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मर्दाना ताक़त की सबसे बेहतरीन दवाइयां : पलंग तोड़ परफॉर्मन्स के लिए, वीर्य बढ़ाने के उपाय : रिपोर्ट

Deep Km
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वीर्य बढ़ाने के शाकाहारी उपाय : एक सम्पूर्ण मार्गदर्शिका
वीर्य, पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण घटक है। इसकी गुणवत्ता और मात्रा न केवल संतानोत्पत्ति में सहायक होती है, बल्कि यह सम्पूर्ण पुरुष स्वास्थ्य, ऊर्जा, और आत्मविश्वास को भी दर्शाती है। वर्तमान समय में तनाव, असंतुलित जीवनशैली, दूषित आहार, और प्रदूषण जैसे कारणों से वीर्य की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। सौभाग्य से आयुर्वेद और आधुनिक पोषण विज्ञान दोनों में ही ऐसे कई शाकाहारी उपाय बताए गए हैं जो प्राकृतिक रूप से वीर्य की मात्रा व गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं।


1. पौष्टिक आहार का महत्व
शरीर जैसा खाएगा, वैसा ही बनेगा। वीर्य को पुष्ट और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए निम्नलिखित शाकाहारी आहार को दिनचर्या में शामिल करें:

(क) दूध और इसके उत्पाद:
गाय का दूध वीर्यवर्धक होता है। इसे अश्वगंधा, शतावरी, या केसर के साथ लेना अधिक लाभकारी है।
दही व पनीर प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं।

(ख) सूखे मेवे:
बादाम: प्रतिदिन 5-6 भीगे हुए बादाम वीर्य को गाढ़ा और पुष्ट बनाते हैं।
अखरोट: ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर, जो शुक्राणुओं की गतिशीलता बढ़ाते हैं।
काजू और किशमिश: ऊर्जा और रक्तवर्धक गुणों से भरपूर।

(ग) बीज (Seeds):
तिल के बीज: विशेष रूप से काले तिल वीर्यवर्धक माने जाते हैं।
फ्लैक्स सीड्स (अलसी), सूरजमुखी और कद्दू के बीज: ज़िंक और सेलेनियम से भरपूर होते हैं।

(घ) हरी पत्तेदार सब्जियाँ:
पालक, मेथी, सरसों आदि में फोलिक एसिड होता है जो शुक्राणुओं की गुणवत्ता बढ़ाता है।

(ङ) फल:
अनार: वीर्य की मात्रा व संख्‍या बढ़ाने में सहायक।
केला: टेस्टोस्टेरोन बढ़ाता है।

आंवला: शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो वीर्य की गुणवत्ता को सुधारता है।



2. आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ
(क) अश्वगंधा:
तनाव कम करता है, टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ाता है, और वीर्य की मात्रा बढ़ाता है।

(ख) शतावरी:
वीर्य को गाढ़ा और पुष्ट बनाती है। इसे दूध के साथ लिया जा सकता है।
(ग) कौंच बीज:
प्राचीन समय से वीर्यवर्धक माना गया है। शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता में सुधार करता है।

(घ) विदारीकंद:
बलवर्धक और वीर्यवर्धक गुणों से युक्त।

3. जीवनशैली में परिवर्तन
नियमित योग और प्राणायाम: विशेषकर भस्त्रिका, कपालभाति, और सेतुबंधासन वीर्य वृद्धि में सहायक होते हैं।
प्राकृतिक नींद: प्रतिदिन 7-8 घंटे की नींद जरूरी है।

तनाव मुक्त जीवन: अधिक तनाव से वीर्य की गुणवत्ता प्रभावित होती है। ध्यान (Meditation) से लाभ होता है।

4. क्या न खाएँ?
अधिक तला-भुना और जंक फूड।
शराब, तम्बाकू और धूम्रपान वीर्य को हानि पहुँचाते हैं।
सोया प्रोटीन की अत्यधिक मात्रा से भी हार्मोनल असंतुलन हो सकता है।
प्लास्टिक बोतलों में रखा पानी (BPA युक्त प्लास्टिक से बचें)।

5. घरेलू नुस्खे
(1) खजूर दूध के साथ:
5 खजूर को रातभर दूध में भिगोकर सुबह उबालें और सेवन करें।

(2) शुद्ध घी में मुलेठी और मिश्री:
यह वीर्य को ठोस और गाढ़ा बनाता है।

(3) आंवले का चूर्ण:
रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच आंवला चूर्ण गर्म पानी से लें।
प्राकृतिक और शाकाहारी उपायों से वीर्य की गुणवत्ता और मात्रा को न केवल सुधारा जा सकता है, बल्कि सम्पूर्ण पुरुष स्वास्थ्य में भी सुधार लाया जा सकता है। आवश्यकता है केवल संयम, संतुलन और नियमितता की।

Mohammed Yahya Saifi
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🌷गुंडों की बस्ती में शराफ़त नाचती है🌷
एक आईना हमारे समाज का

“गुंडों की बस्ती में शराफ़त नाचती है” — यह लाइन सिर्फ़ एक कहावत नहीं, बल्कि हमारे समाज की उस हक़ीक़त का आईना है जिसे हम अक़सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। जब बुराई इतनी संगठित और ताक़तवर हो जाए कि अच्छाई उसका मज़ाक बन जाए, तो समझ लीजिए कि हालात सामान्य नहीं, बल्कि मुकम्मल तरह से ख़राब हो चुके हैं।

कभी शराफ़त यानी ईमानदारी, सादगी और इंसानियत को समाज में सबसे ऊँचा मुक़ाम दिया जाता था। लेकिन आज जब हम चारों ओर देखते हैं, तो लगता है कि शरीफ़ आदमी या तो डर के साये में जी रहा है, या फिर उसे मूर्ख समझा जा रहा है। वह न तो सिस्टम से लड़ पाता है, न ही गुंडागर्दी से। उल्टा, उसी को झूठे मामलों में फँसाया जाता है, उसी की नीयत पर सवाल उठने लगते हैं।

गुंडों का बोलबाला
गुंडे सिर्फ़ वे नहीं जो हथियार लेकर डर फैलाते हैं, बल्कि वे भी हैं जो हुकूमत में रहकर ताक़त और ओहदे का ग़लत इस्तेमाल करते हैं, ज़ुल्म को नीति का हिस्सा बना देते हैं और सच बोलने वालों की आवाज़ दबा देते हैं। ऐसे माहौल में जब कोई शरीफ़ इंसान अपनी सच्चाई पर अडिग रहता है, तो वह ‘नाचता’ हुआ नज़र आता है — कभी भीड़ की हँसी का पात्र बनकर, कभी इंसाफ की ख़ातिर अदालत में देरी का शिकार होकर।

अगर हम ऐसे हालात को स्वीकार करते हैं और ख़ामोश रहते हैं, तो कहीं न कहीं हम भी उस ‘बस्ती’ का हिस्सा बन जाते हैं। हमें यह समझना होगा कि समाज को बदलने के लिए सबसे पहले हमें शराफ़त को फिर से सम्मान दिलाना होगा। गुंडागर्दी के ख़िलाफ़ लड़ाई सिर्फ लाठी से नहीं, बल्कि सोच से भी लड़ी जाती है — और सोच बदलने के लिए क़लम सबसे बड़ा हथियार है।

अभी हाल में देश एक बड़ी समस्या से निपटा ही है और इक़्तेदार के लोग तिरंगा यात्रा शुरू कर रहे हैं वहीं एक गुंडा देश की आन बान शान सोफ़िया कुरेशी को आतंकवादियों की बहन बता रहा है अफ़सोस सत्ता के गलियारों से उफ़्फ़ तक नहीं निकली जबकि पूरा देश बिना धर्म मज़हब की तफरीक़ के सरकार के साथ है अपनी बहादुर फ़ौज के साथ है और रहेंगे ।

शराफ़त को नाचता हुआ देखने की बजाय हमें उसे एक सम्मानित मंच देना होगा। जहाँ बुराई एकजुट है, वहाँ अच्छाई को भी संगठित होना होगा। वरना हर बस्ती में शराफ़त सिर्फ़ एक तमाशा बनकर रह जाएगी और पांव में घुंघरू बांधे नाचती ही नज़र आएगी ।

🌹मुहम्मद याहया सैफ़ी 🌹


95% शुगर रोग को रिमूव कर देगा विजयसार की लकड़ी…

खराब लाइफस्टाइल के चलते डायबिटीज की समस्या आम हो गई है। पहले तो डायबिटीज 50 साल से ज्यादा उम्र के लागों को होती थी, लेकिन जेनेटिक होने के कारण अब कम उम्र के लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं। समय रहते इसे कंट्रोल कर लिया जाए, तो इसके बढ़ने की संभावना को कम किया जा सकता है। वैसे तो डायबिटीज को नियंत्रण में रखने के लिए लोग लौकी, गिलोय जैसे घरेलू नुस्खे अपनाते हैं, मधुमेह और घुटनो के दर्द का रामबाण इलाज है…विजयसार नाम से एक लकड़ी है ये हमारे भारत में मध्य प्रदेश से लेकर पूरे दक्षिण भारत मे पाया जाता है। इसकी लकड़ी के टुकड़े हर जड़ी बूटी बेचने वाले या पन्सारी की दुकान से आसानी से मिल जाते है। इसकी लकड़ी का रंग हल्का लाल रंग से गहरे लाल रंग का होता है। यह दवा नये मधुमेह रोगियों के लिये तो प्रभावी है ही, साथ में उन रोगियों जिन्हें मधुमेह रोधी दवा खाने से दवा खाने से कोई लाभ नहीं होता, उनके लिये भी अचूक है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए कई कम्पनिया और कई क्षेत्रों में इसके ग्लास भी बनाकर बेचते हैं। पर वो बहुत मेहँगे पड़ते है और कुछ देर बाद उस ग्लास की उपयोगिता समाप्त हो जाती है।

मधुमेह, प्रमेह (धातु रोग), अस्थियों कि मजबूती के लिए तो यह जाना जाता ही है मेरे जानने वाले बहुत ही लोगों ने इसे 3 मास तक स्वयं प्रयोग किया है और इसके लाभ अनुभव किये है और किसी भी तरह का साइड-एफेक्ट नहीं पाया।


◾औषधीय गुण : –
1. मधुमेह को नियन्त्रित करने में सहायता करता है।
2. उच्च रक्त-चाप को नियन्त्रित करने में सहायता करता है।
3.‌ अम्ल-पित्त में भी लाभ देता है।
4. जोडों के दर्द में लाभ देता है। विजयसार : घुटनो के दर्द का रामबाण इलाज है.
5. हाथ-पैरों के कम्पन में भी बहुत लाभदायक है।
6. शरीर में बधी हुई चर्बी को कम करके, वजन और मोटापे को भी कम करने में सहायक है।
7. त्वचा के कई रोगों, जैसे खाज-खुजली, बार-2 फोडे-फिंसी होते हों, उनमें भी लाभ देता है।
8. प्रमेह (धातु रोग) में भी अचूक है।
9. इसके नियमित सेवन से जोड़ों की कड़- कड़ बंद होती है .अस्थियाँ मजबूत होती है।

विजयसार की लकड़ी के टुकड़े बाजार से ले आए, जिसमे घुन ना लगा हो। इसे सूखे कपड़े से साफ कर ले। अगर टुकड़े बड़े है तो उन्हे तोड़ कर छोटे- छोटे- 1/4 -1/2 सेंटीमीटर या और भी छोटे टुकड़े बना ले।फिर आप एक मिट्टी का बर्तन ले और इस लकड़ी के छोटे छोटे टुकड़े लगभग पच्चीस ग्राम रात को दो कप या एक गिलास पानी में डाल दे । सुबह तक पानी का रंग लाल गहरा हो जाएगा ये पानी आप खाली पेट छानकर पी ले और दुबारा आप उसी लकड़ी को उतने ही पानी में डाल दे शाम को इस पानी को उबाल कर छान ले। फिर इसे ठंडा होने पर पी ले।

इसकी मात्रा रोग के अनुसार घटा या बढ़ा भी सकते है अगर आप अग्रेजी दवा का प्रयोग कर रहे है तो एक दम न बंद करे बस धीरे -धीरे कम करते जाए अगर आप इंस्युलीन के इंजेक्शन प्रयोग करते है वह 1 सप्ताह बाद इंजेक्शन की मात्रा कम कर दे। हर सप्ताह मे इंस्युलीन की मात्रा 2-3 यूनिट कम कर दे। विजयसार की लकड़ी में पाये जाने वाले तत्व रक्त में इन्सुलिन के स्राव को बढ़ाने में सहायता करते हैं.

नोट : 1) यदि आप साथ में एलोपेथिक दवा भी ले रहे हैं, तो रक्त में शर्करा की मात्रा नियमित रूप से चेक करते रहें। यह केवल विजयसार पर ही लागू नहीं – आप कोई और भी आयुर्वेदिक दवा एलोपेथिक दवा के साथ में लेते हैं तो यह ध्यान रखना आवश्यक है।

मैने आगे भी कई बार बताया है की बढ़ी हुई शुगर या शर्करा की मात्रा हानि पहुंचने में कुछ सप्ताह या मास ले सकती है, जबकि अगर यह एकदम काम हो जाये, तो चंद मिनटों में ही घातक हो सकती है।

– मिट्टी का बर्तन तो ही लें, अगर मिट्टी अच्छी तरह से पकी हुई हो और उसे अच्छी तरह सॉफ करके ही प्रयोग करें। वर्ना आप शीशे या चीनी मिट्टी का बर्तन भी प्रयोग में ला सकते हैं।

– मधुमेह के रोगी को जेब मे कुछ टाफिया या मीठे बिस्कुट हमेशा रखने चाहिए। यदि चक्कर आए तो 1-2 टॉफी या बिस्कुट तत्काल खा ले।
पोस्ट स्वास्थ्य जानकारी हेतु रिट्वीट शेयर फालो जरूर करें धन्यवाद 😇💌

शुगर से संबंधित किसी भी प्रकार की शिकायत के लिए शुगर के कारण कोई सेक्स कमजोरी के लिए शुरू करके कारण नसों की कमजोरी के लिए शुगर के कारण पिंडलियों में दर्द रहता हो यह किसी भी कारण से शुगर कम ना हो रही हो उसके लिए आप बिना किसी संकोच हमारे नंबर पर संपर्क करके दवाई मंगवा सकते हैं अपनी समस्याओं का समाधान ले सकते हैं

