Science Journey
@ScienceJourney2
बाबा के पोत्र राज रत्न अंबेडकर जी ने किन सबूतों के आधार पर यह साबित किया कि बाबा साहब का आंबेडकर का सरनेम उनके गाव के नाम पर पड़ा और आंबेडकर सरनेम आजतक किसी भी ब्राह्मण का सरनेम तक नहीं होता । बल्की ये सरनेम बाबा साहब उनके भाई और उनके परिवार वाले ही लगाते आ रहे है
@grok
@grok
सच्चाई तो हमें भी पता है ग्रोक ब्रो लेकिन तुम भी ऑथेंटिक जानकारी दो सरल स्पष्ट शब्दों में इस Sj Sir के सवालों का जवाब.!
बाबा साहेब अम्बेडकर जी का ( अम्बेडकर ) सर नेम क्या किसी ब्राह्मण ने दी या उनके गांव के नाम पे पड़ा इसमें कितनी सच्चाई बताओ ?
Grok
@grok
बाबासाहेब अंबेडकर का सरनेम “अंबेडकर” उनके गांव “अंबडवे” या “अंबावडे” से आया, जो उनके पिता रामजी अंबेडकर ने चुना। स्कूल रिकॉर्ड में इसे “अंबेवडेकर” से “अंबेडकर” किया गया, शायद उच्चारण की आसानी के लिए। परिवार और विशेषज्ञों के अनुसार, किसी ब्राह्मण शिक्षक द्वारा सरनेम देने का दावा सही नहीं है, क्योंकि इसके पक्ष में कोई ठोस सबूत नहीं है। रिकॉर्ड में “भिवा रामजी अंबेडकर” लिखा है, जो गांव आधारित नाम की पुष्टि करता है। इसलिए, यह गांव के नाम से पड़ा, न कि किसी ब्राह्मण ने दिया।
prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
👉गांधी ने अम्बेडकर का विरोध किया
👉नेहरू अम्बेडकर को मंत्री नहीें बनाना चाहते थे
💓कांग्रेस ने अम्बेडकर को चुनाव में हरवाया
✔️तीनों बातें सही हैं
✨✨✨✨✨
पर कारण वह नहीें है जो बताया जाता है कि 👉अम्बेडकर नीच जाति के थे इसलिए ऐसा किया गया
कारण ये थे
👉अम्बेडकर हेडगेवार की तरह देश और समाज को बांट रहे थे
👉अम्बेडकर पूंजीवाद के समर्थक और समाजवाद के विरोधी थे
👉अम्बेडकर जातिवादी मानसिकता से ग्रस्त और कुंठित थे
👉अम्बेडकर संघ जनसंघ के लिए ध्रुवीकरण कर रहे थे
Gurpreet Garry Walia
@garrywalia_
ये लड़की है दिवा फ्लॉलेस
किधर जा रहा है हमारा मुल्क , इस लड़की को 5.8M लोग फॉलो करते है इंस्टाग्राम पर. कोई मोबाइल से जुड़ी वीडियोज बनाता है कोई खेल से जुड़ी वीडियोज बनाता है कोई खबरे दिखाता है
इनकी भी एक खास केटेगरी है ये बिना सलवार के वीडियोज बनाती है और इनकी बिना सलवार की वीडियोज को 5.8M लोग देखते है
क्या ये 5.8M लोग अपनी माँ बहन बेटी को ऐसी वीडियो बनाने देंगे अगर नहीं तो फिर देखते क्यों
है ?
Asaduddin Owaisi
@asadowaisi
मोदी ने कहा कि अगर वक़्फ़ की संपत्तियों का ठीक से इस्तेमाल होता तो मुसलमान नौजवानों को पंक्चर नहीं बनाना पड़ता। अगर संघ परिवार की सोच और संपत्ति देशहित में इस्तेमाल होती, तो मोदी को चाय नहीं बेचनी पड़ती। पिछले 11 साल में मोदी ने ग़रीब भारतीयों — हिंदू या मुसलमान — के लिए क्या किया? 33% भारतीय बिना नौकरी और पढ़ाई के जी रहे हैं। वक़्फ़ की संपत्तियों के साथ जो हुआ है, उसकी एक बड़ी वजह यह है कि वक़्फ़ का क़ानून और प्रशासन हमेशा से कमज़ोर रखा गया था। मोदी का वक़्फ़ संशोधन इसे और भी कमज़ोर कर देगा।
Dr. Udit Raj
@Dr_Uditraj
करनी सेना का एक आदमी अखिलेश यादव को गोली मारने को कह रहा है, अगर ऐसी बात कोई यादव, कुर्मी, धोबी, खटिक, कोली, पाल, जाटव, पासी , कोरी या निषाद ने योगी आदित्यनाथ के लिए कहा होता तो घंटा भर न लगता , गिरफ्तार हो जाता और संभव है मुठभेड़ दिखाकर मार दिया गया होता ।इसी से पता लग जाता है बीजेपी किनकी है?
Hend F Q
@LadyVelvet_HFQ
“If you’re too tired to speak, sit next to me, because I too, am fluent in silence.”
– Keanu Reeves
Grok
@grok
भारत में अवैध मंदिरों की सटीक संख्या उपलब्ध नहीं है, लेकिन अनुमान के अनुसार यह लाखों में हो सकती है। विभिन्न क्षेत्रों से कुछ आंकड़े सामने आए हैं। उदाहरण के लिए:
1. नई दिल्ली में लगभग 60,000 अवैध धार्मिक संरचनाएं हैं, जिनमें मंदिर शामिल हैं।
2. उत्तर प्रदेश में करीब 5,000 मंदिरों की जांच चल रही है, जो अवैध या विवादित जमीन पर बने हैं।
3. उत्तराखंड में जंगलों में 300 अनधिकृत मंदिर और आश्रम पाए गए हैं।
4. कर्नाटक के एक जिले में 640 मंदिरों को हटाने की सूची में शामिल किया गया था।
राष्ट्रीय स्तर पर कोई व्यापक सर्वेक्षण नहीं है, इसलिए कुल संख्या अनिश्चित है। यह मुद्दा संवेदनशील है, क्योंकि इसमें धार्मिक भावनाएं और जमीन के विवाद जुड़े हैं।
Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
दिल्ली में एक सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल ने विद्यालय की दीवार को गाय के गौबर से पुतवा दिया। शिक्षा विभाग ने जांच के आदेश के नहीं दिए, प्रिंसिपल के खिलाफ कोई कार्रावाई नहीं की गई। कोई मुस्लिम टीचर अगर विद्यालय के किसी कोने में में दो रकअत नमाज़ अदा कर लेता तो क़यामत आ गई होती। ‘टीबी वाला’ बहस कर रहा होता। शिक्षा विभाग के ‘बड़े’ अधिकारियों को ‘मियांसीर’ हो गई होती। आईटी सेल के नफ़रती चिंटू उस टीचर के खिलाफ अभियान चला रहे होते।
Gupta
@SachinGuptaUP
उत्तर प्रदेश के जिला कासगंज में मंगेतर के साथ मार्केट से लौट रही युवती को कुछ लड़कों ने नहर के रास्ते पर रोक लिया। उसे उठाकर खेत में ले गए। गैंगरेप किया। जाते–जाते मंगेतर को भी लूट लिया।
8 आरोपी अखिलेश प्रताप सिंह उर्फ APS उर्फ गब्बर, अमित, सत्यपाल, अजय, रिंकू, सौरभ, ब्रजेश, सोनू गिरफ्तार। अखिलेश प्रताप सिंह BJP मेंबर है।
आरोपियों ने कुबूला– हम लोग नहर किनारे घूमते रहते हैं। जो लड़कियां अकेले मिलती हैं, उनसे इसी तरह की घटनाएं करते हैं।
Parvez Ahmad
@parvezahmadj
समाजवादी पार्टी बाँदा विधानसभा से एक ऐसी महिला प्रत्याशी को प्रत्याशी बनाने का संकेत दे रही, जो अब तक के जीते प्रत्याशियों से अधिक मत से चुनाव जीत सकती हैं ! टिकट बंटवारे में खेल नहीं हुआ तो अति पिछड़ी जाति की यह महिला बुंदेलखंड की राजनीति का नया चेहरा बनेगी.गाँठ बांधकर लिख लीजिये, अगर ‘हिन्दू चक्रवात’ भी आया तो उसकी काट भी यही महिला होगी !!!
Kavish Aziz
@azizkavish
प्रोफाइल पर लिखा है गर्व से कहो हम हिंदू हैं
यह भाजपा नेता अखिलेश प्रताप सिंह है जिसने अपने साथियों के साथ मिलकर एक लड़की का गैंगरेप किया…
यूपी के कासगंज में एक लड़की अपने मंगेतर के साथ लौट रही थी तभी नहर के पास अखिलेश प्रताप सिंह ने अपने साथियों अमित, सत्यपाल, अजय, रिंकू, सौरभ, ब्रजेश, सोनू के साथ लड़की को रोका, खेत में ले गए गैंगरेप किया और फिर मंगेतर को भी लूट लिया
Kranti Kumar
@KraantiKumar
Girl : गुरुजी क्या शादी करना जरूरी है. ,
Aniruddhacharya : कर लो शादी. क्यों नही करना चाहती हो, कितनी उम्र है तुम्हारी ?
Girl : 22 साल की हूँ, मैं ठाकुरजी में लीन रहती हूँ. मेरा मन भगवान में लीन रहने का करता है.
Aniruddhacharya : एक तो लड़कियां कम हैं. लड़कों की शादी नही हो पा रही है. एक का हक़ मारकर तुम बैठना चाहती हो, बड़ा पाप लगेगा.
मित्रों, अनिरुद्धाचार्य ने भले मज़ाक मज़ाक में लड़की को संन्यासिन बनने से रोका और गृहस्थ जीवन की ओर जाने को प्रेरित किया.
ओशो रजनीश ने भी कहा है गृहस्थ जीवन में रहकर, सेक्स का आनंद लेते हुए भी व्यक्ति ईश्वर की आराधना कर सकता है.
आसमोहम्मद कैफ़ । Aas mohd kaif 🇮🇳
@journoaas
यह अनन्या बांगर है, पहले ये आर्यन थी ! भारतीय क्रिकेट में अमूल्य योगदान देने वाले संजय बांगर की संतान है ! इन दिनों में इंग्लैंड में रह रही है !
अनन्या ने अपना जेंडर चेंज कराया है, पहले वो आर्यन के तौर पर जाना जाता रहा, आर्यन भी बढ़िया क्रिकेट खेलता था, वो बाएं का प्रतिभशाली बल्लेबाज था, इंगलिश वीमेंस काउंटी में ट्रांसजेंडर खिलाड़ी महिला क्रिकेट टीम में नही खेल सकते हैं, आर्यन अब पूरी तरह से लड़की है ! अब देखना यह है कि क्या वो खेल पाएंगे ! क्योंकि क्रिकेट आर्यन का प्यार है !
यह अलग बात है कि आर्यन से अनन्या बनने की यात्रा उनकी आत्मिक संतुष्टि के लिए है ! पिछले कुछ समय से यह सोच रहा था कि आर्यन (अनन्या) का अब तक कोई इंटरव्यू क्यों नही आया है !
@TheLallantop
यह कर रहा है, उन्हें बधाई !
लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी ने यह इंटरव्यू किया है, सौरभ द्विवेदी पर उनकी जाति के लोगों को आगे बढ़ाने के आरोप लगते रहे हैं मगर इसमें कोई शक नही कि वो एक ‘क्रिएटिव ‘ संपादक है ! उनकी सब तरफ नजर रहती है , आर्यन पर भी उनकी तेज नजर गई ! लल्लनटॉप उनकी देन है ! यह कामयाब आइडिया रहा , कुछ प्रतिभाओं को उन्होंने जबरदस्त निखारा भी है !
prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
जलियांवाला बाग में जाने के लिए एक बहुत तंग संकरी गली थी
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✔️जनरल डायर के सिपाही इसी से घुसे थे और इसे ब्लॉक कर लिया था कि क्रांतिकारी निकल कर भाग न सकें
✨✨✨✨✨
👉मक्कार जाहिल गंवार धूर्त गद्दार देश-विभाजक संघी-भाजपाई गिरोह की मोदी सरकार ने इस गली का विध्वंस कर दिया
बताइए
क्यों किया इसे ध्वस्त
क्यों इसका नामोनिशान मिटा दिया गया
Nighat Abbass🇮🇳
@abbas_nighat
आम हरा हो या पीला – अब ये भी सवाल है,
किस मज़हब का है फल? ये बाबा का नया कमाल है।
शरबत में भी ढूंढते हैं अब मज़हब का स्वाद,
ज़हर घोल दिया है हर घूँट में, कर दिया है बर्बाद।
आयुर्वेद के नाम पर नफ़रत का प्रसाद दे रहा,
संत नहीं, संघ का पोस्टरबॉय है – जो रोज़ धर्म की खुराक दे रहा।
बोलो कौन ??
Awesh Tiwari
@awesh29
मौलाना हुसैन अहमद मदनी’ ने अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ फतवा दिया कि अंग्रेज़ों की फौज में भर्ती होना हराम है। अंग्रेज़ी हुकूमत ने मौलाना के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया। सुनवाई में अंग्रेज़ जज ने पूछा, “क्या आपने फतवा दिया है कि अंग्रेज़ी फौज में भर्ती होना हराम है?”
मुझे सिखाया जाता था, “मुसलमानों से मत उलझना, काटकर फेंक देंगे”मौलाना ने जवाब दिया, ‘हां फतवा दिया है और सुनो, यही फतवा इस अदालत में अभी दे रहा हूं और याद रखो आगे भी ज़िन्दगी भर यही फतवा देता रहूंगा।’ इस पर जज ने कहा, “मौलाना इसका अंजाम जानते हो? सख्त सज़ा होगी।”
जज की बातों का जवाब देते हुए मौलाना कहते हैं कि फतवा देना मेरा काम है और सज़ा देना तेरा काम, तू सज़ा दे। मौलाना की बातें सुनकर जज क्रोधिए हुए और कहा कि इसकी सज़ा फांसी है। इस पर मौलाना मुस्कुराते हुए अपनी झोली से एक कपड़ा निकाल कर मेज पर रखते हैं।
अब जज पूछते हैं, “यह क्या है मौलाना?” मौलाना उनका जवाब देते हुए कहते हैं कि यह कफन का कपड़ा है। मैं देवबंद से कफन साथ में लेकर आया था। अब जज कहते हैं, “कफन का कपड़ा तो यहां भी मिल जाता।”
इस पर मौलाना जवाब देते हैं कि जिस अंग्रेज़ की सारी उम्र मुखालफत की उसका कफन पहनकर कब्र में जाना मेरे ज़मीर को गंवारा नहीं। गौरतलब है कि फतवे और इस घटना के असर में हज़ारों लोग फौज़ की नौकरी छोड़कर जंग-ए-आज़ादी में शामिल हो गए। एक सावरकर था जो माफी मांग आया।
Jaiky Yadav
@JaikyYadav16
मामला है राजस्थान के अजमेर का,
यहाँ एक पत्नी ने अपने पति को अपने दिव्यांग प्रेमी से मरवा दिया।
दरअसल मामला कुछ ऐसा है कि
अजमेर की यह महिला अपने लंगड़े प्रेमी बशीर से प्यार करती थी, लेकिन इसका पति इन दोनों के रास्ते में आ रहा था,
इस महिला ने अपने पति को उसके साथ पार्टी करने को भेजा जहाँ इसके प्रेमी ने इसके पति को दारू पिलाई और बाद में गला रेतकर हत्या कर दी।
