विशेष

तल्ख़ियां : सोशल मीडिया के घटिया लोग : अलीगढ़ में एक महिला अपने होने वाले दामाद के साथ फ़रार हो गई!

 

 

Deep Aggarwal
@DeepAggarwalinc
Big BREAKING 📢

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने चुनावी सुधार EVM की VVPAT की पर्ची की गिनती पर डाली गई सामाजिक कार्यकर्ता हंसराज जी याचिका को सुनने से किया इंकार।

हंसराज जी ने याचिका में कहा था कि चुनाव आयोग कहता हैं कि VVPAT की पर्चियों को गिनने में 12 दिन से ज्यादा समय लगेगा, पर हंसराज जी का कहना हैं कि उनके पास ऐसी टेक्नोलॉजी हैं, जिससे 2 दिन से ज्यादा समय नहीं लगेगा।

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि हमें इस मामले में ना उलझाये, वो इसपर पहले फैसला दे चुके हैं।

चीफ जस्टिस खन्ना जी आज के युग में हर रोज नयी-2 टेक्नोलॉजी आ रही हैं और अगर उससे चुनावी प्रक्रिया में सुधार होता हैं तो दिक्कत क्या हैं??

 

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Akhilesh Yadav
@yadavakhilesh

उप्र में अपराध की दुखदायी कड़ी में आज फतेहपुर में एक ही किसान परिवार के 3 लोगों की सनसनीख़ेज़ हत्या से हर तरफ़ दहशत का माहौल फैल गया है। क्या यही सत्ता के साँठी-गाँठी वो माफ़िया लोग हैं जिनका ज़िक्र प्रदेश के पुलिस प्रमुख कर रहे थे।

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Jaiky Yadav
@JaikyYadav16
अभिनव अरोड़ा जी ने जो Start-up शुरू किया था अब वह Unicorn बन चुका है।

अब वो बात अलग है कि

अमेरिका और चीन जैसे देश टेक्नोलॉजिकल और इनोवेशनल Start-up बना रहे हैं वहीं

हमारे अभिनव अरोड़ा एक ऐसा Start-up खड़ा कर चुके हैं जिसमें घाटा यानि लॉस का कोई ऑप्शन ही नहीं है,

यह Start-up कुछ ही सालों में Unicorn बन गया है अभी इसकी तरक़्की दिनों दिन बढ़ती ही रहेगी।

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Rahul Gandhi
@RahulGandhi
I have written to the Honourable President of India, Smt. Droupadi Murmu ji, seeking her kind intervention in the matter of thousands of qualified school teachers in West Bengal who have lost their jobs following the judiciary’s cancellation of the teacher recruitment process.

I have requested her to urge the government to take necessary steps to ensure that candidates who were selected through fair means are allowed to continue.

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आसमोहम्मद कैफ़ । Aas mohd kaif 🇮🇳
@journoaas
समाजवादी पार्टी विधानसभा चुनाव 2027 मॉड में प्रवेश कर चुकी है, आज बुंदेलखंड के बड़े नेता चित्रकूट के चार बार के विधायक, पूर्व केबिनेट मंत्री दद्दू प्रसाद समाजवादी पार्टी में शामिल हुए ! सामाजिक न्याय की विचारधारा के लोग अब एकजुट हो रहे हैं। अखिलेश यादव ने इस मौके पर कहा है कि यह देश के कानून को बचाने और पीडीए को मजबूत करने की लड़ाई है। यूपी में यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन है, दद्दू प्रसाद , दिवंगत मान्यवर कांशीराम के काफी नजदीकी रहे हैं। देखना होगा कि इस पर विपक्षी दलों की खासकर बसपा की क्या प्रतिक्रिया आती है !

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
वेश्या शब्द वैश्य से बना है – व्यापार करने वाली

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
“हरेन पांड्या हत्याकांड में गुजरात सरकार के पक्ष में फ़ैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज अरुण मिश्र वही हैं जिनको तत्कालीन चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा ने दो साल पहले लोया मृत्युकांड का केस दे दिया था, जिसके ख़िलाफ़ चार जजों ने ऐतिहासिक प्रेस कांफ़्रेंस की थी.

मिश्राजी ने बेक़सूर मुसलमानों को हरेन पांड्या की हत्या के लिए ज़िम्मेदार ठहराया था अपने फैसले में जबकि सीबीआई के पास एक राई सबूत न था और न है. यह पहला केस नहीं है. भारत की न्यायपालिका का दशकों से ये काला इतिहास रहा है कि वो माइनॉरिटी को बग़ैर सबूत के क़सूरवार क़रार दे देती है.

यही हमने पंजाब के उग्रवाद के दौर के दौरान उपजे सैंकड़ों मुक़दमों में सिखों के ख़िलाफ़ देखा. यही मुसलमानों के साथ होता चला आ रहा है. यही हम कश्मीर के मामलों में देखते आ रहे हैं. यही छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के साथ सुप्रीम कोर्ट का रवैया रहा है.

