूरी तरह खड़े हैं। हमने मिस्रवासियों के खिलाफ़ इज़रायल के अपराधों, सिना मरूस्थल पर कब्ज़ा और फिलिस्तीन, सीरिया तथा ईरान के खिलाफ़ उसके अत्याचारों को नहीं भुलाया है और न भुलाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *