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वैवाहिक जीवन के सुख के लिए लड़कों लड़कियों को कुछ टिप्स!

Madhu Singh
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मै जीवन के 70 वें वर्ष में हूं ।अपने 51 वर्षीय आनंदपूर्ण वैवाहिक जीवन का उदाहरण दे कर वैवाहिक जीवन के सुख के लिए लड़कों लड़कियों को कुछ टिप्स देता रहता हूं।।कुछ पाठकों ने पूछा कि मेरी पत्नी का क्या योगदान रहा परिवार में तो वही बताना चाहता हूं।शायद इस से लड़के लड़कियां कुछ सीखें।ज़माना 51 साल आगे बढ़ चुका है।लड़कों से ज्यादा लड़कियां आगे बढ़ चुकी हैं और ये बहुत अच्छी बात है ।

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हमारे दांपत्य का सुनहरा सूत्र रहा है प्रतिदिन सोने के पहले दोनो साथ साथ कॉफी पीते हैं।आज भी हम इस आयु में भी बाजार साथ जाते हैं और वहां साथ कॉफी आइस टी और फ्रेंच फ्राइज़ लेते हैं।हम लोग वेज हैं और ड्रिंक्स से हमारा परिवार दूर है।पत्नी का अपना एक सहेलियों का ग्रुप है, उनके धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं, मैं उनमें पूर्ण सहयोग करता हूं।मेरे कोई दोस्त नहीं हैं पत्नी ही बेस्ट फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड रहीं हैं

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दांपत्य के सुख का एक ही स्वर्णिम सूत्र है और रहेगा, वो है दोनो हाथों से ताली यानी एक दूसरे के साथ सामंजस्य ।पति या पत्नी को किसी भी झगड़े की स्थिति में दूसरे के आगे प्यार से झुक जाना चाहिए।मेरी पत्नी सिंह राशि हैं यानी प्रखर और मैं तुला यानी एडजस्टिंग पर जितना एडजस्टमेंट उन्होंने किया है उतना करना एक मिसाल है 1973 में विवाह हुआ था तब मेरी बीमार नानी की सेवा की, चुपचाप मेरे पिता का क्रोध भी सहा, मेरे माता पिता और परिवार की सेवा की, मेरा ध्यान रखा, 2 बच्चों को सम्हाला, बीमार रहीं तब भी सबका पूरा ध्यान रखा ।

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मैने भी पत्नी के भाई बहिनों माता पिता का पूरा ध्यान रखा।ताली दोनों हाथ से बजती है।
ईश्वर ने भी उनके साथ मेरा पूरा ध्यान रखा क्यों कि हम दोनो ईश्वर का स्मरण साथ साथ करते रहे हैं।मैं तब पढ़ता था एमएससी मे।मुझे पढ़ने दिया, तनाव से दूर रखा।मैं ज्यादातर इलाहाबाद से घर आ जाता था ,नव विवाहित जो था तो सुबह 4 बजे जगाती थीं, चाय देती थीं और पढ़ने में कभी बाधा नहीं बनतीं थीं।उनकी पूजा पाठ,ईश्वर कृपा और मेरे परिश्रम से मैं जब प्रशासनिक अधिकारी बना तो हम लोग माता पिता भाई को साथ ही मुरादाबाद ले गए फिर सारे ट्रांसफर्स में जहां रहे माता पिता के पूरे जीवन तक उन्हें साथ ही रखा।पत्नी कभी किसी से लड़ीं नहीं,झगड़ा नहीं किया,मेरे छोटे भाई को बेटे जैसा समझ कर ध्यान रखा।वो 9 साल छोटा है।आज भी हम संयुक्त परिवार जैसे हैं भले ही भाई कानपुर हैं और हम गाजियाबाद।ये मेरी पत्नी की समझदारी का ही परिणाम है। भाई भी बहुत सम्मान करता है।हम भाइयों में कोई आर्थिक हिसाब किताब नहीं होता।

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पत्नी पोस्ट ग्रेजुएट हैं पर नौकरी नहीं की, घर सम्हाला और मैने उन्हे हाउस वाइफ होने पर पूर्ण सम्मान और केयर दी।आज वे 2 बेटे बहुओं नाती पोतों के संयुक्त परिवार को समझदारी से चलातीं हैं।

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हम दोनो को आश्चर्य होता है पति पत्नी जैसे इंटिमेट रिश्ते में झगड़े का क्या काम!ये तो बहुत अधिक प्यारा रिश्ता है। मैं अपनी पत्नी का अभिनंदन और धन्यवाद करता हूं कि वे मेरे जीवन में हैं।(मेरी पत्नी का ये चित्र लगभग 2 या 3 साल पहले का है ।)
अज्ञात -साभार 🙏🙏🙏