चुनावी बॉन्ड योजना के मुद्दे पर युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक बताए जाने के बाद कांग्रेस लगातार भाजपा पर हमला बोल रही है। चुनावी बॉन्ड घोटाले के आरोप में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। अब कांग्रेस ने “लोकतंत्र को कमजोर करने” के लिए वित्तमंत्री से इस्तीफे की मांग की है। विपक्षी दल ने समूची चुनावी बांड योजना की एसआईटी के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की अपनी मांग को फिर से दोहराया है।
क्या है चुनावी बॉन्ड?
चुनावी बॉन्ड एक तरह का वचन पत्र है। इसकी खरीदारी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं पर किसी भी भारतीय नागरिक या कंपनी की ओर से की जा सकती है। यह बॉन्ड नागरिक या कॉरपोरेट कंपनियों की ओर से अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को दान करने जरिया है।
चुनावी बॉन्ड की शुरुआत कब हुई?
चुनावी बॉन्ड को फाइनेंशियल (वित्तीय) बिल (2017) के साथ पेश किया गया था। 29 जनवरी, 2018 को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना 2018 को अधिसूचित किया था। उसी दिन से इसकी शुरुआत हुई।
कब-कब बिक्री के लिए मुहैया होता था चुनावी बॉन्ड ?
चुनावी बॉन्ड हर तिमाही की शुरुआत में सरकार की ओर से 10 दिनों की अवधि के लिए बिकी के लिए उपलब्ध कराए जाते रहे हैं। इसी बीच उनकी खरीदारी की जाती थी। सरकार की ओर से चुनावी बॉन्ड की खरीद के लिए जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के पहले 10 दिन तय किए गए हैं। लोकसभा चुनाव के वर्ष में सरकार की ओर से 30 दिनों की अतिरिक्त अवधि तय किए जाने का प्लान था।