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Sanatan Bharat

आपको गिलोय के बारे में इतनी जानकारी नहीं होगी

आपने गिलोय के बारे में अनेक बातें सुनी होंगी और शायद गिलोय के कुछ फायदों के बारे में भी जानते होंगे, लेकिन यह पक्का है कि आपको गिलोय के बारे में इतनी जानकारी नहीं होगी, जितनी हम आपको बताने जा रहे हैं। गिलोय के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में बहुत सारी फायदेमंद बातें बताई गई हैं। आयुर्वेद में इसे रसायन माना गया है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।

गिलोय के पत्ते स्वाद में कसैले, कड़वे और तीखे होते हैं। गिलोय का उपयोग कर वात-पित्त और कफ को ठीक किया जा सकता है। यह पचने में आसान होती है, भूख बढ़ाती है, साथ ही आंखों के लिए भी लाभकारी होती है। आप गिलोय के इस्तेमाल से प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ और पीलिया रोग में लाभ ले सकते हैं। इसके साथ ही यह वीर्य और बुद्धि बढ़ाती है और बुखार, उलटी, सूखी खाँसी, हिचकी, बवासीर, टीबी, मूत्र रोग में भी प्रयोग की जाती है। महिलाओं की शारीरिक कमजोरी की स्थिति में यह बहुत अधिक लाभ पहुंचाती है।

गिलोय क्या है (What is Giloy?)
गिलोय अमृता, अमृतवल्ली अर्थात् कभी न सूखने वाली एक बड़ी लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा लगता है। इसके कोमल तने तथा शाखाओं से जडें निकलती हैं। इस पर पीले व हरे रंग के फूलों के गुच्छे लगते हैं। इसके पत्ते कोमल तथा पान के आकार के और फल मटर के दाने जैसे होते हैं।

यह जिस पेड़ पर चढ़ती है, उस वृक्ष के कुछ गुण भी इसके अन्दर आ जाते हैं। इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय सबसे अच्छी मानी जाती है। आधुनिक आयुर्वेदाचार्यों (चिकित्साशात्रियों) के अनुसार गिलोय नुकसानदायक बैक्टीरिया से लेकर पेट के कीड़ों को भी खत्म करती है। टीबी रोग का कारण बनने वाले वाले जीवाणु की वृद्धि को रोकती है। आंत और यूरीन सिस्टम के साथ-साथ पूरे शरीर को प्रभावित करने वाले रोगाणुओं को भी यह खत्म करती है।

गिलोय की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें मुख्यतया निम्न प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।

गिलोय (Tinosporacordifolia (Willd.) Miers)
Tinosporacrispa (L.) Hook. f. & Thomson 3. Tinospora sinensis (Lour.) Merr. (Syn- Tinospora malabarica (Lam.) Hook. f. & Thomson)
अनेक भाषाओं में गिलोय के नाम (Giloy Called in Different Languages)

गिलोय का लैटिन नाम टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया ( Tinospora cordifolia (Willd.) Miers, Syn-Menispermum cordifolium Willd.) है और यह मैनिस्पर्मेसी (Menispermaceae) कुल है। इसे इन नामों से भी जानी जाती हैः-
Giloy in –


Hindi (Giloy in Hindi) – गडुची, गिलोय, अमृता

English – इण्डियन टिनोस्पोरा (Indian tinospora), हार्ट लीव्ड टिनोस्पोरा (Heart leaved tinospora), मून सीड (Moon seed), गांचा टिनोस्पोरा (Gulancha tinospora); टिनोस्पोरा (Tinospora)
Bengali (Giloy in Bengali) – गुंचा (Gulancha), पालो गदंचा (Palo gandcha), गिलोय (Giloe)
Sanskrit – वत्सादनी, छिन्नरुहा, गुडूची, तत्रिका, अमृता, मधुपर्णी, अमृतलता, छिन्ना, अमृतवल्ली, भिषक्प्रिया
Oriya – गुंचा (Gulancha), गुलोची (Gulochi)
Kannada – अमृथावल्ली(Amrutavalli), अमृतवल्ली (Amritvalli), युगानीवल्ली (Yuganivalli), मधुपर्णी (Madhuparni)
Gujarati – गुलवेल (Gulvel), गालो (Galo)
Goa – अमृतबेल (Amrytbel)
Tamil – अमृदवल्ली (Amridavalli), शिन्दिलकोडि (Shindilkodi)
Telugu – तिप्पतीगे (Tippatige), अमृता (Amrita), गुडूची (Guduchi)
Nepali – गुर्जो (Gurjo)
Punjabi – गिलोगुलरिच (Gilogularich), गरहम (Garham), पालो (Palo)
Marathi – गुलवेल (Gulavel), अम्बरवेल(Ambarvel)
Malayalam – अमृतु (Amritu), पेयामृतम (Peyamrytam), चित्तामृतु (Chittamritu)
Arabic – गिलो (Gilo)
Persian – गुलबेल (Gulbel), गिलोय (Giloe)
गिलोय के फायदे (Giloy Benefits and Uses)
गिलोय का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और तरीका ये हैः-
आँखों के रोग में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy to Cure Eye Disease in Hindi)

