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बुलडोज़र की कहानी, जो पहले लोगों के घर तोड़ रहा था, लेकिन बाद में….

Shambhu Patwa Dighwara wala
@djshmbhu30
दानव नाम का बुलडोजर:

एक कहानीएक छोटा सा गाँव था, जो बहुत शांत और खुशहाल था। वहाँ के लोग आपस में मिलजुल कर रहते थे और एक-दूसरे की मदद करते थे। लेकिन एक दिन सरकार ने फैसला किया कि इस गाँव को हटाकर वहाँ एक बड़ा कारखाना बनाया जाएगा। इसके लिए उन्होंने एक विशाल बुलडोजर को भेजा, जिसका नाम था “दानव”।

दानव की शक्ति और भयदानव कोई साधारण बुलडोजर नहीं था। उसके बड़े-बड़े पहिए और तेज धार वाले ब्लेड देखकर लोग डर से काँप उठते थे।

जब वह गाँव में दाखिल हुआ, तो उसकी गड़गड़ाहट से पूरा गाँव थर्रा गया। उसने बिना रुके एक-एक करके लोगों के घर तोड़ना शुरू कर दिया। मिट्टी के घर हों या पक्की इमारतें, दानव के सामने कुछ भी नहीं टिकता था।

लोग रोते-बिलखते अपने घरों को बचाने की कोशिश करते, लेकिन दानव की ताकत के आगे उनकी एक न चली।बूढ़े आदमी का साहसगाँव में एक बूढ़ा आदमी रहता था, जिसने हिम्मत करके दानव को रोकने की ठानी। वह दानव के सामने खड़ा हो गया और बोला, “दानव, क्या तुम्हें नहीं पता कि तुम क्या कर रहे हो? तुम लोगों के घर तोड़ रहे हो, उनके सपनों को चकनाचूर कर रहे हो।”

दानव ने ठंडी आवाज में जवाब दिया, “मैं सिर्फ अपना काम कर रहा हूँ। मुझे जो आदेश मिला है, वही कर रहा हूँ।” बूढ़े ने फिर कहा, “लेकिन क्या यह गलत नहीं है? लोगों को बेघर करना, उनका सब कुछ छीन लेना?” दानव चुप रहा, शायद वह सोच में पड़ गया था।

बच्चे की मासूम अपीलतभी गाँव का एक छोटा बच्चा दानव के पास आया। उसने मासूमियत से कहा, “दानव, तुम इतने बड़े और शक्तिशाली हो। तुम चाहो तो इस गाँव को बचा सकते हो।” बच्चे की बात सुनकर दानव ने चारों ओर नजर डाली। उसने देखा कि लोग अपने टूटे हुए घरों के सामने बैठकर रो रहे हैं। उनके आँसुओं को देखकर दानव का मन पिघल गया।दानव का फैसला दानव ने सोचा और फिर अपने ब्लेड को नीचे कर दिया।

उसने गाँव वालों से कहा, “मैं अब और घर नहीं तोडूंगा। मैं तुम्हारे साथ हूँ।” यह सुनकर लोग हैरान रह गए। उनकी आँखों में खुशी के आँसू छलक आए और उन्होंने दानव को धन्यवाद दिया।

दानव, जो पहले डर का प्रतीक था, अब उनके लिए उम्मीद बन गया था।सरकार का विरोधजब सरकार के लोग यह देखने आए कि दानव ने काम क्यों रोक दिया, तो दानव ने दृढ़ता से कहा, “मैंने फैसला किया है कि मैं लोगों के घर नहीं तोडूंगा। यह गलत है।” अधिकारियों ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन दानव अपने फैसले पर अड़ा रहा।

आखिरकार, सरकार को झुकना पड़ा। उन्होंने गाँव को नहीं हटाया और कारखाना कहीं और बनाने का फैसला किया।दानव: गाँव का हीरो गाँव के लोग बहुत खुश हुए। उन्होंने दानव को अपना हीरो मान लिया। दानव ने साबित कर दिया कि ताकत का इस्तेमाल सिर्फ तोड़ने के लिए नहीं, बल्कि बचाने के लिए भी किया जा सकता है। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सही और गलत का फैसला करने की ताकत हर किसी में होती है, चाहे वह इंसान हो या मशीन।यह थी दानव नाम के बुलडोजर की कहानी, जो पहले लोगों के घर तोड़ रहा था, लेकिन बाद में उनके लिए ढाल बन गया।

काश ऐसा हो जाए काश 😭😭🙏

👉घर पर बुलडोजर चलने से पहले अपनी किताबें बचाती इस बच्ची की तस्वीर हमेशा के लिए दिमाग पर छप सी गई है…।

Angad yadav
@AngadYadav61
राणा सांगा जी पर समाजवादी पार्टी के बयान के बाद राजपूत समाज के लोग उनकी जीभ काटने पर इनाम रख रहे हैं ।

जब 350 साल पहले का इतिहास खोलेंगे तो यही होगा ।

अब अखिलेश यादव जी ने पलटवार करते हुए कहा है कि आप जिस किताब का पन्ना पलटे हैं उसी किताब का एक पन्ना हमारे सांसद जी भी पलट दिए हैं ।

आगे भी आप यदि पलटते हैं तो दिक्कत आप को ही होगी ।

उन्होंने शिवाजी के राज्याभिषेक को लेकर भी हुए विवाद की भी बात कही ।

ऐसा कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के समय स्थानीय पंडितों ने उनका राज्याभिषेक करने से मना कर दिया था ।
उनके अनुसार कोई क्षत्रिय ही राजा बन सकता था ।

इसलिए काशी के प्रसिद्ध पंडित गागाभट्ट ने शिवाजी का राज्याभिषेक कराया ।

हालांकि इस पर भी विवाद है कि गागाभट्ट जी ने अपने बाएं पैर के अंगूठे से तिलक लगाया था

डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं!