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मोहम्मद शमी व क्रिकेट

Asif Mansuri Shahi
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शमी व क्रिकेट
मोहम्मद शमी का जन्म 3 सितंबर 1990 को अमरोहा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 2005 में की थी, जब वह 15 साल के थे।\

शमी ने अपना पहला प्रथम श्रेणी मैच 2007 में उत्तर प्रदेश के लिए खेला था। इसके बाद, उन्होंने अपना पहला लिस्ट ए मैच 2008 में खेला था।
2010 में, शमी को भारत की अंडर-19 टीम में चुना गया था, जिसने मलेशिया में आयोजित अंडर-19 विश्व कप में हिस्सा लिया था।

शमी को पहली बार 2013 में भारत की सीनियर टीम में चुना गया था, जब उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ एकदिवसीय श्रृंखला के लिए टीम में शामिल किया गया था। इसके बाद, उन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था।तब से, शमी भारतीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य बन गए हैं और उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मैचों में अपनी गेंदबाजी का प्रदर्शन किया है।

मोहम्मद शमी एक भारतीय तेज गेंदबाज हैं जो अपनी गति, स्विंग और एक्शन के लिए जाने जाते हैं।

उनकी गेंदबाजी शैली में निम्नलिखित विशेषताएं हैं:

1. गति: शमी एक तेज गेंदबाज हैं जो 140 किमी/घंटा से अधिक की गति से गेंदबाजी कर सकते हैं।

2. स्विंग: शमी की गेंदें स्विंग करती हैं, जो बल्लेबाजों के लिए मुश्किल होती है।

3. एक्शन: शमी का गेंदबाजी एक्शन स्मूथ और पावरफुल है, जो उन्हें तेज गति से गेंदबाजी करने में मदद करता है।

4. विविधता: शमी अपनी गेंदबाजी में विविधता लाने के लिए यॉर्कर, बाउंसर और शॉर्ट पिच गेंदें भी फेंकते हैं।

5. अनुभव: शमी एक अनुभवी गेंदबाज हैं जिन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं और विभिन्न परिस्थितियों में गेंदबाजी की है

मोहम्मद शमी के इस फ़ोटो पर बवाल मचा हुआ है, क्यों भाई ?

चैंपियंस ट्रॉफी में केवल शमी ही नहीं कम से कम 40 मुस्लिम खिलाड़ी खेले, उनका रोज़ा कौन चेक करेगा।

यद्यपि शमी की तस्वीर वायरल है तो उन्होंने आकलन किया कि रोज़ा रह कर वह अपने देश के लिए सेमीफाइनल में 100% नहीं दे सकते तो रोज़ा नहीं रखा , इस्लाम में छूटे हुए रोज़े की भी भरपाई की व्यवस्था है।

2.5 बजे दोपहर से मैच शुरू होता है अर्थात रोज़ा शुरू होने के बाद 10 घंटे बिना खाए पिए कोई क्रिकेट जैसे स्पोर्ट्स में कैसे अपना 100% दे सकता है? शमी ने जो किया यह उसका फैसला है। उसका हिसाब वह देगा।

मगर दुबई और पाकिस्तान से कौन पूछेगा? जो इस्लामिक कंट्री होकर रमज़ान में ज़ोहर असर , मग़रिब और एशा के वक्त मैच का आयोजन करा रहे हैं? सवाल उन दर्शकों से भी है जो तरावीह और कम से कम 4 वक्त की नमाज़े छोड़कर मैच देखने गये हैं।