दुनिया

अंतरिक्ष में ईरान : ग़ाज़ा में बच्चों की हत्या,,,मेरा दिल दुःखी है!

सहाब- ٍ ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप अमेरिका की विदेशनीति है और अमेरिका को ईरान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का जवाब देना चाहिये।

अंतरिक्ष में ईरानी तकनीक की कामयाब परीक्षा, सीरिया पर सत्तासीन गुटों व धडों से ईरान का सीधे संपर्क का न होना, अमेरिका द्वारा ताइवान की मदद पर चीन का कड़ा विरोध व आपत्ति, ग़ज़ा में बच्चों की हत्या पर पोप की प्रतिक्रिया और अमेरिकी युद्धपोत पर यमन का हमला विश्व के हालिया कुछ परिवर्तन हैं जिनका हम यहां उल्लेख कर रहे हैं।

बक़ाईः अमेरिका को ईरान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का जवाब देना चाहिये

अलआलम की रिपोर्ट के अनुसार ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप अमेरिका की विदेश नीति है और ईरान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के कारण अमेरिका को इसका जवाब देना चाहिये।

बक़ाई ने इसी प्रकार सीरिया के परिवर्तनों और ईरान की नीति और सीरिया में विरोधी गुटों से संबंध के बारे में कहा कि हम आतंकवाद से मुक़ाबले के लिए सीरिया गये थे। इस कार्य से पहले हम कुछ गुटों से संपर्क में थे मगर इस समय हमारा कोई सीधा संपर्क नहीं है।

ब्लाक सिस्टम 1 अंतरिक्ष में, ईरानी तकनीक की कामयाबी परीक्षा

ईरान की अंतरिक्ष संस्था के प्रमुख हसन सालारिया ने रविवार को सूचना दी कि सीमुर्ग सेटलाइट अंतरिक्ष में कामयाबी के साथ काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस सेटेलाइट को ज़मीन से 300 से 410 किलोमीटर की दूरी पर अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया गया है और यह कामयाबी के साथ अपना काम कर रहा है।

ज़ायोनी सरकार ने स्वीकार कियाः यमन के साथ जंग सख्त व कठिन है

ज़ायोनी समाचार पत्र मआरियो ने एक रिपोर्ट में एलान किया है कि इस्राईली सेना और सुरक्षा तंत्रों ने स्वीकार किया है कि यमन से जंग सख्त और कठिन है।

यमनियों ने अमेरिका के युद्धपोत पर हमला किया और अमेरिका के F18 युद्धक विमान का मार गिराना

यमन की सशस्त्र सेना के प्रवक्ता यहिया सरी ने रविवार को एलान किया कि इस देश की सशस्त्र सेना ने फ़िलिस्तीन की मज़लूम जनता की रक्षा और अमेरिका और ब्रिटेन के हमलों के जवाब में अमेरिका के युद्धपोत USS Harry S. Truman और कुछ Destroyer को लक्ष्य बनाया। यहिया सरी के एलान के अनुसार यह हमला आठ मिसाइलों और 17 ड्रोनों से अंजाम दिया गया। इस हमले में अमेरिका का एक युद्धक विमान F-18 गिर गया।

पनामा ने डोनाल्ड ट्रम्प के दावे पर कड़ी प्रतिक्रिया दिखाई है

पनामा के राष्ट्रपति ने अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की धमकियों की प्रतिक्रिया में कहा है कि पनामा कानाल हमारे नियंत्रण में रहेगी और देश की संप्रभुता व स्वाधीनता पर कोई समझौता नहीं किया जायेगा।

चीन ने अमेरिका द्वारा ताइवान की मदद पर कई आपत्ति जताई

चीनी विदेशमंत्रालय ने रविवार को अमेरिका द्वारा ताइवान की नई सैनिक सहायता पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ताइवान की स्वाधीनता के लिए सहायता और इस द्वीप को हथियारों से लैस करना आग से खेलने जैसा है और यह आग अमेरिका को जला देगी। चीनी विदेशमंत्रालय ने एक बयान जारी करके ताइवान को अमेरिका की 571 मिलियन डा᳴लर की नई सैनिक सहायता पर कड़ी आपत्ति जताई है।

राष्ट्रसंघ का एक अधिकारीः ग़ज़ा पट्टी में युद्ध के समस्त क़ानूनों को कुचला जा रहा है।

फ़िलिस्तीन में राष्ट्रसंघ की सहायता एजेन्सी अनरवा ने ग़ज़ा पट्टी में ज़ायोनी सरकार के अपराधों की ओर संकेत करते हुए कहा है कि हर जंग के कुछ क़ानून होते हैं परंतु इन समस्त क़ानूनों को ग़ाज़ा में कुचला जा रहा है।

ग़ाज़ा में बच्चों की हत्या पर पोप फ्रांसिस की प्रतिक्रियाः मेरा दिल दुःखी है

दुनिया में कैथोलिक ईसाइयों के धार्मिक नेता पोप फ्रांसिस ने ग़ाज़ा में शुक्रवार को इस्राईल के हवाई हमले की भर्त्सना की और कहा कि बच्चों पर बमबारी की जाती है। यह क्रूरता है, यह जंग नहीं है, मैं कहना चाहता है मेरा दिल दबाव में है और मैं दुःखी हूं।

ज्ञात रहे कि ज़ायोनी सरकार ने शुक्रवार को ग़ाज़ा पर जो हवाई हमला किया था उसमें कई बच्चों सहित कम से कम 25 लोग शहीद हुए थे।

क़तर ने यूरोपीय देशों को गैस न देने की धमकी दी है

क़तर के ऊर्जा मंत्री ने समाचार पत्र फ़ाइनेन्शियल टाइम्स से वार्ता में धमकी दी है कि अगर यूरोप ने पर्यावरण को दूषित करने वाली कंपनियों के संबंध में क़ानून लगाया तो वह यूरोप को गैस का निर्यात बंद कर देगा।

 

प्रतिरोध मोर्चे का यथासंभव समर्थन करेंगेः जनरल सलामी

प्रतिरोध मोर्चे का यथासंभव समर्थन करेंगेः जनरल सलामी

पार्सटुडे- इस्लामी क्रांति के संरक्षक बल सिपाहे पासदारान (आईआरजीसी) के प्रमुख ने बल देकर है कि दुनिया की किसी भी ताक़त के अंदर सिपाहे पासदारान की थल, वायु और नौसेना पर हावी होने की क्षमता व सकत नहीं है।

मेजर जनरल हुसैन सलामी ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की ताक़त सीमाओं से बढ़कर है।

उन्होंने कहा कि सिपाहे पासदारान की शक्ति महान ईश्वर की असीमित शक्ति से जुड़ी है और हमारी ताक़त ईरान की सीमाओं से बढ़कर है और हमारे समस्त दुश्मनों को चाहिये कि वे अपने समीकरणों में इस बिन्दु को ध्यान में रखें। क्योंकि उनकी पहली ग़लती आख़िरी ग़लती व भूल हो सकती है।

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार मेजर जनरल सलामी ने नमाज़ के संबंध में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि ईरानी राष्ट्र को चाहिये कि वह दुश्मनों की जटिल शैलियों को समझे व जाने क्योंकि दुश्मन परिवर्तनों के बोझ को ईरानी राष्ट्र के कांधों पर अधिक करना और कहना चाहते हैं कि क्षेत्र में ईरान की भुजा कट गयी है। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीन अभी ज़िन्दा है और हम यथासंभव प्रतिरोध मोर्चे का आध्यात्मिक और राजनीतिक समर्थन करेंगे किन्तु वे हमारी तरह अपने हथियारों की ज़रूरत को खुद पूरा करते और खुद बनाते हैं।

इसी प्रकार उन्होंने कहा कि ज़ायोनी दुश्मन सोचता है कि वह महिलाओं, बच्चों और निहत्थे लोगों की हत्या करके ग़ज़ा में कामयाब हो गया है परंतु वास्तविकता यह है कि ज़ायोनी आज पहले से अधिक परेशान होकर ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं और वे बंद गली में पहुंच गये हैं और उनका भविष्य स्पष्ट नहीं है।

सिपाहे पासदारान के प्रमुख कमांडर मेजर जनरल हुसैन सलामी ने सीरिया में होने वाले परिवर्तनों की ओर संकेत करते हुए कहा कि ज़ायोनी दुश्मन सीरिया की भूमि के कुछ भाग पर क़ब्ज़ा करते हैं क्या उनके इस कब्ज़े से उनकी समस्या का समाधान होता है? इस काम से वे मुसलमानों का हाथ खोल रहे हैं और मोमिन संघर्षकर्ताओं के लिए जंग की दूसरी ज़मीन तैयार कर रहे हैं, क्या ज़ायोनी इस पवित्र क्रोध और जेहाद करने हेतु प्रतिरोध की भावना के मुक़ाबले में सुरक्षित ज़िन्दगी कर सकते हैं? क्या ज़ायोनी दूसरों के क़ब्ज़ा किये हुए मकानों में सुकून से रह सकते हैं?

मेजर जनरल हुसैन सलामी ने समाज में नमाज़ के अदा किये जाने की ओर संकेत करते हुए अंत में बल देकर कहा कि अगर हम नमाज़ के असर को रणक्षेत्र में देखना चाहते हैं तो काफ़ी है कि ग़ज़ा को देखें कि फ़िलिस्तीनी बच्चे क़ुरआन की आयतों की तिलावत करते हैं और हिज़्बुल्लाह के जवान उस कठिन स्थिति में विजयी हुए और इस्राईल को नाकाम बना दिये और वे शक्तिशाली हो गये।

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Christian Protests Erupt Across Syria After Burning of Christmas Tree in Suqaylabiya

Christian protests have erupted across Syria following the burning of a Christmas tree in the Orthodox-majority town of Suqaylabiya, an incident reportedly carried out by eight Uzbeks associated with radical Islamist factions. The attack has incited widespread anger among Syria’s Christian communities, many of whom had already endured immense persecution throughout the conflict.

Protests continued into the night in several Christian areas, including Bab Touma in Damascus, a historic district known for its churches. Armed Christian militias were observed patrolling the area, though no violence has been reported so far. Demonstrations remain active, fueled by growing frustration over the perceived failure of the new authorities to protect religious minorities.

Despite the new administration’s public declarations of inclusivity and tolerance, radical Islamist factions continue to operate within their ranks. Some groups even display symbols used by ISIS.

The burning of the tree, which coincided with Catholic Christmas, underscores the fragile security and rising sectarian tensions in areas under militant control. Critics note the involvement of foreign jihadists, particularly from CIS countries, and question the lack of action from local authorities to curb such extremist behavior.

It is particularly shocking that certain voices in the Russian media, reportedly aligned with Turkish and British interests, dismiss the persecution of Christians in Syria by drawing false equivalencies to alleged oppression during Bashar al-Assad’s rule, effectively justifying the ongoing abuses.

ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बक़ाई

 

बक़ाई ने बताया कि ईरान ने सीरिया में संकट बढ़ने से कैसे रोका, पुतिन की जानकारी ग़ैर सूक्ष्म

पार्सटुडे- ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बक़ाई ने एक साक्षात्कार में कहा कि सीरिया में परामर्शदाता के रूप में ईरान की उपस्थिति का उद्देश्य इस देश की सेना की सहायता, आतंकवादी गुटों से मुक़ाबला और पूरे क्षेत्र में असुरक्षा को बढ़ने से रोकना था और अपने परामर्शदाता सैनिकों को निकालने पर आधारित निर्णय भी ज़िम्मेदारी से भरा क़दम था और सीरिया और क्षेत्र की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया गया।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन ने सीरिया में बश्शार असद की सरकार के ख़त्म हो जाने के बाद पहली बार एक प्रेस कांफ्रेन्स में सीरिया में होने वाले परिवर्तनों के बारे में किये गये प्रश्नों का जवाब दिया।

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार इस प्रेस कांफ्रेन्स में रूसी राष्ट्रपति से विभिन्न प्रश्नों को पूछा गया और उनके जवाबों से स्पष्ट हो गया कि उनकी बातें सूक्ष्म नहीं थीं। मिसाल के तौर पर रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि सीरिया में रूस का कोई थल सैनिक नहीं था। इसी प्रकार रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि वहां पर हमारी सैनिक छावनियां हैं एक वायुसेना की है जबकि दूसरी नौसेना की।

सीरिया में जो ज़मीनी व थलसेना थी उसमें सीरियाई सैनिक और कुछ दूसरे सैनिक थे। जैसकि हम सभी जानते हैं कि हमारे पास छिपाने के लिए कोई बिन्दु नहीं है दूसरे शब्दों में लड़ने वाले ईरान के समर्थक थे यहां तक कि वहां से हमने अपनी विशेष कार्यवाही के सैनिकों को निकाल लिया था हमारा काम वहां केवल लड़ना नहीं था।

रूसी राष्ट्रपति से जब यह पूछा गया कि सीरिया में अंतिम दिनों में क्या हुआ जिसकी वजह से बहुत कुछ बदल गया तो उन्होंने सीरिया के रणक्षेत्र में जो कुछ हुआ था उसे बयान किया और कहा कि जब विद्रोही गुट हलब के नज़दीक पहुंच गये तो लगभग 30 हज़ार लोग हलब की रक्षा के लिए लड़ रहे थे। 350 अर्धसैनिक नगर में दाख़िल हो गये। सीरियाई सैनिक और उनके साथ ईरान के समर्थक लड़ने वाले बिना लड़ाई के पीछे हट गये और अपने ठिकानों को विस्फ़ोटों से उड़ा दिया।

रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ जगहों पर सशस्त्र झड़पें हुईं पर उन्हें छोड़कर समूचे सीरिया की यही हालत थी। अगर पहले हमारे ईरानी दोस्त हमसे कहते कि हमारी मदद करें ताकि हम अपने सैनिकों को सीरिया पहुंचा सकें पर अब वे हमसे कह रहे हैं कि हमें सीरिया से निकाले लें। हमने चार हज़ार ईरानी संघर्षकर्ताओं को हमीम छावनी से तेहरान स्थानांतरित किया। कुछ ईकाइयां जिन्हें ईरान का समर्थक कहा जाता है लड़ाई के बिना लेबनान और इराक़ चली गयीं।

