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काला बिछुआ या बघनखी : सूजन और दर्द को दूर करने के गुणों के कारण इसे गठिया रोग में इस्तेमाल किया जाता है!

Anamika Shukla
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काला बिछुआ या बघनखी
बघनखी या बाघनखी या बाघनख एक पौधा है जो बरसात में उगता है और सर्दी आते आते सूख जाता है. इसके फल सूख कर चटक जाते हैं और उनमे से एक काले या भूरे रंग का बड़ा सा बीज निकलता है. इस बीज की शकल बाघ के मुड़े हुए नाखूनों जैसी होती है. इसलिए इसे बघनखी या बाघनखी या बाघनख कहते हैं.

इसके पत्ते बड़े और रोएंदार होते हैं. कुछ लोग इसके पौधे को हाथाजोड़ी, बघनखी के पौधे का वैज्ञानिक नाम मार्टिनिया एनुआ है. देसी भाषाओं में कहीं इसे उलट कांटा भी कहते हैं. इसके मुड़े हुए कांटो की वजह से इसे बिच्छू फल या काला बिछुआ भी कहते हैं. कुछ लोग इसके पौधे को बिच्छू झाडी समझते हैं. जबकि बिच्छू झाड़ी एक अलग ही पौधा है.

कुछ लोगों ने ये भ्रम भी पाल रखा है की ये पौधा वहीँ उगता है जहां बिच्छू रहते हैं. और ये बिच्छू काटे की अच्छी दवा है.

इसके कई नाम होने के कारण अन्य पौधों की नामों में भ्रम हो जाता है. ये पौधा ही ऐसा है।

ये पौधा सूजन और दर्द को दूर करता है. इसमें रक्त शोधक गुण हैं. सूजन और दर्द को दूर करने के गुणों के कारण इसे गठिया रोग में इस्तेमाल किया जाता है. इसके पत्तों को सरसों के तेल में पकाकर ये तेल जोड़ो के दर्द में मालिश करने से बहुत आराम मिलता है. इसके सूखे फलों को कूटकर भी तेल में पका सकते हैं. ये एक अच्छा दर्द निवारक तेल बन जाता है.

इसके फलो का तेल में पकाकर बालों में लगाने से बाल जल्दी सफ़ेद नहीं होते,

इसकी जड़ का पाउडर एक से दो ग्राम की मात्रा में अश्वगंधा का पाउडर सामान मात्रा में मिलाकर शहद के साथ सुबह शाम इस्तेमाल करने से गठिया रोग में राहत मिलती है.

कुछ लोगों को इसके इस्तेमाल से एलर्जी हो जाती है, इसका प्रयोग करने से पहले किसी काबिल हकीम या वैद्य की सलाह अवश्य लें।

यह पौधा नमी वाली और गर्म जलवायु में उगता है,इसके फलों और बीजों में औषधीय गुण होते हैं.

यह एक पारंपरिक औषधि है, इसलिए इसका उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है।

आप सभी को अगर इसके बारे में कोई जानकारी हो तो जरूर साझा करें 🙏
Anamika Shukla

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