धर्म

पैग़म्बर इस्लाम) ने फ़रमाया : “जो भी ज़िम्मेदार व सरपरस्त अपने अधीनस्थ पर रहम नहीं करता, अल्लाह उस पर जन्नत को हराम कर देता है”

इस्लाम धर्म की दृष्टि में अधीनस्थ लोगों के साथ व्यवहार सम्मानपूर्ण और उदार होना चाहिए। अर्थात्, अधीनस्थ को भी सम्मान और मूल्य देना आवश्यक है।

अधीनस्थ वे लोग होते हैं जो किसी अन्य व्यक्ति की निगरानी और सरपरस्ती में होते हैं और वह व्यक्ति उनके ऊपर अधिकार रखता है। अधीनस्थों में वे सहकर्मी शामिल हैं जो किसी ज़िम्मेदार अधिकारी के अधीन काम करते हैं, सेवक, छोटे बच्चे, आज्ञापालक व्यक्ति और कुछ मामलों में पत्नी भी इसी श्रेणी में आती है।

इस लेख में पार्स टुडे द्वारा यह समीक्षा की गई है कि पैग़म्बर इस्लाम (स.अ.) और उनके पवित्र परिजनों ने अपने अधीनस्थों के साथ कैसा व्यवहार किया और उन्होंने इस संबंध में क्या शिक्षाएँ दीं हैं।

पैग़म्बर इस्लाम (स.अ.) ने फ़रमाया:

अधीनस्थ पर दया न करने के परिणाम

पैग़म्बर इस्लाम (स.अ.) ने फ़रमाया:

“जो भी ज़िम्मेदार व सरपरस्त अपने अधीनस्थ पर रहम नहीं करता, अल्लाह उस पर जन्नत को हराम कर देता है।”

अधीनस्थों के साथ व्यवहार

पैग़म्बर इस्लाम (हज़रत मुहम्मद स.अ.) का फरमान:

“तुम्हारे भाइयों को अल्लाह ने तुम्हारे अधीन कर दिया है। जब कोई व्यक्ति अपने किसी भाई का ज़िम्मेदार बने तो उसे वही खिलाए जो खुद खाता है, उसे वही पहनाए जो खुद पहनता है, उसे ऐसा काम न सौंपे जो उसकी क्षमता से बाहर हो,और अगर कोई कठिन कार्य सौंपे, तो उसमें उसकी मदद करे।”

ज़ालिम की पहचान

पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकारी हज़रत अली फ़रमाते हैं”

“ज़ालिम की तीन निशानियाँ हैं: 1- जो उससे उपर हैं उनकी नाफ़रमानी और विरोध करके उन पर ज़ुल्म करता है। 2- अपने अधीनस्थों पर ज़बरदस्ती और ताक़त के ज़रिए ज़ुल्म करता है। 3- ज़ालिमों के साथ सहयोग करता है।”

अधीनस्थों की उपेक्षा न करना

इमाम रज़ा फ़रताते हैं

यासिर नामक इमाम का सेवक कहता है “जब भी इमाम रज़ा (अ.स.) को अवसर मिलता, वे अपने सभी सेवकों, छोटे हों या बड़े को अपने पास बुलाते, उनसे बातें करते, उनके साथ घुल-मिल जाते और उन्हें भी अपनापन महसूस कराते थे। जब भी वे खाने के लिए बैठते, तो किसी को भी न छोटे को और न ही बड़े को नज़रअंदाज़ नहीं करते थे।”

“जो व्यक्ति मुसलमानों के मामलों में से किसी चीज़ का ज़िम्मेदार बने और फिर लोगों की ज़रूरत या फ़ाक़े के समय उनसे पर्दा करे (उनकी पहुंच से बाहर हो), तो क़ियामत के दिन अल्लाह भी उससे पर्दा करेगा, और अल्लाह पर यह हक़ बनता है कि उसे जन्नत हराम कर दे।”

सबसे कम अक़्लमंद व्यक्ति

इमाम जाफ़र सादिक़ फ़रमाते हैं

“सबसे कम अकलमंद व्यक्ति वह है जो अपने अधीनस्थ पर ज़ुल्म करता है और उस व्यक्ति को माफ़ नहीं करता जो उससे माफ़ी माँगता है।