सेहत

महिलाएं भी पुरुषों की तरह शारीरिक संबंधों की ओर आकर्षित होती हैं, लेकिन…

 

तृप्त …🖤
@yaduvanshi32
महिलाएं भी पुरुषों की तरह शारीरिक संबंधों की ओर आकर्षित होती हैं, लेकिन अक्सर वे अपनी रुचि को व्यक्त नहीं करतीं। वे अपने पति या साथी से भी इस बारे में खुलकर बात करने में हिचकिचाती हैं। इसके पीछे सामाजिक दबाव और दूसरों के विचारों की चिंता होती है। कई बार महिलाएं अपनी इच्छाओं को दबा देती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इसके बारे में बात करने पर उन्हें गलत समझा जा सकता है।

May be an image of 1 person

महिलाएं आमतौर पर गुप्त संबंधों के बारे में खुलकर बात नहीं करतीं, पुरुष अक्सर एक-दूसरे से शारीरिक संबंधों के बारे में खुलकर बात कर लेते हैं, जबकि महिलाएं इस तरह की बातें दूसरों से साझा करने में संकोच करती हैं। ज्यादातर महिलाएं केवल अपनी एक-दो करीबी दोस्तों से ही गुप्त बातें साझा करती हैं। आप अपनी गर्लफ्रेंड से इस बारे में बात कर सकते हैं, लेकिन वह भी शायद इसे केवल अपनी सबसे करीबी दोस्त तक ही सीमित रखेगी।

May be an image of 1 person

महिलाओं को सफल पुरुषों में दिलचस्पी होती है, महिलाएं अक्सर ऐसे पुरुषों की ओर आकर्षित होती हैं जो सफल होते हैं। उनकी रुचि उन पुरुषों में अधिक होती है जो करियर और जीवन में सफल माने जाते हैं, जबकि पुरुष अक्सर सुंदर और आकर्षक महिलाओं की ओर आकर्षित होते हैं।

महिलाएं दिखावे पर ध्यान देती हैं, कई महिलाएं खुद को सुंदर और आकर्षक दिखाने के लिए हर संभव प्रयास करती हैं। वे नए कपड़े पहनने और स्टाइलिश दिखने पर जोर देती हैं। सज-संवर कर बाहर जाना एक सामान्य व्यवहार है क्योंकि वे दूसरों की नजर में खूबसूरत दिखने की कोशिश करती हैं।

कुंवारी लड़कियां अक्सर अपने आदर्श पुरुष के बारे में सोचती हैं, अधिकतर कुंवारी लड़कियां अकेले में अपने भविष्य के पति या ब्वॉयफ्रेंड के बारे में सोचती हैं। वे अपने आदर्श साथी और उनके साथ बिताए जाने वाले भविष्य के पलों की कल्पना करती हैं।

May be an image of 1 person and sleepwear

शारीरिक असंतोष से अवैध संबंधों की संभावना बढ़ती है, यदि एक महिला अपने साथी के साथ शारीरिक रूप से संतुष्ट नहीं होती, तो अवैध संबंध बनने की संभावना बढ़ जाती है। यह कई बार विवाहेतर संबंधों का प्रमुख कारण होता है।

कुंवारी माताओं की संख्या में वृद्धि, अध्ययनों के अनुसार, कुछ महिलाएं कुंवारी होते हुए भी मां बन जाती हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि 30% महिलाएं इस स्थिति में होती हैं।

महिलाओं का सबसे अधिक उत्साहित होने का समय वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, पीरियड्स के चार से पांच दिन बाद महिलाओं में शारीरिक और मानसिक उत्तेजना अधिक होती है।

May be an image of 1 person and blonde hair

महिलाओं को परिपक्व पुरुष पसंद आते हैं, अधिकांश महिलाएं परिपक्व और स्थिर पुरुषों की ओर आकर्षित होती हैं, जबकि पुरुष अक्सर छोटी उम्र की महिलाओं को प्राथमिकता देते हैं।

महिलाएं चाहती हैं कि लोग उनकी ओर देखें, अधिकतर महिलाएं सजने-संवरने में रुचि रखती हैं क्योंकि वे चाहती हैं कि जहां भी जाएं, लोग उनकी ओर ध्यान दें।

महिलाएं अपने सारे राज़ नहीं बतातीं, महिलाएं अपने गहरे राज़ कभी-कभी अपने साथी से भी साझा नहीं करतीं। वे कुछ बातें अपने तक ही रखना पसंद करती हैं।

महिलाएं भावनात्मक रूप से कमजोर होती हैं, महिलाएं आमतौर पर पुरुषों से अधिक भावनात्मक होती हैं। वे अपनी भावनाओं को ज्यादा महसूस करती हैं और छोटे-छोटे मामलों में भी आंसू बहा सकती हैं।

May be an image of 1 person and blonde hair

तृप्त …🖤
@yaduvanshi32
जिस दिन दुनिया में सेक्‍स स्‍वीकृत होगा, जैसा कि भोजन, स्‍नान स्‍वीकृत है उस दिन दुनिया में अश्‍लील पोस्‍टर नहीं लगेंगे, अश्‍लील किताबें नहीं छपेगी, अश्‍लील मंदिर नहीं बनेंगे क्‍योंकि जैसे-जैसे वह स्‍वीकृति होता जाएगा, अश्‍लील पोस्‍टरों को बनाने की कोई जरूरत ही नहीं रहेगी।

अगर किसी समाज में भोजन वर्जित कर दिया जाये और कह दिया जाये कि भोजन छिपकर खाना। कोई देख न ले। अगर किसी समाज में यह हो कि भोजन करना पाप है, तो भोजन के पोस्‍टर सड़कों पर लगने लगेंगे फौरन क्‍योंकि आदमी तब पोस्‍टरों से भी तृप्‍ति पाने की कोशिश करेगा।

May be an image of 1 person

पोस्‍टर से तृप्‍ति तभी पायी जाती है जब जिंदगी तृप्‍ति देना बंद कर देती है और जिंदगी में तृप्‍ति पाने का द्वार बंद हो जाता है।

*मैं युवकों से कहना चाहूंगा कि तुम जिस दुनिया को बनाने में संलग्न हो, उसमें सेक्‍स को वर्जित मत करना अन्‍यथा आदमी और भी कामुक से कामुक होता चला जाएगा।*

मेरी यह बात देखने में बड़ी उलटी लगेगी। अख़बार वाले और नेतागण चिल्‍ला-चिल्‍ला कर घोषणा करते है कि मैं लोगों में काम का प्रचार कर रहा हूं। सच्‍चाई उलटी है कि मैं लोगों को काम से मुक्‍त करना चाहता हूं और प्रचार वे कर रहे है। लेकिन उनका प्रचार दिखाई नहीं पड़ता। क्‍योंकि हजारों साल की परंपरा से उनकी बातें सुन-सुन कर हम अंधे और बहरे हो गये है। हमें ख्‍याल ही रहा कि वे क्‍या कह रहे है। मन के सूत्रों का, मन के विज्ञान का कोई बोध ही नहीं रहा। कि वे क्‍या कर रहे है। वे क्‍या करवा रहे है। इसलिए आज जितना कामुक आदमी भारत में है।

May be an image of 1 person

उतना कामुक आदमी पृथ्‍वी के किसी कोने में नहीं है।

मेरे एक डाक्‍टर मित्र इंग्‍लैण्‍ड के एक मेडिकल कांफ्रेंस में भाग लेने गये थे। व्‍हाइट पार्क में उनकी सभा होती थी। कोई पाँच सौ डाक्‍टर इकट्ठे थे। बातचीत चलती थी। खाना पीना चलता था। लेकिन पास की बेंच पर एक युवक और युवती गले में हाथ डाले अत्‍यंत प्रेम में लीन आंखे बंद किये बैठे थे। उन मित्र के प्राणों में बेचैनी होने लगी। भारतीय प्राण में चारों तरफ झांकने का मन होता है। अब खाने में उनका मन न रहा।

अब चर्चा में उनका रस न रहा। वे बार-बार लौटकर उस बेंच की ओर देखने लगे।

पुलिस क्‍या कर रही है। वह बंद क्‍यों नहीं करती ये सब। ये कैसा अश्‍लील देश है। यह लड़के और लड़की आँख बंद किये हुए चुपचाप पाँच सौ लोगों की भीड़ के पास ही बेंच पर बैठे हुए प्रेम प्रकट कर रहे है। कैसे लोग है यह क्‍या हो रहा है। यह बर्दाश्‍त के बाहर है। पुलिस क्‍या कर रही है। बार-बार वहां देखते।

May be an image of 1 person

पड़ोस के एक आस्‍ट्रेलियन डाक्‍टर ने उनको हाथ के इशारा किया ओर कहा, बार-बार मत देखिए, नहीं तो पुलिसवाला आपको यहां से उठा कर ले जायेगा। वह अनैतिकता का सबूत है। यह दो व्‍यक्‍तियों की निजी जिंदगी की बात है। और वे दोनों व्‍यक्‍ति इसलिए पाँच सौ लोगों की भीड़ के पास भी शांति से बैठे है, क्‍योंकि वे जानते है कि यहां सज्‍जन लोग इकट्ठे है, कोई देखेगा नहीं। किसी को प्रयोजन भी क्‍या है।

आपका यह देखना बहुत गर्हित है, बहुत अशोभन है, बहुत अशिष्‍ट है। यह अच्‍छे आदमी का सबूत नहीं है।

आप पाँच सौ लोगों को देख रहे है कोई भी फिक्र नहीं कर रहा। क्‍या प्रयोजन है किसी से। यह उनकी अपनी बात है। और दो व्‍यक्‍ति इस उम्र में प्रेम करें तो पाप क्‍या है ? और प्रेम में वह आँख बंद करके पास-पास बैठे हों तो हर्ज क्‍या है ?

May be an image of 1 person

आप परेशान हो रहे है। न तो कोई आपके गले में हाथ डाले हुए है, न कोई आपसे प्रेम कर रहा है।

वह मित्र मुझसे लौटकर कहने लगे कि मैं इतना घबरा गया किये कैसे लोग है। लेकिन धीरे-धीरे उनकी समझ में यह बात पड़ी की गलत वे ही थे। हमारा पूरा मुल्‍क ही एक दूसरे घर में दरवाजे के होल बना कर झाँकता रहता है।

कहां क्‍या हो रहा है ?
कौन क्‍या कर रहा है ?
कौन जा रहा है ?
कौन किसके साथ है ?
कौन किसके गले में हाथ डाले है ?
कौन किसका हाथ-हाथ में लिए है ?
क्‍या बदतमीजी है, कैसी संस्‍कारहीनता है ?
यह सब क्‍या है ?

यह क्‍यों हो रहा है ? यह हो रह है इसलिए कि भीतर वह जिसको दबाता है, वह सब तरफ से दिखाई पड़ रहा है। वही दिखाई पड़ रहा है।

May be an image of 1 person

युवकों से मैं कहना चाहता हूं कि तुम्‍हारे मां बाप, तुम्‍हारे पुरखे, तुम्‍हारी हजारों साल की पीढ़ियाँ सेक्‍स से भयभीत रही है। तुम भयभीत मत रहना। तुम समझने की कोशिश करना उसे। तुम पहचानने की कोशिश करना। तुम बात करना। तुम सेक्‍स के संबंध में आधुनिक जो नई खोज हुई है उनको पढ़ना, चर्चा करना और समझने की कोशिश करना कि सेक्‍स क्‍या है।

क्‍या है सेक्‍स का मैकेनिज्म ?
उसका यंत्र क्‍या है ?
क्‍या है उसकी आकांक्षा ?
क्‍या है उसकी प्‍यास ?
क्‍या है प्राणों के भीतर छिपा हुआ राज ?

इसको समझना। इसकी सारी की सारी वैज्ञानिकता को पहचाना।

May be an image of 1 person

तृप्त …🖤
@yaduvanshi32
उससे भागना, ‘एस्‍केप’ मत करना। आँख बंद मत करना। और तुम हैरान हो जाओगे कि तुम जितना समझोगे, उतने ही मुक्‍त हो जाओगे। तुम जितना समझोगे, उतने ही स्‍वस्‍थ हो जाओगे। तुम जितना सेक्‍स के फैक्‍ट को समझ लोगे, उतना ही सेक्स के ‘फिक्‍शन’ से तुम्‍हारा छुटकारा हो जायेगा।

तथ्‍य को समझते ही आदमी कहानियों से मुक्‍त हो जाता है और जो तथ्‍य से बचता है, वह कहानियों में भटक जाता है। कितनी सेक्‍स की कहानियां चलती हे। और कोई मजाक ही नहीं है हमारे पास, बस एक ही मजाक है कि सेक्‍स की तरफ इशारा करें और हंसे। हद हो गई। तो जो आदमी सेक्‍स की तरफ इशारा करके हंसता है, वह आदमी बहुत ही क्षुद्र है। सेक्‍स की तरफ इशारा करके हंसने का क्‍या मतलब है ? उसका एक ही मतलब है कि आप समझते ही नहीं।

May be an image of 1 person and sleepwear

यह मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जिस देश में भी सेक्‍स की स्‍वस्‍थ रूपा से स्‍वीकृति नहीं होती, उस देश की प्रतिभा का जन्‍म नहीं होता। पश्‍चिम में तीस वर्षो में जो जीनियस पैदा हुआ है, जो प्रतिभा पैदा हुई है। वह सेक्‍स के तथ्‍य की स्‍वीकृति से पैदा हुई है।

सेक्‍स जीवन का अद्भुत रहस्‍य है। वह जीवन की अद्भुत मिस्ट्रि है। उससे कोई घबरानें की,भागने की जरूरत नहीं है। जिस दिन हम इसे स्‍वीकार कर लेंगे, उस दिन इतनी बड़ी उर्जा मुक्‍त होगी भारत में कि हम न्‍यूटन पैदा कर सकेंगे, हम आइंस्‍टीन पैदा कर सकेंगे। उस दिन हम चाँद-तारों की यात्रा करेंगे। लेकिन अभी नहीं। अभी तो हमारे लड़कों को लड़कियों के स्‍कर्ट के आस पास परिभ्रमण करने से ही फुरसत नहीं है। चाँद तारों का परिभ्रमण कौन करेगा। लड़कियां चौबीस घंटे अपने कपड़ों को चुस्‍त करने की कोशिश करें या कि चाँद तारों का विचार करें। यह नहीं हो सकता। यह सब सेक्सुअलिटी का रूप है।

May be an image of 1 person and activewear

यह सब कैसा रोग है, यह कैसा डिसीज्‍ड माइंड, विकृत दिमाग है हमारा। हम सेक्‍स के तथ्‍यों की सीधी स्‍वीकृति के बिना इस रोग से मुक्‍त नहीं हो सकते। यह महान रोग है।

इस पूरी चर्चा में मैंने यह कहने की कोशिश की है कि मनुष्‍य को क्षुद्रता से उपर उठना है। जीवन के सारे साधारण तथ्‍यों से जीवन के बहुत ऊंचे तथ्‍यों की खोज करनी है। सेक्‍स सब कुछ नहीं है। परमात्‍मा भी है दुनिया में। लेकिन उसकी खोज कौन करेगा। सेक्‍स सब कुछ नहीं है इस दुनिया में सत्‍य भी है। उसकी खोज कौन करेगा। यहीं जमीन से अटके अगर हम रह जायेंगे तो आकाश की खोज कौन करेगा। पृथ्‍वी के कंकड़ पत्‍थरों को हम खोजते रहेंगे तो चाँद तारों की तरफ आंखे उठायेगा कौन ?

नहीं, मैं कहता हूं इस पृथ्‍वी से मुक्‍त होना है,ताकि आकाश दिखाई पड़ सके। शरीर से मुक्‍त होना है। ताकि आत्‍मा दिखाई पड़ सके। और सेक्‍स से मुक्‍त होना है, ताकि समाधि तक मनुष्‍य पहुंच सके। लेकिन उस तक हम नहीं पहुंच सकेंगे। अगर हम सेक्‍स से बंधे रह जाते है तो। और सेक्‍स से हम बंध गये है। क्‍योंकि हम सेक्‍स से लड़ रहे है। लड़ाई बाँध देती है। समझ मुक्‍त कर देती है। अंडरस्टैंडिंग चाहिए समझ चाहिए।

May be an image of 1 person

हम दूसरी चीजों के संबंध में साफ हो गये है। शायद केमेस्‍ट्री के संबंध में कोई बात जाननी हो तो सब साफ है। फ़िज़िक्स के संबंध में कोई बात जाननी है तो सब साफ है। भूगोल के बाबत जाननी हो तो सब साफ है। नक्‍शे बने हुए है। लेकिन आदमी के बाबत साफ नहीं है। कहीं कोई नक्‍शा नहीं है। आदमी के बाबत सब झूठ है। दुनिया सब तरफ से विकसित हो रही है। सिर्फ आदमी विकसित नहीं हो रहा। आदमी के संबंध में भी जिस दिन चीजें साफ-साफ देखने की हिम्‍मत हम जुटा लेंगे। उस दिन आदमी का विकास निश्‍चित है।

यह थोड़ी बातें मैंने कहीं। मेरी बातों को सोचना। मान लेने की कोई जरूरत नहीं क्‍योंकि हो सकता है कि जो मैं कहूं बिलकुल गलत हो। सोचना, समझना, कोशिश करना। हो सकता है कोई सत्‍य तुम्‍हें दिखाई पड़े। जो सत्‍य तुम्‍हें दिखाई पड़ जायेगा। वही तुम्‍हारे जीवन में प्रकाश का दिया बन जायेगा।