जब से सीरिया में बश्शार असद की सरकार सरकार गिरी है और बश्शार असद सीरिया से रूस चले गये हैं उसके बाद से ईरान के विदेशमंत्री और विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता सहित विभिन्न ईरानी अधिकारियों ने टीवी कार्यक्रमों और प्रेस कांफ्रेन्सों में हाज़िर होकर सीरिया में होने वाले परिवर्तनों के संबंध में वास्तविकताओं को बयान किया परंतु रूसी राष्ट्रपति ने जो बातें वार्षिक प्रेस कांफ्रेन्स में कही वे कुछ आयामों से सूक्ष्म नहीं थीं।

इसी संबंध में ईरान के विदेशमंत्राल के प्रवक्ता इस्माईल बक़ाई ने रूसी राष्ट्रपति की हालिया बातों के संबंध में एक साक्षात्कार किया है जिसके महत्वपूर्ण अंशों का उल्लेख हम यहां कर रहे हैं।

इस्माईल बक़ाई ने सीरिया में आतंकवाद से मुक़ाबले के लिए लंबे समय से ईरान और रूस के मध्य होने वाली सहकारिता व सहयोग की ओर संकेत किया और कहा कि यह अस्वाभाविक नहीं है कि सीरिया के परिवर्तनों में प्रभावी भूमिका निभाने वाले पक्ष अपने विचारों को विशेष व भिन्न रूप में बयान करें और पेश करें परंतु प्रतीत नहीं हो रहा है कि सीरिया में बश्शार असद की सरकार के अंतिम दिनों में ईरान की परामर्शदाता के रूप में भूमिका के बारे में बातें व जानकारियां सूक्ष्म नहीं थीं।

विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सीरिया में परामर्शदाता के रूप में ईरान की उपस्थिति का उद्देश्य इस देश की सेना की सहायता, आतंकवाद से मुक़ाबला और पूरे क्षेत्र में असुरक्षा फ़ैलने से रोकना था और सीरिया से निकलने का जो फ़ैसला किया गया वह भी सीरिया की सैनिक व सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखकर गया।

दाइश के ख़त्म होने के बाद सीरिया में ईरान की सैन्य उपस्थिति बदल गयी

ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बक़ाई ने कहा कि सीरिया की क़ानूनी सरकार के आह्वान व मांग पर ईरान वहां गया था और ईरान और सीरिया ने आतंकवाद से मुक़ाबले में वर्षों तक प्रभावी सहयोग किया और सीरिया और इराक़ में दाइश को पैर जमाने और क्षेत्र में आतंकवाद को फ़ैलने से रोक दिया।

उन्होंने आगे कहा कि सीरिया में दाइश के प्रभाव के कम व ख़त्म हो जाने के बाद इस देश में ईरान की सैन्य उपस्थिति परिवर्तित हो गयी और ईरान की सैन्य उपस्थिति दाइश और तकफ़ीरी आतंकवादी गुटों को दोबारा अस्तित्व में आने से रोकने और ज़ायोनी सरकार के मुक़ाबले में सीरियाई सैनिकों की मज़बूती तक सीमित हो गयी, यह काम सफ़ल था और सबने देख लिया कि सीरिया से ईरान के परामर्शदाता सैनिकों के निकलने के बाद अतिग्रहणकारियों ने तुरंत सीरिया के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा कर लिया और साथ ही सीरिया की आधारभूत सेवाओं को नष्ट व बर्बाद कर दिया।

तेहरान मॉस्को के साथ विचारों के आदान- प्रदान को आधिकारिक रास्तों से किये जाने को प्राथमिकता देता है।

सीरिया से ईरान स्थानांतरित किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या के बारे में जब विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इनमें ईरानी कूटनयिकों के परिवार, ईरानी और ग़ैर ईरानी तीर्थयात्री और इसी प्रकार कुछ वे ग़ैरईरानी नागरिक थे जो सीरिया में लेबनानी शरणार्थियों की मदद करने के लिए वहां गये थे और इन सभी लोगों को ईरानी विमानों से हमीम एअरपोर्ट से और रूस के सहयोग से ईरान स्थानांतरित कर दिया गया।

विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने अपनी वार्ता के अंत पर बल देकर कहा कि ईरान और रूस के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सहयोग हैं और विभिन्न सतहों पर दोनों देशों के मध्य वार्ता होती रहती है और तेहरान इस बात को प्राथमिकता देता है कि दोनों देशों के मध्य विचारों और अनुभवों का आदान- प्रदान भी औपचारिक मार्गों से हो।

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