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भारत की नदियों में कुल 6,327 डॉल्फिन हैं!

साल 2021 और 2023 के बीच भारत के आठ राज्यों की 28 नदियों के 8,500 किलोमीटर से ज्यादा के इलाके में किए गए सर्वे में गंगा डॉल्फिन की सही संख्या का पता चला है.

भारत के पहले डॉल्फिन जनसंख्या सर्वे से पता चला है कि देश की नदियों में कुल 6,327 डॉल्फिन हैं. गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी घाटियों में 6,324 और पंजाब में ब्यास नदी बेसिन में तीन डॉल्फिन हैं. 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस पर गुजरात में आयोजित राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह रिपोर्ट जारी की.

इस सर्वे के लिए कुल आठ राज्यों की 28 नदियों के 8,500 किलोमीटर से ज्यादा के क्षेत्र का अध्ययन किया गया, जिसे पूरा करने में 3,150 दिन का समय लगा.

सबसे ज्यादा गंगा डॉल्फिन यूपी में
रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश (2,397) में डॉल्फिन की संख्या सबसे ज्यादा है, उसके बाद बिहार (2,220), पश्चिम बंगाल (815) और असम (635) का नंबर है. देश की नदियों में पायी जाने वाली डॉल्फिन की आबादी का 40 फीसदी उत्तर प्रदेश में है. गंगा में डॉल्फिन की अनुमानित संख्या 5,689 जबकि ब्रह्मपुत्र में 635 डॉल्फिन होने का अनुमान है.

यह सर्वे भारतीय वन्यजीव संस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, असम, झारखंड, राजस्थान के वन विभागों और वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड, टर्टल सर्वाइवल एलायंस और भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट जैसी एनजीओ की मदद से किया गया है.

सर्वे के लिए गंगा में कुल 7,109 किलोमीटर के इलाके का सर्वेक्षण किया गया, जिसमें चंबल, यमुना, राप्ती, शारदा, घाघरा जैसी सहायक नदियां भी शामिल हैं. उत्तर प्रदेश के जिस इलाके में सबसे ज्यादा डॉल्फिन का जमावड़ा देखा गया, वह भिंड-पचनदा के पास चंबल नदी का 47 किलोमीटर का इलाका था. नरौरा से कानपुर के बीच 366 किलोमीटर के इलाके में डॉल्फिन की आबादी सबसे कम है.

घटती ही गई है गंगा डॉल्फिन की तादाद
बिहार में घाघरा, गंडक, कोसी और सोन जैसी सहायक नदियों की वजह से पानी की गहराई की वजह से अधिकांश हिस्सों में डॉल्फिन की आबादी बढ़ रही है. भारत में गंगा डॉल्फिन और सिंधु डॉल्फिन के रूप में इनकी दो प्रजातियां पायी जाती हैं.

रिपोर्ट से पता चला है कि गंगा नदी में डॉल्फिन की संख्या घट रही है. बीसवीं सदी के अंत में इसकी संख्या चार से पांच हजार के बीच थी. गंगा नदी में मौजूद डॉल्फिन के संरक्षण के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र (एनडीआरसी) की स्थापना की थी.

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Narendra Modi
@narendramodi
There have been significant deliberations and outcomes during the meeting of the National Board for Wildlife held in Gir today, which is also #WorldWildlifeDay!

This includes:

Laying the foundation stone of a National Referral Centre for Wildlife at Junagadh.

Announcement of the 16th Asiatic Lion Population Estimation to be conducted in 2025.

Establishment of Centre of Excellence to deal with Human-animal conflict at SACON, Coimbatore.

Allocation of over Rs. 2900 crore for all aspects of lion conservation over the next decade.

 

गंगा नदी डॉल्फिन को ‘टाइगर ऑफ द गंगा’ भी कहा जाता है. ये मुख्य रूप से भारत, नेपाल और बांग्लादेश की नदियों में पायी जाती है. गंगा डॉल्फिन केवल मीठे पानी में ही रह सकती है और इन्हें दिखाई नहीं देता है. अल्ट्रासोनिक ध्वनि की मदद से ये अपना रास्ता खोजती हैं और उसी की मदद से शिकार करती हैं.

डॉल्फिन एक स्तनपायी जीव है इसलिए ये ज्यादा समय तक पानी में सांस नहीं ले पाती हैं, सांस लेने के लिए थोड़ी-थोड़ी देर में सतह पर आना उनके लिए जरूरी होता है. नदी पारिस्थितिकी तंत्र में इनका बहुत महत्व है क्योंकि ये इनके स्वस्थ होने का संकेत देती हैं. इस ओर ध्यान खींचने के लिए भारत सरकार ने 2009 में इसे राष्ट्रीय जलीय जीव भी घोषित किया.

क्या है खतरा
भारत में पिछले कुछ सालों में अलग-अलग वजहों से गंगा डॉल्फिन की आबादी में गिरावट आयी है. मछली पकड़ने के दौरान जाल में फंसकर अनजाने में मौत होना, डॉल्फिन के तेल के लिए अवैध शिकार, बांध, तटबंधों के निर्माण जैसी विकास परियोजनाएं और प्रदूषण की वजह से गंगा डॉल्फिन को सबसे ज्यादा खतरा है.

गंगा डॉल्फिन को संरक्षित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से कई कदम उठाए जा रहे हैं. हर साल 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय गंगा नदी डॉल्फिन दिवस आयोजित किया जाता है. 15 अगस्त 2020 को लॉन्च किए गए प्रोजेक्ट डॉल्फिन के जरिए भारत सरकार इनकी आबादी बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. गंगा नदी डॉल्फिन के संरक्षण के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने असम में पहली बार दिसंबर 2024 से इनकी टैगिंग का अभियान शुरु किया है.

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आयुष यादव