आने वाले सालों में एक वक़्त ज़रूर आएगा जब भारतवासी पलट कर देखेंगे और ग्लानि महसूस करेंगे कि किस तरह भारत की न्यायपालिका ने इंसाफ़ करने की जगह नाइंसाफ़ी कर हज़ारों ज़िंदगियाँ बरबाद कर दीं. ठीक वैसे ही जैसे आज अमेरिका के लोग काले लोगों के ख़िलाफ़ अपनी सुप्रीम कोर्ट के काले इतिहास के लिए शर्मिंदा होते हैं.” – Ajit Sahi, 2019

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prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
मोदीजी के दादाजी अविवाहित थे अटलजी की तरह
पिताजी नियोग से आए
और ये तो खुद विष्णु भगवान के 11वें अवतार हैं सो सीधे अवतरित हुए हैं बिना सीढ़ी के – अजैविक 😆😂🤣

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
प्राचीन भारतीय समाज को समझिए 👇
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1. ब्राह्मण earning class नहीें थे
2. मूल निवासी कोई नहीं है – भारतीय तथाकथित आदिवासी ऑस्ट्रेलियाई, अफ्रीकी, आर्मेनियाई और चीनी मूल के हैं
3. क्षत्रिय सैनिक थे
4. वैश्य व्यापारी थे
5. शूद्र श्रमिक थे उद्योगी थे

10 गांव में 1 छोटा मंदिर होता था और 1 पुजारी ।
चढ़ावा गांवों के काम आता था

ब्राह्मण भीख मांगता था
राजा शूद्र रहे लगभग 95%
उद्योग जगत पर शूद्रों का एकाधिकार था
ब्राह्मण मंत्री एक दो ही होते थे पूरे राज्य में
निर्णय राजा लेता था मंत्री का काम लागू करना था
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जाति और वर्ण में समाज ने बांटा – शूद्रों ने उद्योग जगत पर कब्जा किया और जातियों का निर्माण हजारों साल में हर देश, हर सभ्यता में हुआ और 4 वर्ण बने हर जगह।

प्रायः क्षत्रिय से आशय राजा से लिया जाता है और मान लिया जाता है कि राजा क्षत्रिय होते थे

क्षत्रिय मूलतः सैनिक होते थे, न कि राजा
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मौर्य वंश से वर्धन साम्राज्य तक देखिए – 95% राजवंश शूद्र हैं

और शूद्र माने अछूत या दलित नहीें है – शूद्र श्रमिक वर्ग है, जिनका उद्योग धंधों पर एकाधिकार और वर्चस्व था – जो धनी होते थे – महाभारत में 69 शूद्र मंत्रियों के नाम हैं – मनुस्मृति हर राजा को कम-से-कम 3 शूद्र मंत्री रखने की सलाह देती और लिखती है धनी शूद्र और शूद्र राजा अत्याचारी हैं
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परेशानी तब पैदा हुई जब मुसलमानों ने आकर उद्योग धंधों पर कब्ज़ा कर लिया

आप देखेंगे – कसाई, जुलाई, दर्जी, तेली आदि मुसलमान भी हैं हिन्दू भी

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prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
क्या राणा सांगा, राणा प्रताप, और शिवाजी गंगाजल पीते थे?
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अकबर और औरंगज़ेब तो केवल गंगाजल ही पीते थे👇

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
सनद रहे
1. शांता दशरथ की पुत्री थी जिसे रोमपद ने गोद ले लिया था जिसका विवाह ऋषि श्रृंगी से हुआ था
2. सीता दशरथ की दूसरी पुत्री थीं जिन्हें पैदा होते ही घड़े में बंदकर पड़ोसी राज्य मिथिला की सीमा में दशरथ के सैनिक सुबह होने से पहले खेत में गाड़ आए थे क्योंकि ज्योतिषियों ने कहा था कि ऐसा नहीं किया तो अकाल पड़ जाएगा
3. जनक के राज्य में अकाल पड़ा था और ज्योतिषियों ने निपटने के लिए खेत में सुबह होने पर जनक को हल चलाने की सलाह दी थी, हल चला, घड़े से टकराया और सीता निकलीं
4. 12 साल बाद संतानोत्पत्ति में अक्षम दशरथ ने पुत्रेष्ठि यज्ञ किया और दामाद ऋषि श्रृंगी से 4 पुत्र हुए।
https://deepawali.co.in/bhagwan-ram-bahan-sister-shanta.html
ये कथाएं कम-से-कम 155 रामायणों में और अनेक पुराणों और ‘दशरथ जातक’ में है

वैसे हम कुछ नहीं कह रहे हैं, जो है सो किताबों में है https://jeevanjali.com/mythology/valm

ram sister bahan shanta

भगवान राम की बहन शांता के जीवन का सच

17, 2024 by Karnika

रामायण की कहानी कई युगों से सभी लोग सुनते, देखते एवम पढ़ते आ रहे हैं जिसमे हमने राम और उनके भाइयों के प्रेम के बारे में विस्तार से जाना लेकिन हमने राम की बहन शांता के बारे में बहुत कम सुना हैं या कहे कि सुना ही नहीं हैं | आज हम आपको शांता के बारे में बतायेंगे | इसके पहले एक कहानी में हमने आपको हनुमान के पुत्र मकर ध्वज के बारे में बताया था जिसके बारे में भी सभी को स्पष्ट रूप से कोई जानकारी नहीं हैं | और अब आप जाने राम की बहन शांता के बारे में कौन थी शांता ? और क्यूँ उनका उल्लेख्य नहीं हैं ? और किस कारण उनका त्याग किय गया ?

महाराज दशरथ एवम रानी कौशल्या अयोध्या के राजा रानी थे | महाराज दशरथ की दो अन्य रानियाँ भी थी जिनके नाम कैकयी और सुमित्रा थे | सभी जानते हैं कि इनके चार पुत्र थे राम, भरत,लक्ष्मण, शत्रुघ्न | लेकिन यह कम लोगो को पता हैं कि इन चार पुत्रो के अलावा उनकी एक बड़ी बहन शांता भी थी | शांता कौशल्या माँ की पुत्री थी |

शांता एक बहुत होंनहार कन्या था वो हर क्षेत्र में निपूर्ण थी | उसे युद्ध कला, विज्ञान, साहित्य एवम पाक कला सभी का अनूठा ज्ञान था | अपने युद्ध कौशल से वह सदैव अपने पिता दशरथ को गौरवान्वित कर देती थी |

एक दिन रानी कौशल्या की बहन रानी वर्षिणी अपने पति रोमपद के साथ अयोध्या आते हैं | राजा रोमपद अंग देश के राजा थे उनकी कोई संतान नहीं थी | एक समय जब सभी परिवारजन बैठ कर बाते कर रहे थे तब वर्षिणी का ध्यान राजकुमारी शांता की तरफ पड़ा और वे उनकी गतिविधी एवम शालीनता को देख कर प्रभावित हो गई और करुण शब्दों में यह कहने लगी कि अगर उनके नसीब में संतान हो तो शांता के समान सुशील हो | उनकी यह बात सुनकर राजा दशरथ उन्हें अपनी शांता गोद देने का वचन दे बैठते हैं | रघुकुल की रित प्राण जाई पर वचन न जाई के अनुसार राजा दशरथ एवम माता कौशल्या को अपनी पुत्री अंग देश के राजा रोमपद एवम रानी वर्षिणी को गोद देनी पड़ती हैं |

इस प्रकार शांता अंगदेश की राजकुमारी बन जाती हैं | एक दिन अंगराज रोमपद अपनी गोद ली पुत्री शांता से विचार विमर्श कर रहे थे तब ही उनके दर पर एक ब्राह्मण याचक अपनी याचना लेकर आया लेकिन रोमपद अपनी वार्ता में इतने व्यस्त थे कि उन्होंने ब्राह्मण की याचना सुनी ही नहीं और ब्राह्मण को बिना कुछ लिए खाली हाथ जाना पड़ा | यह बात देवताओं के राजा इंद्र को बहुत बुरी लगी और उन्होंने वरुण देवता को अंगदेश में बारिश ना करने का हुक्म दिया | वरुण देवता ने यही किया और उस वर्ष अंगदेश में सुखा पड़ने से हाहाकार मच गया | इस समस्या से निजात पाने के लिये रोमपद ऋषि शृंग के पास जाते हैं | और उन से वर्षा की समस्या कहते हैं तब ऋषि श्रृंग रोमपद को यज्ञ करने को कहते हैं | ऋषि श्रृंग के कहेनुसार यज्ञ किया जाता हैं पुरे विधान से संपन्न होने के बाद अंग देश में वर्षा होती हैं और सूखे की समस्या खत्म होती हैं | ऋषि श्रृंग से प्रसन्न होकर अंगराज रोमपद ने अपनी पुत्री शांता का विवाह ऋषि श्रृंग से कर दिया |

शांता के बाद राजा दशरथ की कोई संतान नहीं थी | वो अपने वंश के लिए बहुत चिंतित थे | तब वे ऋषि श्रृंग के पास जाते हैं और उन्हें पुत्र कामाक्षी यज्ञ करने का आग्रह करते हैं | तब अयोध्या के पूर्व दिशा में एक स्थान पर राजा दशरथ के लिए पुत्र कमिक्षी यज्ञ किया जाता हैं |( यह यज्ञ ऋषि श्रृंग के आश्रम में किया गया था | आज भी इस स्थान पर इनकी स्मृतियाँ हैं | )इस यज्ञ के बाद प्रशाद के रूप में खीर रानी कौशल्या को दी जाती हैं जिसे वे छोटी रानी कैकयी से बाँटती हैं बाद में दोनों रानी अपने हिस्से में से एक एक हिस्सा सबसे छोटी रानी सुमित्रा को देती हैं जिसके फलस्वरूप सुमित्रा को दो पुत्र लक्ष्मण एवम शत्रुघ्न होते हैं और रानी कौशल्या को दशरथ के जेष्ठ पुत्र राम की माता बनने का सौभाग्य मिलता हैं एवम रानी कैकयी को भरत की प्राप्ति होती हैं |

इस प्रकार शांता के त्याग के बाद राजा दशरथ को चार पुत्र प्राप्त होते हैं | पुत्री वियोग के कारण रानी कौशल्या एवम राजा दशरथ के मध्य मतभेद उत्पन्न हो जाता हैं | शांता के बारे में चारों राज कुमारों को कुछ ज्ञात नहीं होता लेकिन समय के साथ वे माता कौशल्या के दुःख को महसूस करने लगते हैं तब राम कौशल्या से प्रश्न करते हैं तब राम को अपनी जेष्ठ बहन शांता के बारे में पता चलता हैं और वे अपनी माँ को बहन शांता से मिलवाते हैं इस प्रकार राम अपने माता पिता के बीच के मतभेद को दूर करते हैं |

देवी शांता के बारे में वाल्मीकि रामायण में कोई उल्लेख्य नहीं मिलता लेकिन दक्षिण के पुराणों में स्पष्ट रूप से शांता के चरित्र का वर्णन किया गया हैं |

भारत के कुल्लू में श्रृंग ऋषि का मंदिर हैं एवम वहां से 60 किलोमीटर की दुरी पर देवी शांता का मंदिर हैं | यह भी कहा जाता हैं कि राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए देवी शांता का त्याग किया था | वैसे तो देवी शांता एक परिपूर्ण राजकुमारी थी लेकिन बेटी होने के कारण उनसे वंश वृद्धि एवम राज कार्य पूरा नहीं हो सकता था इसलिये राजा दशरथ को उनका परित्याग करना पड़ा |

इस प्रकार जब चारों भाई अपनी बहन शांता से मिलते हैं तो वे अपने भाइयों से अपने त्याग का फल मांगती हैं और उन्हें सदैव साथ रहने का वचन लेती हैं | भाई अपनी बहन के त्याग को व्यर्थ नहीं जाने देते और जीवन भर एक दुसरे की परछाई बनकर रहते हैं |

