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सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला : अगली सुनवाई तक निचली अदालतों को उपासना स्थल के सर्वे समेत कोई भी आदेश देने से रोका!

उपासना स्थल क़ानून के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फ़ैसला सुनाया है.

शीर्ष न्यायालय ने आदेश दिया है कि जब तक वह इस मामले पर सुनवाई कर रहा है तब तक देश में कहीं और इस क़ानून को चुनौती देने वाले मामले दर्ज न किए जाएं.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “चूंकि ये मामला इस न्यायालय के तहत विचाराधीन है, इसलिए हम ये उचित मानते हैं कि कोई नया मामला दर्ज ना किया जाए. कोई नया केस दर्ज नहीं किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई तक किसी अदालत में लंबित मामलों में कोई प्रभावी अंतरिम या फाइनल आदेश न पारित किया जाए. इसमें सर्वे का आदेश भी शामिल है.”

साथ ही केंद्र से इस बारे में हलफ़नामा दाख़िल करने के लिए भी कहा गया है.

उपासना स्थल क़ानून कहता है कि भारत में 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस स्वरूप में था, उसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है.

याचिकाकर्ता अश्वनी उपाध्याय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी और कई अन्य वकीलों ने कहा कि दोनों पक्षों को सुने बिना कोर्ट को आदेश नहीं पारित करना चाहिए. हालांकि, चीफ़ जस्टिस संजीव ख़न्ना ने कहा कि वो इस क़ानून की संवैधानिक वैधता, इसकी रूपरेखा और दायरे का विश्लेषण कर रहे हैं, इसलिए उन्हें देशभर में लंबित मुकदमों की सुनवाई पर रोक लगानी होगी.

उमंग पोद्दार, बीबीसी संवाददाता