10 मिली गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद व सेंधा नमक मिलाकर खूब अच्छी प्रकार से खरल में पीस लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे अँधेरा छाना, चुभन, और काला तथा सफेद मोतियाबिंद रोग ठीक होते हैं।

गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़ा में एक ग्राम पिप्पली चूर्ण व शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से आँखों की रौशनी बढ़ जाती है।

कान की बीमारी में फायदेमंद गिलोय का प्रयोग (Uses of Giloy in Eye Disorder in Hindi)

गिलोय के तने को पानी में घिसकर गुनगुना कर लें। इसे कान में 2-2 बूंद दिन में दो बार डालने से कान का मैल (कान की गंदगी) निकल जाता है।
हिचकी को रोकने के लिए करें गिलोय का इस्तेमाल (Giloy Benefits to stop Hiccup in Hindi)

गिलोय तथा सोंठ के चूर्ण को नसवार की तरह सूँघने से हिचकी बन्द होती है। गिलोय चूर्ण एवं सोंठ के चूर्ण की चटनी बना लें। इसमें दूध मिलाकर पिलाने से भी हिचकी आना बंद हो जाती है।

टीबी रोग में फायदेमंद गिलोय का सेवन (Giloy Uses in T.B. Disease Treatment in Hindi)

अश्वगंधा, गिलोय, शतावर, दशमूल, बलामूल, अडूसा, पोहकरमूल तथा अतीस को बराबर भाग लेकर इसका काढ़ा बनाएं। 20-30 मिली काढ़ा को सुबह और शाम सेवन करने से राजयक्ष्मा मतलब टीबी की बीमारी ठीक होती है। इस दौरान दूध का सेवन करना चाहिए।

गिलोय के सेवन से उलटी रुकती है (Benefits of Giloy to Stop Vomiting in Hindi)

एसिडिटी के कारण उलटी हो तो 10 मिली गिलोय रस में 4-6 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे सुबह और शाम पीने से उलटी बंद हो जाती है। गिलोय के 125-250 मिली चटनी में 15 से 30 ग्राम शहद मिला लें।

इसे दिन में तीन बार सेवन करने से उलटी की परेशानी ठीक हो जाती है। 20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार के कारण होने वाली उलटी बंद होती है।


गिलोय के सेवन से कब्ज का इलाज (Giloy is Beneficial in Fighting with Constipation in Hindi)
गिलोय के 10-20 मिली रस के साथ गुड़ का सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है


सोंठ, मोथा, अतीस तथा गिलोय को बराबर भाग में कर जल में खौला कर काढ़ा बनाएं। इस काढ़ा को 20-30 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से अपच एवं कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।

 

गिलोय के इस्तेमाल से बवासीर का उपचार (Giloy Uses in Piles Treatment in Hindi)
हरड़, गिलोय तथा धनिया को बराबर भाग (20 ग्राम) लेकर आधा लीटर पानी में पका लें। जब एक चौथाई रह जाय तो खौलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा में गुड़ डालकर सुबह और शाम पीने से बवासीर की बीमारी ठीक होती है।

 

पीलिया रोग में गिलोय से फायदा (Giloy Benefits in Fighting with Jaundice in Hindi)

गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में मिलाकर तथा छानकर सुबह के समय पीने से पीलिया ठीक होता है।

गिलोय के तने के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर पहनने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।


पुनर्नवा, नीम की छाल, पटोल के पत्ते, सोंठ, कटुकी, गिलोय, दारुहल्दी, हरड़ को 20 ग्राम लेकर 320 मिली पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा को 20 मिली सुबह और शाम पीने से पीलिया, हर प्रकार की सूजन, पेट के रोग, बगल में दर्द, सांस उखड़ना तथा खून की कमी में लाभ होता है।
गिलोय रस एक लीटर, गिलोय का पेस्ट 250 ग्राम, दूध चार लीटर और घी एक किलो लेकर धीमी आँच पर पका लें। जब घी केवल रह जाए तो इसे छानकर रख लें। इस घी की 10 ग्राम मात्रा को चौगुने गाय के दूध में मिलाकर सुबह और शाम पीने से खून की कमी, पीलिया एवं हाथीपाँव रोग में लाभ होता है।

 

लीवर विकार को ठीक करता है गिलोय (Giloy Helps in Liver Disorder in Hindi)

18 ग्राम ताजी गिलोय, 2 ग्राम अजमोद, 2 नग छोटी पीपल एवं 2 नग नीम को लेकर सेक लें। इन सबको मसलकर रात को 250 मिली जल के साथ मिट्टी के बरतन में रख दें। सुबह पीस, छानकर पिला दें। 15 से 30 दिन तक सेवन करने से लीवन व पेट की समस्याएं तथा अपच की परेशानी ठीक होती है।

डायबिटीज की बीमारी में करें गिलोय का उपयोग (Uses of Giloy in Control Diabetes in Hindi)

गिलोय, खस, पठानी लोध्र, अंजन, लाल चन्दन, नागरमोथा, आवँला, हरड़ लें। इसके साथ ही परवल की पत्ती, नीम की छाल तथा पद्मकाष्ठ लें। इन सभी द्रव्यों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर, छानकर रख लें। इस चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे डायबिटीज में लाभ होता है।


गिलोय के 10-20 मिली रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से भी डायबिटीज में फायदा होता है।

एक ग्राम गिलोय सत् में 3 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से डायबिटीज में लाभ मिलता है।

10 मिली गिलोय के रस को पीने से डायबिटीज, वात विकार के कारण होने वाली बुखार तथा टायफायड में लाभ होता है।

मूत्र रोग (रुक-रुक कर पेशाब होना) में गिलोय से लाभ (Giloy Cures Urinary Problems in Hindi)

गुडूची के 10-20 मिली रस में 2 ग्राम पाषाण भेद चूर्ण और 1 चम्मच शहद मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार सेवन करने से रुक-रुक कर पेशाब होने की बीमारी में लाभ होता है।

गठिया में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy in Arthritis Treatment in Hindi)

गिलोय के 5-10 मिली रस अथवा 3-6 ग्राम चूर्ण या 10-20 ग्राम पेस्ट या फिर 20-30 मिली काढ़ा को रोज कुछ समय तक सेवन करने से गठिया में अत्यन्त लाभ होता है।

सोंठ के साथ सेवन करने से जोड़ों का दर्द मिटता है।

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फाइलेरिया (हाथीपाँव) में फायदा लेने के लिए करें गिलोय का प्रयोग (Giloy Uses in Cure Filaria in Hindi)

10-20 मिली गिलोय के रस में 30 मिली सरसों का तेल मिला लें। इसे रोज सुबह और शाम खाली पेट पीने से हाथीपाँव या फाइलेरिया रोग में लाभ होता है।

गिलोय से कुष्ठ (कोढ़ की बीमारी) रोग का इलाज (Giloy Benefits in Leprosy Treatment in Hindi)

10-20 मिली गिलोय के रस को दिन में दो-तीन बार कुछ महीनों तक नियमित पिलाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

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बुखार उतारने के लिए गिलोय से लाभ (Giloy is Beneficial in Fighting with Fever in Hindi)

40 ग्राम गिलोय को अच्छी तरह मसलकर, मिट्टी के बरतन में रख लें। इसे 250 मिली पानी मिलाकर रात भर ढककर रख लें। इसे सुबह मसल-छानकर प्रयोग करें। इसे 20 मिली की मात्रा दिन में तीन बार पीने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है।

20 मिली गिलोय के रस में एक ग्राम पिप्पली तथा एक चम्मच मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से पुराना बुखार, कफ, तिल्ली बढ़ना, खांसी, अरुचि आदि रोग ठीक होते हैं।

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बेल, अरणी, गम्भारी, श्योनाक (सोनापाठा) तथा पाढ़ल की जड़ की छाल लें। इसके साथ ही गिलोय, आँवला, धनिया लें। इन सभी की बराबर-बराबर लेकर इनका काढ़ा बना लें। 20-30 मिली काढ़ा को दिन में दो बार सेवन करने से वातज विकार के कारण होने वाला बुखार ठीक होता है।

मुनक्का, गिलोय, गम्भारी, त्रायमाण तथा सारिवा से बने काढ़ा (20-30 मिली) में गुड़ मिला ले। इसे पीने अथवा बराबर-बराबर भाग में गुडूची तथा शतावरी के रस (10-20 मिली) में गुड़ मिलाकर पीने से वात विकार के कारण होने वाला बुखार उतर जाता है।

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20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिला ले। इसके अलावा छोटी कटेरी, सोंठ तथा गुडूची के काढ़ा (20-30 मिली) में पिप्पली चूर्ण मिलाकर पीने से वात और कफज विकार के कारण होने वाला बुखार, सांस के उखड़ने की परेशानी, सूखी खांसी तथा दर्द की परेशानी ठीक होती है।
सुबह के समय 20-40 मिली गुडूची के चटनी में मिश्री मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।

गुडूची, सारिवा, लोध्र, कमल तथा नीलकमल अथवा गुडूची, आँवला तथा पर्पट को समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा में चीनी मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।
बराबर मात्रा में गुडूची, नीम तथा आँवला से बने 25-50 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार की गभीर स्थिति में लाभ होता है।

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100 ग्राम गुडूची के चूर्ण को कपड़े से छान लें। इसमें 16-16 ग्राम गुड़, मधु तथा गाय का घी मिला लें। इसका लड्डू बनाकर पाचन क्षमता के अनुसार रोज खाएं। इससे पुराना बुखार, गठिया, आंखों की बीमारी आदि रोगों में फायदा होता है। इससे यादाश्त भी बढ़ती है।

गिलोय के रस तथा पेस्ट से घी को पकाएं। इसका सेवन करने से पुराना बुखार ठीक होता है।

बराबर मात्रा में गिलोय तथा बृहत् पञ्चमूल के 50 मिली काढ़ा में 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण तथा 5-10 ग्राम मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा गुडूची काढ़ा को ठंडा करके इसमें एक चौथाई मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा आप 25 मिली गुडूची रस में 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण तथा 5-6 ग्राम मधु मिला भी पी सकते हैं। इससे पुराना बुखार, सूखी खाँसी की परेशानी ठीक होती है और भूख बढ़ती है।

गुडूची काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बुखार की गंभीर स्थिति में लाभ होता है। बुखार के रोगी को आहार के रूप में गुडूची के पत्तों की सब्जी शाक बनाकर खानी चाहिए।

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पतंजलि की गिलोय घनवटी का सेवन करने से भी लाभ होता है।
एसिडिटी की परेशानी ठीक करता है गिलोय (Giloy Cure Acidity in Hindi)

गिलोय के 10-20 मिली रस के साथ गुड़ और मिश्री के साथ सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होता है।

गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा अथवा चटनी में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से एसिडिटी की समस्या ठीक होती है

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इसके अलावा 10-30 मिली काढ़ा में अडूसा छाल, गिलोय तथा छोटी कटोरी को बराबर भाग में लेकर आधा लीटर पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। ठंडा होने पर 10-30 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से सूजन, सूखी खांसी, श्वास तेज चलना, बुखार तथा एसीडिटी की समस्या ठीक होती है।
कफ की बीमारी में करें गिलोय का इस्तेमाल(Giloy is Beneficial in Cure Cough in Hindi)

गिलोय को मधु के साथ सेवन करने से कफ की परेशानी से आराम मिलता है।

स्वस्थ ह्रदय के लिए गिलोय का सेवन फायदेमंद (Giloy is Beneficial for Healthy Heart)
काली मिर्च को गुनगुने जल के साथ सेवन करने से सीने का दर्द ठीक होता है। ये प्रयोग कम से कम सात दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।
और पढ़े: सीने में दर्द के घरेलू उपचार

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कैंसर में फायदेमंद गिलोय का उपयोग (Giloy is Beneficial in Cancer in Hindi)

 रामदेव के पतंजलि आश्रम में अनेक ब्लड कैंसर के रोगियों पर गेहूँ के ज्वारे के साथ गिलोय का रस मिलाकर सेवन कराया गया। इससे बहुत लाभ हुआ। आज भी इसका प्रयोग किया जा रहा है और इससे रोगियों को अत्यन्त लाभ होता है।

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लगभग 2 फुट लम्बी तथा एक अगुंली जितनी मोटी गिलोय, 10 ग्राम गेहूँ की हरी पत्तियां लें। इसमें थोड़ा-सा पानी मिलाकर पीस लें। इसे कपड़े से निचोड़ कर 1 कप की मात्रा में खाली पेट प्रयोग करें। पतंजलि आश्रम के औषधि के साथ इस रस का सेवन करने से कैंसर जैसे भयानक रोगों को ठीक करने में मदद मिलती है।

गिलोय के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Giloy?)
काढ़ा – 20-30 मिली
रस – 20 मिली
अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार इस्तेमाल करें।
गिलोय के सेवन का तरीका (How to Use Giloy?)
काढ़ा
रस

गिलोय से नुकसान (Side Effects of Giloy)
गिलोय से ये नुकसान हो सकते हैंः-

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गिलोय डायबिटीज (मधुमेह) कम करता है। इसलिए जिन्हें कम डायबिटीज की शिकायत हो, वे गिलोय का सेवन न करें।
इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
गिलोय कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Giloy Found or Grown?)

यह भारत में सभी स्थानों पर पायी जाती है। कुमाऊँ से आसाम तक, बिहार तथा कोंकण से कर्नाटक तक गिलोय मिलती है। यह समुद्र तल से लगभग 1,000 मीटर की ऊँचाई तक पाई जाती है।

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शंकर लाल चौधरी

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जयपुर, राजस्थान, भारत

मर्दाना ताकत की सबसे बेहतरीन आयुर्वेदिक दवाइयां कौन-कौन सी हैं?

1. बराबर मात्रा में सफेद प्याज का रस, शहद, अदरक का रस और घी का मिश्रण तैयार कर लें. इसे 21 दिनों तक लगातार खाने से गजब की पौरुष शक्ति मिलती है.