रामायण एक ऐसा ग्रन्थ हैं जिसमें सभी रिश्तों की गहराई मर्यादा एवम सबसे अधिक वचन पालन का महत्व बताया हैं | इस प्रकार रामायण से जुडी कहानियाँ हमें उचित मार्गदर्शन करती हैं हमें रिश्तों की मर्यादा का भान कराती हैं | यह कहानियाँ आज के समय में संस्कारों का महत्व बताती हैं एवम व्यक्तित्व विकास में सहायक होती हैं | कई तरह की कहानियों का संग्रह किया गया हैं जरुर पढ़े

वाल्मीकि रामायण

Valmiki Ramayana Part 14: राजा रोमपद को सुंदर वेश्याओं का सहारा क्यों लेना पड़ा? पढ़ें

वाल्मीकि रामायण के पिछले लेख में आपने ऋष्यशृंग ऋषि के बारे में जाना। राजा दशरथ के मंत्री सुमंत ने उन्हें ऋष्यशृंग ऋषि के बारे में बताया और कहा कि वो आपके यज्ञ का सम्पादन करेंगे तो अच्छा होगा। तब राजा दशरथ उनसे पूछते है कि मुनिकुमार ऋष्यशृंग को राजा रोमपाद ने किस प्रकार बुलाया वो मुझे विस्तार से बताओ। इसके बाद सुमंत बोले, ऋष्यशृंग मुनि सदा वन में ही रहकर तपस्या और स्वाध्यायमें लगे रहते, वे स्त्रियों को पहचानते तक नहीं थे और विषयों के सुख से भी सर्वथा अनभिज्ञ थे।

तब यह विचार किया कि, यदि सुन्दर आभूषणों से विभूषित मनोहर रूप वाली वेश्याएँ उनके पास भेजी जाए तो वे भाँति-भाँति के उपायों से उन्हें लुभाकर इस नगर में ले आयेंगी। राजा ने इस प्रयोजन की अनुमति प्रदान कर दी। तब नगर की मुख्य-मुख्य वेश्याएँ राजाका आदेश सुनकर उस महान् वन में गयीं और मुनि के आश्रमसे थोड़ी ही दूर पर ठहरकर उनके दर्शन का इंतज़ार करने लगी। मुनि कुमार ऋष्यशृंग तो हमेशा अपने पिता के पास ही रहते थे उन्हें स्त्री के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी। ऋषिकुमार ने जन्मसे लेकर उस समय तक पहले कभी न तो कोई स्त्री देखी थी और न पिता के सिवा दूसरे किसी पुरुषका ही दर्शन किया था।

एक दिन ऋषि कुमार ने उन वेश्याओं को देख लिया। वे स्त्रियाँ तो अत्यन्त कमनीय रूपसे सुशोभित थीं, अतः उन्हें देखकर उनके मनमें स्नेह उत्पन्न हो गया। उन्होंने उनसे कहा, मेरे पिता का नाम विभाण्डक मुनि है। मैं उनका औरस पुत्र हूँ। मेरा ऋष्यशृंग नाम है। इसके बाद सब सुन्दरी स्त्रियाँ उनका आश्रम देखनेके लिये वहाँ गयीं। इसके बाद ऋषि कुमार से झूठ कहकर उन्होंने उसका बारी 2 से आलिंगन किया। उनके पिता विभाण्डक मुनि सब डरती थी इसलिए वो वहां से चली गई लेकिन उन मनोहर स्त्रियों का आलिंगन पाकर ऋषि कुमार विचलित हो गए थे।

उन मनोहर रूपवाली वेश्याओं को दोबारा मिलने के लिए वो उसी स्थान पर वापिस गए। ऐसा देखते ही तुरंत ही उन वेश्याओं का हृदय प्रसन्न हो गया। वो समझ गई कि इस ऋषि कुमार के मन में काम का बीज पड़ गया है। उनके मधुर वचन सुनकर ऋषि कुमार उनके पीछे 2 चल दिए और आखिकार वो वेश्याएँ उन्हें अंगदेश ले आई। उनके आते ही इंद्र देव ने पानी बरसाना शुरू कर दिया।

इसके बाद स्वयं राजा रोमपाद ने उनका आदर सत्कार किया और तत्पश्चात् ऋष्यशृंगको अन्तः पुरमें ले जाकर उन्होंने शान्तचित्त से अपनी कन्या शान्ताका उनके साथ विधिपूर्वक विवाह कर दिया। ऐसा करके राजाको बड़ी प्रसन्नता हुई। ये सम्पूर्ण कथा सुनाकर सुमंत जी राजा दशरथ को कहते है कि आपको ऋषि ऋष्यशृंग को बुलाना चाहिए क्योंकि वो आपके जामाता है।

नोट – विष्णु पुराण के अनुसार शान्ता राजा दशरथ एवं कौसल्या की औरस पुत्री थी। उन्होंने राजा रोमपाद को उसे दत्तक पुत्री के रूपमें दिया था। वाल्मीकि रामायण में भी इस कथा के माध्यम से यह बात स्पष्ट हो रही है।

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
राम-शांता की राम कहानी
*****
१. एक बार अंगदेश के राजा रोमपद और उनकी रानी वर्षिणी अयोध्या आए। उनके कोई संतान नहीं थी। बातचीत के दौरान राजा दशरथ को जब यह बात मालूम हुई तो उन्होंने कहा, मैं मेरी बेटी शांता आपको संतान के रूप में दूंगा। राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी बहुत खुश हुए। जो महारानी कौशल्या की बहन अर्थात राम की मौसी थीं। उन्हें शांता के रूप में संतान मिल गई।

२. दूसरी कथा के अनुसार शांता जब पैदा हुई, तब अयोध्या में अकाल पड़ा और 12 वर्षों तक धरती धूल-धूल हो गई। चिंतित राजा को सलाह दी गई कि उनकी पुत्री शांता ही अकाल का कारण है। सो दशरथ ने शांता को राजा रोमपद और उनकी रानी वर्षिणी को दान कर दिया.

३. ध्यान दें, जनक के भी एक ही पुत्री थी, जो उनकी अपनी नहीं थी और जिसे उन्होंने अकाल में खेत में हल चलाते हुए पाया था जिसे दशरथ के सैनिक पडोसी राज्य की सीमा में खेत में गाड़ आये थे.

४. खैर, संयोग देखिये – शांता का विवाह ऋषि भ्रंगी से हुआ, सो दशरथ ससुर हुए

४. दामाद ऋषि भ्रंगी के नियोग से सास कौशल्या से राम हुए, सो शांता राम की सौतेली माता और दशरथ सौतेले पिता हुए

५. अब रोमपाद और जनक को एक मानें और सीता और शांता को एक क्योंकि दशरथ के एक ही पुत्री थी और रोमपाद और जनक के एक ही गोद ली हुई बेटी थी, खुद की नहीं थी.

६. ऋषि भ्रंगी के शांता को छोड़ देने के बाद, शांता कहें या सीता, का विवाह राम से हुआ माने सौतेली माता के साथ एक रिश्ते में, और सौतेली बहन के साथ एक रिश्ते में

यह सब कुछ पुराणों में लिखा है और रामायणों में !
अपना तो लंका-दहन सम्पन्न हुआ !

पुनश्च:
१. सीता के एक पुत्र लव हुआ, हमें नहीं पता पर धोबी कहता है कि वह वैश्रवा ऋषि का पौत्र था
२. हाँ, दूसरा पुत्र कुश वाल्मीकि ने पैदा किया, ऐसा पुराणों में लिखा है !

दुष्टता का फल – कहानी

अशोक और विनय एक ही ऑफिस में काम करते थे. दोनों में मित्रता भी थी, परन्तु काम और बुद्धिमानी के मामले में विनय जहाँ होशियार था वहीँ अशोक की कामचोरी और सहयोगियों के प्रति जलन से सभी वाकिफ़ थे. एक तरफ अशोक जहाँ स्वयं काम से जी चुराता था, वहीँ दूसरों के काम बिगाड़ने के लिए वह हमेशा साजिशें रचता रहता था. विनय से दोस्ती होने के बावजूद वह उसे हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश करता रहता. परन्तु विनय सबकुछ जानते हुए भी अशोक की हरकतों को नज़रअंदाज कर देता था. ऑफिस में आए दिन अशोक की हरकतों से सभी कर्मचारी परेशान रहते थे. एक दिन तब हद हो गई जब ऑफिस के खाते में गड़बड़ी पाई गई. अशोक और विनय ऑफिस में कंपनी का हिसाब-किताब रखने वाले लेखा विभाग में कार्यरत थे. विनय की बुद्धिमता और उसकी ईमानदारी को देखते हुए कंपनी ने लेखा-जोखा का भार उसे सौंपा था. विनय सुलझे हुए तरीके से अपनी जिम्मेदारी को निभा भी रहा था. सभी उसके कामों की तारीफ भी करते थे. यही बात विनय के कनिष्ठ के तौर पर काम कर रहे अशोक को नागवार लगती थी. दुष्टता में वह विनय को बदनाम करने के लिए साजिशें रचता रहता था. विनय को बदनाम करने की कोशिशें तो उसने कई बार की थी, परन्तु हर बार उसे मुंह की खानी पड़ती थी. अंततः एक दिन ऐसा आया कि अशोक की दुष्ट कारगुजारी की वजह से विनय बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गया.

दरअसल ऑफिस के हिसाब में पचास हजार रूपये की गड़बड़ी पाई गई. पैसे के गड़बड़ी की खबर से पूरे ऑफिस में हंगामा मच गया. जांच में पता चला कि लेखा विभाग में छोटे खर्चों के लिए रखे गए रकम में से पचास हजार रूपये चुराए गए हैं. शक की सुई सीधे तौर पर विनय पर गई. विनय के लाख सफाई के बावजूद कंपनी प्रबंधन ने उसके तर्क को नकारते हुए उसे नौकरी से निकाल दिया. जबकि पैसों के गबन की हकीकत कुछ और थी. पैसे अशोक ने चुराए थे. विनय भी इस बात को जानता था परन्तु कोई सबूत न होने के कारण वह अशोक को दोषी ठहराने में असमर्थ था. इधर अशोक अपने मंसूबे को पूरा होने पर मन ही मन खुश था.

अब जैसा कि संभावित था, पैसों के गबन में एक बार सफल होने के बाद अशोक की हिम्मत बढ़ गई. उसने देखा कि चोरी तो उसने की थी परन्तु फंसा तो विनय और सजा भी उसे भुगतनी पड़ी. वह एक बार फिर से पैसे चोरी करने की योजना बनाने लगा. परन्तु उसे यह पता नहीं था कि ऑफिस के अन्य सभी कर्मचारी विनय वाली घटना के बाद से सतर्क हो गए थे. इसकी वजह थी कि कोई भी कर्मचारी विनय को दोषी मानने को तैयार नहीं था. सभी को लगभग अशोक पर ही शक था. इसी शक के मद्देनज़र सभी की नज़रें हमेशा अशोक की गतिविधियों पर लगी रहती थी. परन्तु दुष्ट अशोक को अपनी चालाकी पर बड़ा गर्व था और वह छिपी नज़रों की जासूसी से अनजान बना रहा.

कई दिनों से लेखा विभाग से पैसे चुराने की जुगत में लगे रहे अशोक को आज मौका मिला था. लेखा विभाग के प्रमुख को अचानक एक इमरजेंसी फ़ोन आने के कारण कुछ देर के लिए बाहर जाना पड़ा. जल्दबाजी में वह नगद वाले आलमारी की चाबी अपने टेबल पर ही भूल गए. अशोक की नज़रें उस चाबी पर गड़ी रहीं. वह लंच के समय का इंतजार बेसब्री से करने लगा. उसे डर था कि कहीं बड़े बाबू लंच से पहले वापस न आ जाएं. कुछ समय पश्चात लंच का समय आया और लेखा विभाग के सभी कर्मचारी लंच के लिए बाहर जाने लगे, परन्तु अशोक वहीँ अपनी कुर्सी पर जमा रहा. एक सहयोगी के पूछने पर उसने बताया कि आज उसकी तबियत ठीक नहीं है इसलिए वह लंच करने बाहर नहीं जाएगा. अशोक के व्यव्हार पर अन्य कर्मचारियों को शक हो गया था. अंततः सभी ने फैसला किया कि आज अशोक पर विशेष नज़र रखी जाए. उसकी हरकतों पर नज़र रखने के लिए मोबाइल फ़ोन से रिकॉर्डिंग करने का फैसला किया गया. सभी कर्मचारियों ने लंच के लिए बाहर जाने का कार्यक्रम त्यागकर और वहीँ कमरे के बाहर छिपकर अशोक की निगरानी शुरू कर दी.

कुछ देर तक तो अशोक अपनी कुर्सी पर बैठा रहा. कुछ देर बाद जब उसे लगा कि अब सभी बाहर चले गए हैं तो उसने निश्चिंत होकर बड़े बाबू के टेबल पर रखी चाबी उठाई और आलमीरा खोलकर वहां रखी पूरी नगदी को उठा लिया. महीना का अंत होने के कारण आज नगदी कम थी. उसने झटपट नगदी निकाली और आलमीरा को बंद कर नगदी को अपने टेबल के दराज में रखे फाइलों के नीचे दबा दिया. किसी को शक न हो इसलिए चाबी को बड़े बाबू के टेबल के दराज में डाल कर उसने एक लंबी श्वांस ली और घबराहट में माथे से टपक रहे पसीने को पोछकर अपनी कुर्सी पर इत्मीनान से आकर बैठ गया. उसे नहीं पता था कि उसकी हरकतों पर सभी की निगाहें लगी हुई है और उसे मोबाइल में रिकॉर्ड भी किया जा रहा है.

कुछ समय बाद लंच का वक्त खत्म हो गया और सभी कर्मचारी अपनी-अपनी जगह पर आकर बैठ गए. इस दौरान लेखा विभाग के बड़े बाबू भी लौट चुके थे. सभी शांत भाव से अपने काम में जुट गए, परन्तु अशोक के चेहरे पर घबराहट और तनाव के लक्षण स्पष्ट दिख रहे थे. बड़े बाबू को याद आ गया था कि आलमीरा की चाबी वे टेबल पर ही भूल आए हैं इसलिए आते ही पहले तो उन्होंने चाबी खोजनी शुरू की. इधर-उधर खोजने के बाद जब उन्होंने दराज खोला तो उन्हें चाबी वहीँ पड़ी हुई मिली. चाबी मिलने पर उन्हें सकून मिला और फिर वे नगदी रखने वाले आलमीरा की ओर बढ़े. बड़े बाबू की हरकतों को अशोक तिरछी नज़रों से देख रहा था. जब उसने देखा कि वे आलमीरा की ओर बढ़ रहे हैं तो उसकी दिल की धड़कने बढ़ गई. इस बीच आलमीरा खोलते ही बड़े बाबू चीख पड़े, ‘पैसा कहां गया.’ बड़े बाबू की चीख सुनते ही सभी कर्मचारी अपनी जगहों से उठकर उस ओर भागे. सभी ने देखा कि आलमीरा में नगदी नहीं है.

एक बार फिर से पूरे ऑफिस में कोहराम मच गया. डर के मारे बड़े बाबू के आँखों में आंसू आ गए थे. उन्होंने अपने आपको निर्दोष बताया. इसी बीच कंपनी के मालिक भी वहां आ गए और बड़े बाबू से बोले कि मैं जानता हूं कि आप निर्दोष हैं और केवल हम नहीं बल्कि सभी लोग जानते हैं कि चोरी किसने की है. आपसे पहले चोरी की जानकारी मेरे पास पहुंच चुकी है और वह भी सबूत के साथ. हमने पुलिस को भी बुला लिया है. फिर भी मैं एक मौका उसको देना चाहता हूं जिसने चोरी की है. अगर वह स्वयं स्वीकार कर लेगा तो उसे पुलिस के हवाले नहीं किया जाएगा. इतना सुनते ही अशोक परेशान हो उठा और धीरे से खिसकते हुए वहां से भागने की कोशिश करने लगा. उसे नहीं पता था कि सबकी निगाहें उसी के ऊपर है. जैसे ही अशोक दरवाजे की ओर लपका एक कर्मचारी ने उसका हाथ पकड़ लिया. इसी बीच पुलिस भी वहां आ गई थी. कंपनी के मालिक ने अशोक के लाख गिडगिडाने के बावजूद उसे पुलिस के हवाले कर दिया. आज सभी को अशोक की दुष्ट प्रवृत्ति के कारण विनय जैसे होनहार कर्मचारी को खोने का दुःख हो रहा था. परन्तु सभी को ख़ुशी इस बात की थी कि अशोक को उसके किए का फल मिल गया और आगे से उसकी दुष्टता का शिकार ऑफिस में किसी और को नहीं होना पड़ेगा.

कहानी से शिक्षा (Moral of the story)
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें किसी के प्रति दुष्टता का भाव नहीं रखना चाहिए. दुष्ट प्रवृत्ति का व्यक्ति कुछ समय के लिए किसी को दुःख जरूर पहुंचाता है परन्तु एक ऐसा वक्त आता है जब उसके कर्म ही उसपर भारी पड़ते हैं. अशोक ने विनय के प्रति दुष्टता रखी. परिणामस्वरूप विनय को अपमानित होकर नौकरी से जाना पड़ा. यह ईमानदार और शरीफ आदमी के लिए एक बार का दुःख था, परन्तु अशोक जैसे दुष्ट आदमी को अपने किए के लिए हवालात की सैर करनी पड़ी, यह उसके लिए जीवन भर का कलंक बन गया. दुष्टता का फल इससे बड़ा और क्या हो सकता है.

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
सीता अम्मा का फायर एग्जाम
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१. सीता वनवास के बाद राम के साथ कहाँ रहती थीं?
गुबरैला – अयोध्या में

२. उनकी अग्नि-परीक्षा कहाँ हुई?
गू. – अयोध्या में

३. राम ने किस नदी में कूद कर आत्म-हत्या की?
गू. – सरयू में

४. सरयू कहाँ है?
गू. – अयोध्या में

और सीता धरती में समाईं बिहार जाकर सीतामढ़ी में?
😆😂🤣
✨✨✨✨✨
दशरथ सीता के जैविक पिता साबित होते हैं
दशरथ के दामाद श्रृंगी ऋषि राम के जैविक पिता साबित होते हैं

कौशल्या दोनों की माता हैं – आदिम साम्यवादी जांगल युग में समाज की संरचना हर सभ्यता में ऐसी ही रही – यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
सुनें सम्पूर्ण महाभारत अनिल शाह की
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अहमद शाह अब्दाली (1747-1772) भारत आया। उसके साथ उसकी प्रिय दासी रुखसाना और अब्दाली से पैदा बेटा अब्दुल शाह (1768-1792) भी था, जिसका ‘अब्दुल’ नाम ‘अब्दाली’ से लिया गया था।

इस वंश में ‘अ’ से नाम रखने की परम्परा रही है – अहमद, अब्दुल, अनन्त, अगम्य, अगस्त्य, अनिल, अमित्र, अजय (संक्षिप्त ‘जय’) आदि

अब्दुल शाह ने दिल्ली में कच्ची शराब की भट्ठी लगा ली। अहमद शाह ने इसे इस्लाम के खिलाफ मानकर गुस्से में अब्दुल को गुजरात तड़ीपार कर दिया।

ऋग्वेदिक काल से उत्तर भारत के चोरों और अपराधियों को दंडस्वरूप तड़ीपार कर गुजरात भेजा जाता रहा है, इसीलिए गुजरात को चौर्य देश कहा जाता था।

खैर, अब्दुल को गुजरात बहुत पसंद आया, वह जैन धर्म से प्रभावित हुआ और जैन धर्म अपना लिया, उसका नाम हुआ ‘अनन्त जैन’।

अब्दुल शाह की 5वीं पीढ़ी में अगम्य शाह हुए जो गुजरात के एक छोटे राज्य ‘मानसा राज्य’ के नगरसेठ थे। इन्हीं की चौथी पीढ़ी में अनिल शाह हुए और पांचवीं में फिर एक तड़ीपार, अमित्र शाह, जिसने 1998 में गुजरात का प्रसिद्ध लट्ठा-कांड किया – घर में कच्ची दारू की भट्ठी चलाता था, जिसकी शराब पीकर 100 लोग मर गए थे, यही कालांतर में कुबेर के आशीर्वाद से गिरोह मंत्री रहे।

बाकी कहानी आपको मालूम ही है।

नोट: लट्ठा-कांड को दबाकर उसकी फाइल किसी ने रखकर तड़ीपार को कब्जे में कर लिया – बदले में तड़ीपार गिरोह मंत्री ने लड़की की सीडी बनवाकर अपने पास रख ली – उधर फाइल खुली, इधर सीडी खुली या इधर सीडी खुली, उधर फाइल खुली 🤣🤣🤣

डिस्क्लेमर: कहानी के पात्रों का किसी जीवित या मृत पात्र या चरित्र से सम्बन्ध हो, तो कृपया उसे सम्बन्धित न करें 🤣🤣🤣

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India TV
@indiatvnews
दिल्लीवालों के जेब पर अतिरिक्त बोझ बढ़ने वाला है, अब दिल्ली नगर निगम घर से कूड़ा उठाने के लिए लोगों से पैसे लेने जा रही है। दिल्ली नगर निगम 7 साल बाद ठोस कचरा प्रबंधन-2018 उपनियम के तहत यूजर चार्ज वसूलने जा रही है, जिसके बाद राष्ट्रीय राजधानी के लोगो को अब नगर निगम को हर माह 50 से 200 रुपये का यूजर चार्ज देना होगा।

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Akhilesh Yadav
@yadavakhilesh
सिवाय निम्नांकित के भाजपा राज में सब ठीक है :

– मुद्रा योजना के 10 वर्ष पूरे होने पर, उसके विरोधाभासी आँकड़ों से देश में भाजपा सरकार के 33 लाख करोड़ के घपले-घोटाले की पोल खुल गयी।
– निवेशकों के 19 लाख करोड़ भस्म हो गये।
– ⁠रसोई गैस सिलेंडर 50 रुपये महंगा हुआ।
– ⁠पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ गयी।
– ⁠देश के सर्व प्रधान संसदीय क्षेत्र ‘वाराणसी’ में एक युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ।
– ⁠कानपुर में अफ़वाह फैलाकर शांति भंग करने के मामले में भाजपाई और उनके संगी-साथियों पर एफ़आइआर हुई।
– ⁠उप्र में एक नौकरशाह के सत्ता की छत्रछाया में अकूत धन-सम्पत्ति कमाने की ख़बर सरेआम हो गयी।
– ⁠कोई मुख्य किसी प्रमुख से मिलने गया पर…

