इस्राएली सेना सीमा पार कर दक्षिणी लेबनान की जमीन में दाखिल हो चुकी है. इससे पहले भी इस्राएल और लेबनान के बीच ऐसी स्थिति बन चुकी है.
बीते कई दिनों से लेबनान पर जमीनी हमला करने की चेतावनी देने के बाद आखिरकार इस्राएली सेना ने लेबनान के दक्षिणी हिस्से पर हमला कर दिया है. इस्राएल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने 1 अक्टूबर को देर रात एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “आईडीएफ ने कुछ घंटों पहले दक्षिणी लेबनान में आतंकी ठिकानों और आतंकवादी संगठन हिज्बुल्लाह के ढांचों के विरुद्ध एक योजनाबद्ध और निर्धारित जमीनी ऑपरेशन शुरू किया है.”
Israel Defense Forces @IDF In accordance with the decision of the political echelon, a few hours ago, the IDF began limited, localized, and targeted ground raids based on precise intelligence against Hezbollah terrorist targets and infrastructure in southern Lebanon. These targets are located in villages close to the border and pose an immediate threat to Israeli communities in northern Israel.
The IDF is operating according to a methodical plan set out by the General Staff and the Northern Command which IDF soldiers have trained and prepared for in recent months.
The Israeli Air Force and IDF Artillery are supporting the ground forces with precise strikes on military targets in the area.
These operations were approved and carried out in accordance with the decision of the political echelon. Operation “Northern Arrows” will continue according to the situational assessment and in parallel to combat in Gaza and in other arenas.
The IDF is continuing to operate to achieve the goals of the war and is doing everything necessary to defend the citizens of Israel and return the citizens of northern Israel to their homes.
इस्राएली सेना ने अपने हमले का क्या लक्ष्य बताया? इस्राएल के मुताबिक, ये हमले सीमा से सटे गांवों में लक्षित हैं जो “इस्राएली बसाहटों के लिए तात्कालिक और असली खतरा हैं.” इस्राएली सेना ने बताया कि उसके सैनिकों की भीषण लड़ाई हो रही है. इस्राएल का दावा है कि खुफिया जानकारियों की मदद लेकर “सीमित” हमले किए जा रहे हैं और “आम लोगों को कम-से-कम नुकसान हो, इसके लिए कदम उठाए गए हैं.” समाचार एजेंसी डीपीए के मुताबिक, इस्राएली वायु सेना ने बेरूत के दक्षिणी इलाके में हिज्बुल्लाह के कई हथियार कारखानों और ढांचों को भी निशाना बनाया है.
अमेरिका के अखबार ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ ने आईडीएफ के प्रवक्ता डानिएल हगारी के हवाले से बताया कि इस्राएली सेना जोर दे रही है कि “उनका युद्ध हिज्बुल्लाह के साथ है, ना कि लेबनान के लोगों के साथ.” हगारी ने कहा कि इस्राएली सेना के “स्थानीय जमीनी हमले हिज्बुल्लाह के गढ़ को निशाना बनाएंगे, जो कि सीमा के पास रहने वाले इस्राएली समुदायों के लिए खतरा हैं.” समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इस्राएली सेना ने दक्षिणी लेबनान के 20 से ज्यादा शहरों के निवासियों से तत्काल बाहर निकल जाने की अपील की है.
संयुक्त राष्ट्र ने इस घटनाक्रम पर चिंता जताई है. यूएन पीसकीपिंग फोर्स ने कहा कि “लेबनान में दाखिल होना उसकी संप्रभुता और भूभागीय अखंडता का उल्लंघन है. नागरिकों की रक्षा होनी चाहिए. नागरिक ढांचों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान होना चाहिए.”
हिज्बुल्लाह की ओर से भी हमले समाचार एजेंसियों के अनुसार, इस्राएल के जमीनी हमले के बीच हिज्बुल्लाह भी उत्तरी इस्राएल पर हमले कर रहा है. इस्राएली सेना ने बताया कि सीमा पर बसे मेतुला और अविविम नाम के शहरों के आसपास कई मिसाइल दागे गए. कुछ मिसाइलों को इस्राएली डिफेंस सिस्टम ने नष्ट कर दिया और कुछ मिसाइल खुले इलाके में गिरे.
इस्राएल के अखबार ‘हारेत्स’ ने देश के मध्य इलाकों पर भी रॉकेट हमलों की रिपोर्ट दी है. एएफपी के मुताबिक, हिज्बुल्लाह ने भी अपने बयान में कहा है कि उसने तेल अवीव के पास इस्राएली सेना की खुफिया यूनिट 8200 और मोसाद मुख्यालय पर रॉकेट दागे हैं.
बीते दिनों इस्राएल ने बेरूत, दमिश्क और गाजा को बड़े स्तर पर निशाना बनाया है. 27 अक्टूबर को बेरूत पर किए गए भारी हमले में हिज्बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत हो गई थी. यह हिज्बुल्लाह के लिए बड़ा झटका था, लेकिन इस्राएली रक्षा मंत्री योआव गालांत ने चेताया कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. गालांत ने यह भी कहा है कि इस्राएल और अमेरिका, दोनों ही हिज्बुल्लाह के “हमले से जुड़े ढांचे” को नष्ट करने की अहमियत पर सहमत हैं.
इस्राएल और लेबनान की सीमा पर तनाव दशकों पुराना इस्राएल और लेबनान पड़ोसी हैं. इस्राएल की उत्तरी सीमा, लेबनान के दक्षिणी हिस्से से जुड़ी है. हिज्बुल्लाह, लेबनान से ऑपरेट करता है. इसका गठन 1982 में हुआ था. यह लेबनान में गृह युद्ध का दौर था, जो 1975 से 1990 तक चला. इसी गृह युद्ध के दौरान 1978 में इस्राएल ने दक्षिणी लेबनान पर हमला किया. आईडीएफ के मुताबिक, फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) के समुद्र के रास्ते लेबनान से इस्राएल में घुसने और एक बस को निशाना बनाने के बाद यह कदम उठाया गया.
इसके बाद 1982 में इस्राएल ने फिर से लेबनान पर हमला किया. उसने कहा कि इस हमले का लक्ष्य उत्तरी इस्राएल के लोगों को “दक्षिणी लेबनान के आतंकवादियों” की पहुंच से दूर और सुरक्षित करना है. इस्राएली सेना ने राजधानी बेरूत के पश्चिमी हिस्से पर भी कब्जा कर लिया. कुछ महीनों बाद इस्राएल बेरूत से तो निकल गया, लेकिन दक्षिणी लेबनान पर उसका कब्जा बना रहा.
1982 में ही हिज्बुल्लाह का गठन हुआ. गठन के कुछ ही साल बाद जारी एक घोषणापत्र में हिज्बुल्लाह ने “इस्राएल के खात्मे” को अपने प्रमुख लक्ष्यों में से एक बताया. करीब 22 साल तक दक्षिणी लेबनान पर लगातार कब्जा बनाए रखने के बाद मई 2000 में इस्राएली सेना ने यहां से लौटना शुरू किया.
2006 का इस्राएल-हिज्बुल्लाह युद्ध हालांकि, इसके बाद भी लेबनान और इस्राएल की सीमा शांत नहीं हुई. ईरान-समर्थित हिज्बुल्लाह और इस्राएल के बीच संघर्ष जारी रहा. साल 2006 में इन झड़पों ने दोनों पक्षों के बीच सबसे उग्र और हिंसक संघर्ष का रूप ले लिया. घटनाक्रम यह था कि 12 जुलाई 2006 को हिज्बुल्लाह चरमपंथियों ने इस्राएल की सीमा में दाखिल होकर आठ इस्राएली सैनिकों की हत्या कर दी और दो सैनिकों को अगवा कर लिया.
जवाब में इस्राएल ने लेबनान पर समुद्र, हवा और जमीन तीनों रास्तों से हमला बोल दिया. 12 जुलाई से शुरू हुआ यह युद्ध 34 दिन तक चला. 14 अगस्त को दोनों पक्षों के बीच संघर्षविराम होने तक लेबनान में 1,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके थे. कई इस्राएली सैनिकों की भी जान गई. युद्ध खत्म होने के बाद हिज्बुल्लाह ने कहा कि अगर उसे पता होता कि युद्ध होगा, तो वह दो इस्राएली सैनिकों को अगवा नहीं करता.
ब्रिटिश अखबार गार्डियन के मुताबिक, हिज्बुल्लाह के लीडर हसन नसरल्लाह ने एक टीवी चैनल पर कहा, “हमने नहीं सोचा था, एक फीसदी भी नहीं सोचा था कि (सैनिकों को) पकड़ना इतने बड़े स्तर के युद्ध की स्थिति पैदा करेगा. आप मुझसे पूछिए, अगर मुझे 11 जुलाई को यह पता होता कि ऑपरेशन ऐसे युद्ध की नौबत लाएगा, तो मैं क्या करता? मैं कहता नहीं, बिल्कुल नहीं.”