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शताब्दियों बाद जागा शक्ति का प्रताप जलो चलें मातारानी 64 जौगनिया सरोना के धाम : बांसवाड़ा राजस्थान से रिपोर्टर धर्मेन्द्र कुमार सोनी की क़लम से

कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा राजस्थान रिपोर्टर धर्मेन्द्र कुमार सोनी की कलम से

(शताब्दियों बाद जागा शक्ति का प्रताप जलो चलें मातारानी 64 जौगनिया सरोना के धाम)
जहां अंधे को रोशनी मिलती है, बांझ की गोद खीलती है और तो और लकवा के मरीजों के लिए वरदान साबित होते हैं
विज्ञान भले ही अणु शक्ति से लेकर परमाणु शक्ति की क्षमता भले ही हासील करले पर ईश्वरीय शक्ति के आगे विज्ञान बोना ही शाबीत होता है वैदो पुराणों में आज भी ईश्वरीय शक्ति की सत्यता किसी छीपी नहीं हम जब लय सुर ताल व सच्ची श्रद्धा भक्ति और आस्था के साथ भजनों को गाते हैं तब सरीर में नई क्रान्ति का संचार होता है थके पेर हो या उम्र का आखरी पडावा या फिर जंजीरों में जकड़ा व्यक्ती नाचने झुमने लगता है!कोई वेज्ञ्यानिक मां के गर्भ से सिख कर नहीं आता, हम महाभारत काल के अभी मन्यु नहीं है! जो गर्भ में ही सब सिखले! आविष्कार व कीताबी ज्ञान से पढ़ लिख कर डीर्गी ले कर वेज्ञानिक बनते हैं!हमारा भारत देश धर्म प्रधान देश है देवी देवताओं को वैदो पुराणों उप निशिदो शास्त्रों में अनेक शास्त्रों को झुठलाया नहीं जाक्ता है!

चाहे रामायण हो व श्री मद भागवत गिता हर का अपना महत्व होता है!आज हम एक एसे धार्मिक स्थल के बारे में पाठकों को अवगत करा रहें हैं जो कीदवंती अनुसार महाभारत काल के समय जब पांडवों को अज्ञात वास मीला तब कौरवों ने पाण्डवों के अज्ञात वास को भंग करने के काफी जतन किए पर सत्य परेशान हो सक्ता है पर पराजित नहीं होता अधर्म पर हमेशा जित सत्य की हुई है, जब पांडवों को अज्ञात वास मीला तब राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के घोटेश्वर महादेव यानी पांचों पाण्डव घोटिया आम्बा पर जप तप व्रत करने आए वैसे भी बांसवाड़ा जिले को लोडी काशी या लघु काशी ना नाम दिया है जंहा पांचों पांडवों ने भगवान भोलेनाथ की घौर आराधना की आज भी घोटीया आंबा में श्रद्धा भक्ति और आस्था का संचार होता है यंहा पांचों पांडवों माता कुन्ती व पांचाली की प्रतिमा हे जंहा दो जल कुंड है यहां मध्यप्रदेश राजस्थान व गुजरात के श्रद्धालु आते हैं और श्रद्धा भक्ति और आस्था के साथ मन्नतें पूरी होने पर मन्नतें उतार ते हे

यहा कैला पानी का धार्मिक स्थल भी मौजूद है जंहा हर साल आंखा तिज पर मैला गीरता हे जंहा धान के पौधे धरती पुत्र अपने घर लें जाते हैं वहीं से पांचों पांडवों ने भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया व भोलेनाथ ने मातारानी 64 जौगनिया जौगनिया में जाकर जप तप व्रत करने को कंहा पांचों पांडवों ने घोटीया आंबा से प्रस्थान कर कर्ण घाटी आएं जब कर्ण को पांडवों के अज्ञात वास का पता चला तो कर्ण अपनी सेना को लेकर कर्ण घाटी आया पर सत्य का साथ ईश्वर देता हे कर्ण दिग भ्रमित हो उल्टे पांव चला गया जब पांचों पाण्डव पांच डुंगरी पर निवास रत थें जो वरसाला पंचायत में आज भी पांच डुंगरिया विधीमान हे यहा से पांचों पाण्डव मातारानी 64जौगनिया जौगनिया सरोना धाम पंहुचे जो पाटन पुलिस थाना क्षेत्र से महज तीन किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश की सिमा पर स्थित है जंहा पांचों पांडवों ने मातारानी 64जौगनिया जौगनिया सरोना धाम पर घौर जब त्रप किया जंहा से असत्य पर सत्य की विजय हुई आज यह धाम भले ही सरकार व पुरा संपदा की उपेक्षा से आहत हे पर श्रद्धा भक्ति और आस्था से ओत-प्रोत हो जन आस्था का केंद्र बन चुका है यंहा निशतान दंपती लकवाग्रस्त जैसें जलील रोगों से लोगों का निजात मिलती है,हर वर्ष नवरात्रि में यहां मातारानी 64जौगनिया के भक्तों का हुजूम उमड़ ता हे करीब एक करोड़ से अधिक लागत का मंदिर बन रहा है इस मंदिर को बनाने में मुख्य योगदान पैशे से आर्युवेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ मधुसूदन शर्मा अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं यहां हर रविवार को क्षेत्र के भक्त आते हैं यंहा तीन धर्मशाला भी बनी हैं पुर्व विधायक फतेहसिंह डामोर, पुर्व मंत्री स्वर्गीय जितमल खाट पुर्व विधायक व संसदीय सचिव भीमा भाई डामोर पुर्व सांसद धनसिह रावत, महेन्द्रसिंह जित मालविया वर्तमान विधायक श्रीमती रमिला हुरतिंग खड़िया व पुर्व राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया भी मातारानी 64जौगनिया सरोना धाम पर आकर मत्था टेक गई यहां जोगनिया महीमा पर एक एलबम तथा जौगनिया चालीसा भी लिखी गई है जिसमें डाक्टर मधुसूदन शर्मा रिपोर्टर धर्मेन्द्र कुमार सोनी, केमरा मेन राहुल सोनी पायल सोनी मगन चौहान व श्री मती रमीला पंचाल ने किरदार निभाया वहीं हर साल यहां विराट कवी सम्मेलन का आयोजन भी होता है इस धार्मिक स्थल पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण किया है पर सरकार व प्रशासन कुंभकर्णी नींद सोए हुए हैं! देखना यह होगा कि इस पवित्र धार्मिक स्थल की सरकार व प्रशासन कब सुध लेगा यह तो वक्त ही बताएगा?