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भारत से करीबी संबंधों के चलते भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य को इस बार चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है : रिपोर्ट

भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य को इस बार चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत से कथित करीबी संबंधों के चलते ऐसा हुआ. हालांकि, आर्य ने इसके पीछे अलग वजह बताई है.

कनाडा में 28 अप्रैल को आम चुनाव होने हैं. उससे पहले, भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य चर्चा में हैं. कनाडा के ‘ग्लोब एंड मेल’ मीडिया समूह ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत से कथित करीबी संबंधों के चलते उन्हें इस बार चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है. आर्य कनाडा की लिबरल पार्टी के सदस्य हैं और तीन बार सांसद रह चुके हैं. वे नेपियन संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ते रहे हैं.

इस साल जनवरी में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक, उस दौरान आर्य लिबरल पार्टी के नेतृत्व की दौड़ में शामिल होना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया था. रिपोर्ट में सूत्र के हवाले से बताया गया है कि भारत से जुड़े कथित विदेशी हस्तक्षेप की चिंताओं के कारण आर्य की उम्मीदवारी रद्द की गयी.

‘खालिस्तानी उग्रवाद का विरोध करने से हुआ विवाद’
चंद्र आर्य पिछले साल अगस्त में भारत आए थे और यहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. रिपोर्ट में सूत्र के हवाले से बताया है कि आर्य ने इस यात्रा के बारे में (कनाडा) सरकार को सूचना नहीं दी थी, जबकि उस समय दोनों देशों के संबंध ठीक स्थिति में नहीं थे. आर्य ने अपने एक्स अकाउंट पर इस मामले को लेकर अपना पक्ष रखा है.

उन्होंने लिखा, “एक सांसद के तौर पर मैंने कनाडा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक राजनयिकों और राष्ट्रप्रमुखों से बातचीत की है. मैंने एक भी बार इसके लिए सरकार से अनुमति नहीं मांगी और ना मुझे ऐसा करने की जरूरत पड़ी. पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कभी भी मेरी मुलाकातों और सार्वजनिक बयानों के बारे में चिंता नहीं जताई.”

उन्होंने आगे लिखा, “लिबरल पार्टी के साथ विवाद का एकमात्र बिंदु, कनाडाई हिंदुओं के लिए जरूरी मुद्दों पर मेरी मुखर वकालत और खालिस्तानी उग्रवाद के खिलाफ मेरा दृढ़ रुख रहा है.” वहीं, लिबरल पार्टी ने आर्य की उम्मीदवारी खत्म करने की कोई वजह नहीं बताई है.

कनाडा की खुफिया एजेंसी ने भारत पर लगाए आरोप
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, 24 मार्च को कनाडा की खुफिया सेवा ने कहा कि चीन और भारत कनाडा के आम चुनावों में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर सकते हैं, वहीं रूस और पाकिस्तान के पास भी ऐसा करने की क्षमता है. रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा की उपनिदेशक वेनेसा लॉयड ने कहा, “हम यह देख चुके हैं कि भारत सरकार के पास कनाडा के समुदायों और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप करने की मंशा और क्षमता है.”

उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, भारत सरकार ने अभी तक इन आरोपों का जवाब नहीं दिया है. हालांकि, इसी साल जनवरी में कनाडा सरकार ने एक रिपोर्ट जारी कर दावा किया था कि चीन और भारत ने कनाडा के चुनावों में दखल देने की कोशिश की थी. भारत सरकार ने तब इन दावों को नकार दिया था और कनाडा पर भारत के आंतरिक मामलों में लगातार दखल देने का आरोप लगाया था.

क्या चुनाव बाद सुधरेंगे दोनों देशों के संबंध?
भारत और कनाडा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला नया नहीं है. सितंबर 2023 में कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडाई नागरिक और सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को भारत सरकार के एजेंटों से जोड़ा था. भारत सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था. हालांकि इस विवाद के कारण दोनों देशों के संबंध काफी खराब हो गए और तीखी बयानबाजी का एक दौर शुरू हो गया जो अब तक जारी है.

हालांकि, ट्रूडो के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद यह कयास लगाए जाने लगे थे कि भारत-कनाडा के संबंधों में सुधार हो सकता है. कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रह चुके अजय बिसारिया ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा था कि भारत-कनाडा संबंधों में आई बहुत सारी समस्याओं के लिए व्यक्तिगत रूप से ट्रूडो जिम्मेदार थे और कनाडा में राष्ट्रीय चुनाव होने के बाद संबंधों को सुधारने का मौका मिलेगा.

आदर्श शर्मा