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Mamta Tripathi
@MamtaTripathi80
उत्तर प्रदेश के #पंचायती राज विभाग में “स्वच्छ भारत मिशन” के टेंडर में बड़ी धांधली और गड़बड़झाला…

एक ही कम्पनी के काग़ज़ लगाकर कंसोर्टियम (JV) के नाम पर कई नई नवेली कम्पनियों को काम दिलाने की तैयारी…

इन कम्पनियों के पास अपना कोई भी काग़ज़ नहीं है, यहाँ तक की ग्रेडिंग कम्पनी (CRISIL) का सर्टिफिकेट भी नहीं है मतलब एक सर्टिफिकेट पर तीन कम्पनियों का निर्धारण…

सोचिए हज़ारों करोड़ का काम लेने वाली कम्पनी के पास आडिटेड बैलेंसशीट तक नहीं है…

एक बड़े और रसूखदार ठेकेदार के साथ विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते प्रधानमंत्री
@narendramodi
के ड्रीम प्रोजेक्ट को लग रहा बट्टा…

@myogiadityanath
जी आपकी प्रशासनिक लापरवाही नित नए आयाम रच रही है…

जांच होने पर अधिकारियों का जेल जाना तय है…

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Nahid Lari Khan
@NahidLari
पत्रकारिता के गिरते स्तर को लेकर दुखी मन से कल मा•
अखिलेश यादव जी ने जनमानस से समाचार पत्र दैनिक जागरण न लेने न पढ़ने की अपील की आज सबसे पहले ६ बजे मैंने राजू नामक अख़बार हाकर से दैनिक जागरण लेना बंद कर अन्य समाचार पत्र लेना शुरू किया।हाकर ने अपनी बात बताई कि सवेरे आपके घर पहुँचने तक 15 लोगों ने दैनिक जागरण लेने से मना किया।
मा•राष्ट्रीय अध्यक्ष जी का पत्रकारिता में सुधार लाने के लिए ये आह्वान सराहनीय है।

Rajesh Sahu
@askrajeshsahu
अलीगढ़ में एक महिला अपने होने वाले दामाद के साथ फरार हो गई। वह अपने साथ ढाई लाख रुपए कैश और गहने भी ले गई। 8 दिन बाद बेटी की बारात आनी थी।

दूल्हे ने अपनी सास को मोबाइल गिफ्ट किया था। दोनों चोरी-छिपे बातें करते थे। किसी को इस बात की भनक तक नहीं लगी की दोनों के बीच अफेयर चल रहा है। दूल्हे ने अपने पिता को फोन पर कहा, खोजने की कोशिश मत करना। लौटने वाला नहीं हूं।

अब क्या ही कहूं। बीच बीच में कलयुग का आभास हो जाता है। 🙂

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Gurpreet Garry Walia
@garrywalia_
सोशल मीडिया के घटिया लोग

कुछ लोग आज ये प्रचार कर रहे है की आज जब कांग्रेसी नेता लोग जमा हुए तो खड़गे को सोफे की जगह कुर्सी पर बिठाया गया जब की राहुल गांधी सोनिया गांधी सोफे पर बैठे थे

सच्चाई ये है खड़गे ने ख़ुद अंबिका सोनी को सोनिया गांधी के साथ सोफे पर बिठाया और ख़ुद कुर्सी पर बैठे
ये खड़गे की मर्जी थी ना की गांधी परिवार ने ऐसा किया

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Parvez Ahmad
@parvezahmadj
इस खबर को पोस्ट करने का मकसद सिर्फ यह समझना है कि देश के शीर्ष मीडिया हाउस में काम कर रहे पत्रकारों की राजनीतिक समझ कितनी अच्छी है ??
**दददू प्रसाद 2015 में बसपा से निकाले गये.यानी दस साल हो गये.
**इस दौरान चंद्रशेखर आजाद के साथ शीर्ष दायित्व में थे.
**कांशीराम के मिशन पर स्व स्फूर्त कार्य किया
**2022 में सपा ने उन्हें नरैनी ( बाँदाकी सुरक्षित विधानसभा) से प्रत्याशी बनाया…दददू नामांकन करने जा रहे थे, टिकट काट दिया.जाहिर है वह सपा में थे, तभी टिकट मिला होगा ?
“तब बसपा से निकाले गए …सपा में शामिल” हेडिंग कैसे बनती??

**यह भी लिख दिया–” दददू प्रसाद बांदा, चित्रकूट की राजनीति में आप्रसंगिक हैं! ”
कोई अख़बार ऐसी कमेंट्री कैसे कर सकता है, किसी को आप्रसंगिक कैसे लिख सकता है ? क्या दददू प्रसाद के सपा में जाने से कोई इतना नाखुश है ? रिपोर्टर में राजनीतिक समझ की कमी है ?

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Ali Sohrab
@007AliSohrab
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
जिसमें लगभग लगभग भारत की
छोटी बड़ी सभी जमात/तंज़ीम के लोग हैं…

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुत्तफिक़ा तौर पर
10 तारीख को भोपाल में विरोध प्रदर्शन करने का एलान किया है

लेकिन जमीअत ए हिंद के अरशद मदनी साहब इसके विपरीत धरना प्रदर्शन में हिस्सा न लेने और का नूनी लड़ाई लड़ने का बयान दे रहे हैं अर्थात इनके बयान से विरोध प्रदर्शन का बड़ा नुक़सान सामने आने के इमकान हैं…

कहते हैं अंग्रेजों की जालिम हुकूमत के खिलाफ
अब्बा ने लड़ाई लड़ी थी…
हम अपनी चौधराहट कायम रखने के लिए
उम्मत से अलग होकर का नूनी लड़ाई लड़ेंगे
और का नूनी राहत हासिल करेंगे…

डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, लेख X पर वॉयरल हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं!