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2014 के बाद भारत में हुए आतंकी हमलों की सूची : पहलगाम अटैक के टाइम भी NSA यही हैं….फिर भी हमले हुए हैं…क्या इनकी कोई जवाबदेही मांगी जाएगी??

Hansraj Meena
@HansrajMeena
2014 के बाद भारत में हुए आतंकी हमलों की सूची:
● कठुआ ट्रक अपहरण – 2014
● बरांडा मोड़ लैंडमाइन विस्फोट – 2014
● अर्निया आत्मघाती हमला – 2014
● उरी आत्मघाती हमला – 2014
● कठुआ पुलिस स्टेशन आत्मघाती हमला – 2015
● शोपियां जिला उग्रवादी हमला – 2015
● पठानकोट एयरबेस हमला – 2016
● बारामुला सैन्य काफिला घात हमला – 2016
● उरी हमला – 2016
● शोपियां पेट्रोल पार्टी हमला – 2017
● कुलगाम बैंक वैन पर घात हमला – 2017
● अनंतनाग सैन्य काफिला घात हमला – 2017
● अमरनाथ यात्रा जनसंहार हमला – 2017
● सोपोर आईईडी विस्फोट – 2018
● सुंजवां सैन्य स्टेशन आत्मघाती हमला – 2018
● शोपियां जिला अरहामा उग्रवादी हमला – 2018
● कुलगाम लारू गांव हमला – 2018
● पुलवामा हमला – 2019
● अनंतनाग सुरक्षा बलों पर घात हमला – 2019
● बंगाली मजदूरों पर हमला – 2019
● सीआरपीएफ पेट्रोल पर हमला – 2020
● श्रीनगर पुलिस वाहन पर घात हमला – 2021
● राजौरी आत्मघाती हमला नाकाम – 2022
● सेना के वाहन पर घात हमला – 2023
● रेसी हमला – 2024
● कठुआ सेना काफिला हमला – 2024
● पहलगाम हमला – 2025

2014 से पहले नरेंद्र मोदी हर मंच से आतंकवाद को लेकर यूपीए सरकार की विफलता पर सवाल उठाते थे और दावा करते थे कि अगर उन्हें सत्ता मिली, तो देश में आतंकवाद का नामोनिशान मिटा देंगे। लेकिन पिछले दस वर्षों में देश ने उरी, पठानकोट, पुलवामा, सुंजवां, राजौरी, और हाल ही में पहलगाम जैसे कई बड़े आतंकी हमले देखे हैं। हर बार जवान शहीद होते हैं, आम नागरिक मारे जाते हैं और सरकार केवल बयानबाज़ी करके रह जाती है। मोदी सरकार का “जीरो टॉलरेंस” अब एक खोखला नारा बन चुका है, जिसे सिर्फ चुनावी भाषणों में दोहराया जाता है, ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। आतंकवाद के खिलाफ सख्ती की बात करने वाली सरकार, अब चुप्पी और प्रचार की राजनीति में उलझी हुई है।

Bhagat Ram
@bhagatram2020
पिछले 11 साल से कोई भी घटना होने पर गोदी मीडिया हमें यही बताने लगता है कि देखो ‘मोदी कितने ग़ुस्से में है’, ‘योगी कितने ग़ुस्से में है’, ‘शाह कितने ग़ुस्से में हैं’…

‘घटना क्यों हुई’, ‘किसकी लापरवाही से हुई’, ‘ज़िम्मेदार कौन है’ – ये सवाल तो किसी और देश में और किसी और सरकार से पूछे जाते थे।

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BITTU SHARMA- ‏بٹو شرما
@common000786Om
कंधार हमले के वक़्त अजीत डोवाल ही बातचीत के सूत्रधार थे..
उरी हमले के टाइम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे.
पुलवामा हमले के टाइम भी यही थे..
आज पहलगाम अटैक के टाइम भी NSA यही हैं….फिर भी हमले हुए हैं ..
क्या इनकी कोई जवाबदेही मांगी जाएगी??

Surbhi Maradiya
@SurabhiMaradiya
27 भारतीयों की जान चली गई !
देश आज शोक में डूबा है, हर आँख नम है !

– ऐसे समय में भी रेड कार्पेट बिछाना क्या ज़रूरी था?
– क्या संवेदनाएँ सिर्फ आम जनता के लिए हैं?
– क्या सत्ता की चमक, इंसानों की जान से ज़्यादा कीमती हो गई है?

– हम जवाब चाहते हैं !
– हम इंसाफ़ चाहते हैं !
– हम इंसानियत चाहते हैं !

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Jaiky Yadav
@JaikyYadav16
कश्मीर में पिछले कुछ सालों में पर्यटन में अच्छी खासी ग्रोथ हुई थी, इस ग्रोथ का सीधा फ़ायदा वहाँ के लोकल्स को ही हो रहा था,

साल 2020 में कश्मीर विजिट करने वाले टूरिस्ट 34 लाख थे जो कि साल 2024 तक लगभग 2.5 करोड़ हो गए थे,

लोग कश्मीर को सुरक्षित मानकर कश्मीर विजिट करने लगे थे मगर

यह जो कल वाला कायराना आतंकी हमला किया गया है इससे अब पर्यटन में सुस्ती आएगी और यह सीधा सा नुकसान वहाँ के स्थानीय लोगों का ही है।