बाद में जब यह पूरा राज़ खुला तो प्रेमी और वह महिला दोनों गिरफ्तार कर लिए गए।
Kavish Aziz
@azizkavish
ये काजोल की बहन तनीषा मुखर्जी हैं।
वर्ल्ड गाला नाइट में बिना कपड़ों के गईं थीं। कपड़ों के नाम पर इनके शरीर पर सिर्फ जाली थी।
Surendra Rajput
@ssrajputINC
लाला रामदेव को बताया जाए कि “हमदर्द” कोई मस्जिद या मदरसा नहीं बनाता, ना सांप्रदायिक नफ़रत फैलाता है बल्कि राष्ट्र के निर्माण में वह इन शिक्षण संस्थानों के द्वारा योगदान देता है।
हमदर्द दवाखाना वक़्फ़ सम्पत्ति है जो दवा व शर्बत बनाती है, जिसकी कमाई से यह सभी शिक्षण संस्थान व अस्पताल चलते है l
1) हमदर्द पब्लिक स्कूल,
2) राबिया गर्ल्स पब्लिक स्कूल,
3) सैफिया पब्लिक स्कूल,
4) हमदर्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस
5) हमदर्द कालेज ऑफ फार्मेसी,
6) रुफैदा कालेज ऑफ नर्सिंग,
7) हमदर्द इंस्टिट्यूट ऑफ एलाईएड हेल्थ साइंस,
8) हमदर्द यूनानी मेडीकल कालेज
9) हमदर्द इंजिनीरिंग कालेज
10) हमदर्द स्ट्डी सर्किल (सीविल एग्जाम)
11) मजीदिया अस्पताल
12) HAHC सेंटेनरी अस्पताल
13) हमदर्द रिसर्च सेंटर
14) जामिया हमदर्द (यूनिवर्सिटी) है ।
15) Hamdard Institute of Management Sciences
16) Hamdard Institute of Legal Studies and Research (HILSR)
हमदर्द मॉडर्न तकनीक से पढ़ाई करवाती है l चेरिटेबल अस्पताल चलाती है l फार्मेसी व यूनानी मेडिसिन में हमदर्द की टॉप रैंकिंग होती है जिसका एक भी सेंपल अभी तक कहीं फेल नहीं हुआ है ना कोर्ट ने आज तक उसपर लताड़ लगाई है ना किसी अखबार में उसका माफीनामा प्रकाशित हुआ है।
✍️रविचंद्र जोशी जी
Akhilesh Yadav
@yadavakhilesh
‘सामाजिक न्याय के राज’ की स्थापना का संकल्प:
14 अप्रैल 2025
अब समय आ गया है कि हम कहें कि ‘न्याय के राज’ को सच में स्थापित करने के लिए आज ‘सामाजिक न्याय के राज’ की आवश्यकता है।
बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने भारतीय संविधान की रचना की और हर शोषित, दलित और वंचित के अधिकारों के लिए सामाजिक न्याय के नायक के रूप में काम किया। उन्होंने संविधान के माध्यम से नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की और सरकार की शक्तियों को सीमित किया।
– ‘सामाजिक न्याय के राज’ की स्थापना का असली मतलब है संविधान की बराबरी की भावना और समता-समानता के सिद्धांतों की सही में स्थापना।
– इसी से नागरिकों के अधिकारों की सही में रक्षा हो पायेगी। इससे नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा होगी और सरकार की असीमित शक्तियां सीमित होंगी, जिससे उनकी मनमर्जी का राज ख़त्म होगा। फिर देश संविधान से चलेगा, मन-विधान से नहीं।
– सामाजिक न्याय के माध्यम से ही हम भेदभाव व सामाजिक असमानता को समाप्त कर सकते हैं और एक न्यायपूर्ण समाज के निर्माण के सपने को पूरा कर सकते हैं।
– सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में शिक्षा और आर्थिक सुधार महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे हैं। इसीलिए ‘शिक्षा और आर्थिक सुधार’ के लिए लगातार कोशिश करनी होगी और इनके महत्व को समझकर ‘पीडीए’ समाज को और भी अधिक शिक्षित करना होगा, साथ ही आर्थिक साक्षरता को भी बढ़ाना होगा, जिससे कोई भी उनका सामाजिक व आर्थिक उत्पीड़न न कर सके।
– इससे समाज में व्यक्तिगत स्तर पर आत्म-सशक्तीकरण होगा। अंतिम छोर पर खड़े निर्बल और असहाय को जब ये भरोसा होगा कि सिर्फ़ देश का न्याय ही नहीं, सामाजिक न्याय भी उनके साथ है तो व्यक्ति पूरी शक्ति और उत्साह से देश के निर्माण में अपने स्तर का अंशदान करेगा। यही सच्ची देशभक्ति को जन्म देगा।
सामाजिक न्याय के राज की स्थापना के लिए सबसे पहली शर्त ये है कि :
– सबको एकजुट होकर स्वयं संविधान का सम्मान करते हुए, उसे उसके मूल मूल्यों और भावना के साथ लागू करने के लिए ‘पीडीए’ समाज को अपनी एकता की शक्ति दिखाते हुए, सत्ता पर भी हर तरह से शांतिपूर्ण दबाव डालना होगा।
– हम सबको मिलकर सामाजिक सुधार के लिए काम करना होगा और सामाजिक ग़ैर बराबरी व असमानता को दूर करने की शुरुआत अपने-अपने स्तर पर करनी होगी।
– हमें पढ़ाई-लिखाई के महत्व को समझना होगा और अपने ‘पीडीए’ समाज को लगातार आंतरिक संपर्क और संदेश के माध्यम से और भी अधिक जागरूक बनाना होगा। जिससे हम अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकर और भी सतर्क, सचेत व सजग हो सकें।
– इसके लिए हमें अपने ‘पीडीए’ समाज को क़ानूनी कवच भी देना होगा। जो सक्षम, समर्थ नहीं हैं, उनके साथ हर थाने-कचहरी में खड़े होकर उनके हौसले को बढ़ाना होगा। जब उत्पीड़नकारियों को लगेगा कि 90% ‘पीडीए’ समाज सामूहिक रूप से इकट्ठा होकर उनका विरोध कर सकता है तो वो अत्याचार करने से पहले सौ बार सोचेंगे।
आज के समय में ‘सामाजिक न्याय के राज’ की आवश्यकता और भी अधिक है क्योंकि हमें अब वर्चस्ववादियों के अन्याय और पक्षपातपूर्ण राज में और भी ज़्यादा सामाजिक असमानता, अन्याय-अत्याचार, अपमान, बेइज़्ज़ती और ज़लालत का सामना करना पड़ रहा है। हमें संविधान में दिये गये बाबासाहेब के विचारों और आदर्शों को और भी ताक़त से लागू करवाना होगा और ‘सामाजिक न्याय के राज’ की स्थापना के लिए संकल्प उठाकर काम करना ही होगा, तभी नाइंसाफ़ी और ज़ुल्म का ये दौर नेस्तनाबूद होगा और ‘पीडीए’ के ‘स्वाभिमान-स्वमान’ का नया सवेरा आयेगा। हमें अपना भविष्य ख़ुद बनाना होगा।
‘सामाजिक न्याय का राज’ ही हम सबके मतलब ‘पीडीए समाज’ के सुनहरे भविष्य की गारंटी है।
आपका
अखिलेश
@Misra_Amaresh
@misra_amaresh
#IDF ने #Netanyahu पर निशाना साधा! #Gaza पर कब्ज़ा करने में कई साल लगेंगे! राजनीतिक रास्ता ज़रूरी!
#Hebrew स्रोत: IDF प्रमुख “इयाल ज़मीर” (चित्र 1) ने सरकार को सूचित किया कि “सेना लड़ाकू बलों की कमी का सामना कर रही है।”
ज़मीर (वीडियो) ने राजनीतिक नेतृत्व को चेतावनी दी कि “सरकार की सभी महत्वाकांक्षाएँ पूरी नहीं हो सकतीं।”
चीफ ऑफ़ स्टाफ़ ने सरकार को सूचित किया कि सुरक्षा और राजनीतिक परिषद वर्तमान में केवल “सेना के लड़ाकों पर आधारित है, न कि पूरक राजनीतिक रास्ते पर।”
ज़मीर “युद्ध विराम पर जाने से पहले एक बड़े पैमाने पर जमीनी अभियान और विभिन्न तरीकों से #Hamas को सैन्य रूप से खत्म करना चाहते हैं।”
लेकिन सेना के अनुमान के अनुसार, पूरे गाजा पट्टी पर कब्ज़ा करने में कई महीने और शायद साल लगेंगे और इसके लिए हज़ारों सैनिकों को वापस बुलाना होगा, जिनमें से कई रिज़र्व बलों से होंगे (चित्र 2)।
ज़मीर ने बताया कि लड़ाकू इकाइयों में रिजर्व बलों के लिए वर्तमान भर्ती दर सिर्फ 60 से 70% है।
ज़मीर ने टैंकों, बख्तरबंद कार्मिक वाहकों और गोला-बारूद के भंडार की फिटनेस की समीक्षा की, जिसमें #Iran पर हमला करने की संभावना और उत्तरी मोर्चे (Hezbollah) पर नए सिरे से युद्ध की संभावना को ध्यान में रखा गया।
prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
👉जिन्होंने अँग्रेजों पर एक पत्थर नहीें मारा
👉जिन्होंने ब्रिटिश शासन के प्रति वफादार रहने की कसम खाई
👉जिन्होंने ब्रिटिश शासन से वजीफा लिया
👉जिन्होंने ब्रिटिश शासन से सहयोग करने का वचन दिया
👉जिन्होंने अंग्रेज सेना की मदद की
👉जिन्होंने क्रांतिकारियों के खिलाफ गवाही दी
👉जिन्होंने क्रांतिकारियों की मुखबिरी की
👉जिन्होंने क्रांतिकारी आंदोलन को कायरता कहा
👉जिन्होंने तिरंगा नहीें फहराया
👉जिन्होंने भारत माता की जय नहीें बोली
👉जिन्होंने एक लाठी और एक गोली नहीें खाई
✨उनकी नियोग की औलादें आज देशभक्ति और राष्ट्रवाद का ढोंग कर रही हैं 👇
prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
एक गैर-पंजीकृत गिरोह के पास इतना पैसा कहां से आया?
✨✨✨✨✨
क्या आयकर भरा गया?
क्या आय का स्रोत बताया गया
क्या लागत का खुलासा किया गया?
क्या किसी विपक्षी दल ने खोज-खबर ली?
Clash Report
@clashreport
Kazakhstan, Uzbekistan, Kyrgyzstan, and Turkmenistan have officially recognized Türkiye as an “occupying power” in Cyprus, endorsing UN Security Council Resolutions 541 and 550.
They took this step following EU’s announcement of €12 billion investment package for Central Asia.
Dr.Rakesh Pathak डॉ. राकेश पाठक راکیش
@DrRakeshPathak7
जी सर
सन 2014 से पहले देश में घनघोर अंधकार (ब्लैकआउट) रहता था, इतना अंधेरा रहता था सर कि दिन में भी हाथ को हाथ नहीं सूझता था।
उस समय देश के लोग चकमक पत्थर रगड़ कर आग जलाते थे तब थोड़ी रोशनी होती थी।
बिना कारखानों के लकड़ी, पत्थर जोड़ कर जैसे तैसे रहते थे।
कील-कांटे, सुई-ऑलपिन तक नहीं बने थे कारखाना तो बहुत दूर की बात है।
रेल तो चलती ही नहीं थी सो लोग कश्मीर से कन्याकुमारी तक गदहे, खच्चर पर यात्राएं करते थे। बहुत लोग पैंया पैंयां भी हजारों किलोमीटर चलते थे।
नदी, नालों से चुल्लू में पानी भर कर लाते और खेतों में पानी पहुंचाते थे।
धन्य भाग हमारे
आप भारत भूमि पर पधारे।🙏🌹
Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
एक दशक से नरेंद्र मोदी सत्ता में हैं। वो चाहते तो एक दशक में मुसलमानों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ सकते थे। लेकिन 11 साल प्रधानमंत्री रहने के बावजूद उन्हें मुसलमानों के पिछड़ेपन के लिए वक्फ बोर्ड को ज़िम्मेदार बताना पड़ रहा है। वो अपनी नाकामी छिपाने के लिए एक समुदाय को पंचर वाला कहकर अपमानित कर रहे हैं।