2. रात को सोने से पहले लहसुन की दो कलियां खा लें. फिर थोड़ा-सा पानी पिएं. फिर देखिए बेड पर कैसी ताकत मिलती है.

3. आंवले के चूर्ण में मिश्री पीसकर मिला लें. सोने से पहले एक चम्मच इस पाउडर का सेवन करें. इसके बाद थोड़ा-सा पानी पिएं. जैसी ताकत चाहते हैं वैसी ही मिलेगी. (स्वाद और सेहत से भरपूर है यह आंवले का जूस….)

4. केला पुरुष की शक्ति को बढ़ाने वाला फल है. अगर रोजाना एक गिलास दूध के साथ एक केला खाएंगे तो खुद को कभी कमजोर नहीं पाएंगे.

5. छुई-मुई के बीजों का 4-5 ग्राम पाउडर एक गिलास दूध में मिलाकर सोने से पहले पियें. खुद को किसी हीरो से कम नहीं आंकेंगे.

6. दो चम्मच मेथी दाने के जूस में आधा चम्मच शहद मिलाकर रोजाना रात को खाने से शरीर की पोटेंसी बढ़ती है.

7 पोटेंसी बढ़ाने के लिए कच्ची भिंडी चबाकर खाइए. फिर देखिए रात में इसका क्या असर होता है.

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मर्दाना ताकत की सबसे बेहतरीन आयुर्वेदिक दवाइयां कौन-कौन सी हैं?

मर्दाना ताकत की सबसे बेहतरीन आयुर्वेदिक दवाई बनाना चाहते हैं तो आप इस तरीके से बना सकते हैं :

आयुर्वेदिक सामग्री :-

स्वर्ण भस्म – 01 ग्राम
हीरा भस्म – 0.5 ग्राम
माणिक्य पिष्टी – 01 ग्राम
पन्ना पिष्टी – 01 ग्राम
कज्जली – 1.5 ग्राम
चाँदी भस्म – 1 ग्राम
अभ्रक भस्म – 0.5 ग्राम
तालमखाना – 02 ग्राम
सालम मिश्री – 10 ग्राम
लौंग – 05 ग्राम
केसर – 02 ग्राम
सौंठ – 10 ग्राम
जायफल – 05 ग्राम
जावित्री – 05 ग्राम
विजया बीज -05 ग्राम
कौंच बीज -10 ग्राम
दालचीनी – 05 ग्राम
तेजपत्र – 02 ग्राम
छोटी इलायची – 04 ग्राम
अकरकरा – 02 ग्राम
सफ़ेद जीरा -02 ग्राम
खुरासानी – 02 ग्राम
अजवायन – 02 ग्राम
पीपर – 01 ग्राम
रूमी मस्तंगी – 01 ग्राम
मालकांगनी – 01 ग्राम
शुद्ध धत्तूर बीज – 01 ग्राम
शुद्ध वत्सनाभ – 01 ग्राम
सफ़ेद मूसली – 05 ग्राम
शुद्ध शिलाजीत लिक्विड – 20 ग्राम
लाल बहमन – 01 ग्राम
पान के पत्तों का रस – 40 ग्राम

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बनाने की विधि :-

सबसे पहले इन सभी सामग्रियों (शिलाजीत को छोड़कर बाकी सभी) को पत्थर के खरल में अलग अलग कूटकर और खरल करके महीन कर ले.
अब एक मिटटी का बर्तन लें और पान के पत्तों का रस डाल कर इन सभी सामग्रियों (शिलाजीत को छोड़कर बाकी सभी) को डाल दे.

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अब सबसे आखिर में इन सबके ऊपर लिक्विड शिलाजीत डाल दें और अच्छे से मिला कर इस घोल को 12 घंटे के लिए रख दे.

अब 12 घंटे के बाद इनकी छोटी -छोटी गोलियां बना लें और मर्दाना ताकत की सबसे बेहतरीन दवा तैयार है.

सेवन की विधि :- सुबह के समय नाश्ता करने के एक घंटे बाद गुनगुने दूध के साथ दो गोली और रात्रि में भोजन करने के एक घंटे बाद गुनगुने दूध के साथ दो गोली लेना है.

दवा के बारे में ख़ास बात :- मर्दाना ताकत बढ़ाने के लिए यह दुनिया का सबसे बेहतरीन नुस्खा है और इस नुस्खे से बेहतर कोई और नुस्खा अभी तक बना ही नहीं है.

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परहेज और सावधानियां :- यह दवा लेते समय शराब और मांसाहार भोजन वर्जित है.

लागत :- इस नुस्खे को तैयार करने में ₹12500 का खर्च आता है.

यह दवा कौन ले सकता है :- यह दवा 15 वर्ष के बुजुर्ग से लेकर 75 वर्ष तक का नौजवान ले सकता है.