धर्म

हज़रत अली फ़रमाते हैं – ”बेहतरीन शासक वह है जो ज़ुल्म को ख़त्म करे और न्याय को ज़िन्दा करे”

मज़लूम का बचाव बौद्धिक और स्वाभाविक चीज़ है जिस पर इस्लामी रिवायतों में बल दिया गया है।

मज़लूम उस इंसान को कहा जाता है जिस पर अन्याय व अत्याचार किया गया हो और उसके अधिकारों पर अतिक्रमण किया गया हो। पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों के हवाले से बहुत सी रिवायतों में मज़लूम की मदद करने पर बल दिया गया है। यहां पर हम उनमें से कुछ का उल्लेख कर रहे हैं।

स्वर्ग में मेरे साथ रहेगा
पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं कि जो ज़ालिम से मज़लूम के अधिकार को लेकर उसे दे दो वह स्वर्ग में मेरे साथ रहेगा।

2- अल्लाह की शरण में जाना

पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं कि अत्याचार करने में या अत्याचार को क़बूल करने में अल्लाह से डरो

3- मज़लूम के मददगार

पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकारी हज़रत अली फ़रमाते हैं कि ज़ालिम का दुश्मन व विरोधी बन जाओ और मज़लूम का मददगार व सहायक बन जाओ।

4- बेहतरीन न्याय

हज़रत अली फ़रमाते हैं कि मज़लूम की मदद सबसे अच्छा न्याय है।

5- बेहतरीन शासक

हज़रत अली फ़रमाते हैं कि बेहतरीन शासक वह है जो ज़ुल्म को ख़त्म करे और न्याय को ज़िन्दा करे

6- अत्याचारी की मदद न करना

इमाम हुसैन के सुपुत्र इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं हे अल्लाम मैं तेरी पनाह चाहता हूं इससे कि किसी ज़ालिम की मदद करूं या किसी मज़लूम की मदद न करूं या उस चीज़ को चाहूं जो मेरा हक़ नहीं है।

7- ज़ुल्म करने से परहेज़ करना चाहिये

इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं

मेरे बेट उस शख्स पर ज़ुल्म करने से परहेज़ कर जिसका अल्लाह के अलावा कोई मददगार नहीं है।