Mohd Ali Azad Ansari
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नाभी – कुदरत की कमाल की देन:-
दोस्तों, हमारा बदन रब की बनाई हुई एक अनमोल रचना है। इंसान की शुरुआत मां के गर्भ में नाभी के ज़रिए ही होती है। मां से बच्चा जो भी खाता-पीता है, वो सब नाभी से ही बच्चे तक पहुंचता है। इसलिए नाभी का रिश्ता हमारी सेहत से बहुत गहरा होता है। यही वजह है कि मौत के तीन घंटे बाद क भी नाभी गर्म रहती है।
जब बच्चा मां के पेट में होता है, तो नाभी से पूरे शरीर की नसें जुड़ी होती हैं। नाभी के पीछे एक खास जगह होती है जिसे पेचूटी या navel button कहते हैं। कहते हैं कि इससे करीब 72,000 से ज्यादा खून की नसें जुड़ी होती हैं।
अब सोचिए, अगर आप नाभी में थोड़ा-सा तेल या घी लगाते हैं, तो उसका असर पूरे बदन पर क्यों नहीं होगा?
जानिए कुछ आसान घरेलू नुस्खे जो नाभी में तेल डालकर किए जाते हैं:
1. आंखों की dryness, कमजोर नजर, स्किन और बालों की चमक के लिए:
रात को सोने से पहले 3 से 7 बूंद नारियल का तेल या देसी घी नाभी में डालिए और हल्के हाथ से नाभी के आसपास 1.5 इंच तक फैला दीजिए।
2. घुटनों के दर्द के लिए:
सोने से पहले 3 से 7 बूंद अरंडी का तेल (कैस्टर ऑयल) नाभी में डालिए और धीरे-धीरे फैलाइए।
3. जोड़ों में दर्द, बदन में कंपकंपी या ड्राई स्किन के लिए:
रात को 3 से 7 बूंद सरसों या राई का तेल नाभी में डालिए और गोल-गोल मालिश कर लीजिए।
4. मुंह या गाल पर पिंपल्स के लिए:
नीम का तेल 3 से 7 बूंद नाभी में डालिए और हल्के से फैला दीजिए।
अब सवाल ये आता है कि नाभी में तेल डालने से फायदा क्यों होता है?
कहते हैं कि हमारी नाभी को पता होता है कि शरीर में कौन-सी नस सूख रही है या कमजोर हो रही है। जब हम नाभी में तेल डालते हैं, तो वो उस नस तक तेल को पहुंचाने में मदद करती है और खून का बहाव बेहतर होता है।
जैसे छोटे बच्चों को पेट दर्द हो, तो हम हिंग का लेप या तेल नाभी के आसपास लगाते हैं – और कुछ ही देर में आराम मिल जाता है। बस ऐसे ही बड़ों के लिए भी ये उपाय बड़े काम के हैं।
ناف — قدرت کا ایک حیرت انگیز تحفہ
دوستو! ہمارا جسم ربّ کی بنائی ہوئی ایک لاجواب تخلیق ہے۔ انسان کی پیدائش ماں کے پیٹ میں ناف کے ذریعے ہی ہوتی ہے۔ بچے کو جو بھی غذا ملتی ہے، وہ ماں سے ناف کے ذریعے ہی ملتی ہے، اسی لیے وفات کے بعد بھی تقریباً تین گھنٹے تک ناف گرم رہتی ہے۔
ماں کے رحم میں موجود بچے کی تمام نسیں ناف سے جُڑی ہوتی ہیں۔
तृप्त …🖤
@yaduvanshi32
Parody account
एक लड़की की शारीरिक खुशबू तुम्हें अच्छी लगती है। यह है प्रेम।
लेकिन एक और लड़की है, जिसे तुम महसूस करते हो। उसे अच्छा लगने के लिए न उसकी मौजूदगी चाहिए, न उसकी शारीरिक खुशबू। यह है प्यार।
किसी लड़की के साथ रूम डेट करने में तुम्हें आनंद मिलता है। लेकिन एक और लड़की है,
जिसके बारे में सोचने मात्र से ही तुम्हें आनंद मिलता है। पहली तुम्हारी प्रेमिका है। दूसरी तुम्हारा प्यार है।
तुम्हारे दोस्तों के बीच एक लड़की है, जिसके पास गले लगकर बैठने के लिए तुम बेचैन रहते हो। यह लड़की तुम्हारी वासना का विषय है।
वहीं,
तुम्हारे दिमाग के किसी कोने में एक ऐसी लड़की है, जिसके पास गले लगकर बैठने की बेचैनी तुम्हें नहीं होती। लेकिन उसकी अनुपस्थिति तुम्हें बेचैन करती है। उससे बात करने के लिए तुम बेचैन रहते हो। यह लड़की तुम्हारा प्यार है।
एक लड़की की न्यूड तस्वीर देखने के लिए तुम हमेशा
उत्सुक रहते हो। लेकिन एक और लड़की है, जिसकी न्यूड तस्वीर तुम्हारे दिमाग में भी नहीं आती। चाहकर भी तुम उसे सोच नहीं पाते। पहली तुम्हारी प्रेमिका है। दूसरी तुम्हारा प्यार है।
किसी लड़की के साथ घंटों फोन पर मस्ती करने के बाद भी तुम उसे गंभीरता से नहीं सोचते। सब
कुछ उस फोन की मस्ती तक ही सीमित रहता है। लेकिन तुम्हारे जीवन में एक ऐसा इंसान है, जिससे फोन पर बात न करने के बावजूद तुम हर वक्त उसके बारे में सोचते हो। लड़के… पहली तुम्हारी टाइमपास प्रेमिका है। दूसरी तुम्हारा प्यार है।
अगर कोई लड़की तुम्हारे साथ अहंकार दिखाती है
तो तुम भी उसके साथ वैसा ही अहंकार दिखाते हो। लेकिन तुम्हारे जीवन में एक ऐसा इंसान है, जिसके सौ बार अपमान करने पर भी तुम उससे अहंकार नहीं दिखा पाते। पहली तुम्हारी प्रेमिका है। दूसरी तुम्हारा प्यार है।
मेडिकल साइंस ने प्रेम और प्यार की परिभाषा में अंतर को इस तरह बताया है:
अगर शारीरिक सुख खत्म होने के बाद भी तुम्हें किसी इंसान के साथ जीवनभर रहने की इच्छा हो, तो यह प्यार है। और अगर ऐसी इच्छा न हो, तो वह सिर्फ प्रेम था।”
सबसे मजेदार बात यह है कि दुनिया के ज्यादातर लोग प्रेम को ही प्यार समझ लेते हैं। प्रेम करते-करते वे एक दिन प्यार को ही भूल
जाते हैं। उन्हें समझ तब आता है, जब अचानक उनके प्यार के इंसान से मुलाकात हो जाती है।
इसलिए तुम देखते हो कि दो-तीन प्रेम करके समय बिताने वाली लड़की भी एकांत में किसी के लिए रो-रोकर बेचैन हो जाती है।
पूरे दिन ऑनलाइन लड़कियों से फ्लर्ट करने वाला लड़का भी
एक दिन थककर इनबॉक्स की गंदी बातों को छोड़ देता है। वह उस लड़की के बारे में सोचने लगता है, जो उसके दिमाग में घूमती रहती है।
सच यह है कि शारीरिक आकर्षण कई लोगों के प्रति हो सकता है, लेकिन मन का लगाव सिर्फ एक इंसान के प्रति होता है। वही एक इंसान तुम्हारा प्यार है,
और बाकी सब तुम्हारी प्रेमिकाएँ हैं। लेकिन कई लोगों के साथ प्रेम करते-करते लड़का अनजाने में प्यार को दफना देता है, और उसे खुद भी नहीं पता। जब पता चलता है, तब कुछ करने को बचता नहीं। क्योंकि तब तक वह एक भावनाहीन, रक्त-मांस का रोबोट बन चुका होता है।
विधाता ऐसे लोगों के माथे से चार अक्षरों का “प्यार” शब्द मिटा देता है। उसकी जगह दो अक्षरों का “प्रेम” लिख देता है। इसलिए जिसका प्रेम होता है, उसका सिर्फ प्रेम ही होता है। एक के बाद एक, बस चलता रहता है।
प्रेम नशे की तरह है।
प्यार अमृत की तरह है।
लड़के… प्यार में जीना सीखो, प्रेम में नहीं!
तृप्त …🖤
@yaduvanshi32
Parody account
सोशल मीडिया और मानसिक स्वास्थ्य – एक गंभीर चिंता
आज एक दुखद खबर ने दिल को झकझोर दिया। मिशा अग्रवाल, एक 24 साल की इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर, ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। वजह? उनके फॉलोअर्स की संख्या 10 लाख से घटकर 3.5 लाख के करीब रह गई। उनकी बहन मुक्ता ने बताया कि मिशा इस बात से डिप्रेशन में चली गई थीं, क्योंकि सोशल मीडिया उनके लिए सब कुछ बन गया था। यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि आज के युवाओं की मानसिक स्थिति का एक कड़वा सच है।
आजकल के युवा सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स, लाइक्स और कमेंट्स को अपनी पहचान और आत्मसम्मान का आधार मानने लगे हैं। अगर फॉलोअर्स कम हो जाएं, लाइक्स न मिलें, तो वे खुद को हारा हुआ और बेकार समझने लगते हैं। लेकिन सवाल यह है – क्या हमारी जिंदगी की कीमत अब सिर्फ डिजिटल नंबरों तक सिमट गई है? मिशा की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि अगर हमने इस मानसिकता को नहीं बदला, तो भविष्य में इसका परिणाम क्या होगा?
सोचिए, अगर आज की पीढ़ी इस तरह की छोटी-छोटी बातों पर टूटने लगी, तो आने वाली पीढ़ी का क्या होगा? अगर हर असफलता, हर कमी को हम अपनी जिंदगी का अंत समझने लगे, तो हम कभी भी मजबूत नहीं बन पाएंगे। भविष्य में यह मानसिक कमजोरी और गहरे डिप्रेशन का कारण बन सकती है। हमारी अगली पीढ़ी शायद असल जिंदगी के रिश्तों, खुशियों और आत्मविश्वास से दूर हो जाएगी, क्योंकि वे सिर्फ वर्चुअल दुनिया में अपनी वैल्यू तलाश करेंगे।
हमें यह समझना होगा कि सोशल मीडिया एक टूल है, हमारी पूरी जिंदगी नहीं। फॉलोअर्स की संख्या आपकी कीमत नहीं तय करती। आपकी असली ताकत आपके अंदर है – आपके सपनों में, आपके रिश्तों में, और आपकी मेहनत में। मिशा जैसी घटनाएं हमें चेतावनी दे रही हैं कि हमें अपने युवाओं को सिखाना होगा कि असफलताएं जिंदगी का हिस्सा हैं, और वे हमें तोड़ने नहीं, बल्कि मजबूत बनाने के लिए होती हैं।